नई दिल्ली: केंद्र सरकार अपनी विनिवेश योजना का विस्तार करने की योजना में है और वह दो प्रमुख क्षेत्रों, बैंकिंग और बीमा को अपनी नई विनिवेश नीति के दायरे में लाने पर विचार कर रही है.
जानकार सूत्रों ने कहा कि एक नई विनिवेश या निजीकरण नीति पर मंथन चल रहा है और इस पर एक कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), वित्त मंत्रालय और नीति आयोग बीमा क्षेत्र में रणनीतिक विनिवेश पर पहले ही चर्चा कर चुके हैं और बैंकिंग क्षेत्र पर बाद में चर्चा हो सकती है.
भारतीय जीवन बीमा निगम इस विनिवेश प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होगा.
सरकार द्वारा संचालित कुल आठ बीमा कंपनियां हैं, जिनमें छह जनरल इंश्योरेंस कंपनियां और एक रीइंश्योरेंस कंपनी है.
कुछ समय पहले सरकार ने जनरल इंश्योरें कंपनियों में पूंजी डाली थी, क्योंकि उनके पास पूंजी की कमी हो गई थी.
इस महीने के प्रारंभ में केंद्रीय कैबिनेट ने सरकार द्वारा संचालित तीन बीमा कंपनियों -ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी और युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी- में 12,450 करोड़ रुपये की पूंजी डालने को मंजूरी दी थी.
स्वीकृत धनराशि में वित्त वर्ष 2019-20 में डाली गई 2,500 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है.
पहली फरवरी को पेश किए गए पिछले बजट में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की तीन जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के लिए 6,950 करोड़ रुपये अलग किए थे.
अब बैंकों में विनिवेश की बात ऐसे समय में सामने आई है, जब कुछ ही महीने पहले सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय किया गया, जो पहली अप्रैल से प्रभावी है.
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इस विलय के प्रभावी होने के बाद भारत में मौजूदा समय में सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक रह गए हैं. जबकि 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक थे.
निजीकरण योजना का दायरा बढ़ाने पर मंथन ऐसे समय में हो रहा है, जब सरकार पीएसयू तेल कंपनी बीपीसीएल में सफलतापूर्वक हिस्सेदारी बेचने के बाद आत्मविश्वास में दिखाई दे रही है, जिसकी बोली लगाने की तिथि इसी महीने समाप्त हो रही है.
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार, कई वैश्विक और घरेलू तेल कंपनियों ने सरकारी तेल कंपनी में 52 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है.
वित्त वर्ष 21 के केंद्रीय बजट में सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था. इस लक्ष्य को हालांकि कई लोगों ने महत्वाकांक्षी बताया है, क्योंकि केंद्र पिछले वित्त वर्ष में अपने लक्ष्य के कहीं भी करीब नहीं पहुंच पाया था.
(आईएएनएस)