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आर्थिक सर्वेक्षण: पीएम किसान के तहत पांच करोड़ से अधिक किसानों को मिला लाभ - आर्थिक सर्वेक्षण

आर्थिक समीक्षा 2018-19 में सामाजिक अवसंरचना विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश के महत्व को रेखांकित किया गया है. समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसे विकास रणनीति की प्राथमिकता माना गया है.

आर्थिक सर्वेक्षण: पीएम किसान के तहत पांच करोड़ से अधिक किसानों को लाभ
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Published : Jul 4, 2019, 5:58 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 6:13 PM IST

नई दिल्ली: संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जनसंख्या के बड़े हिस्से को लाभ मिला है. पीएम किसान योजना के तहत 5 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है. सामाजिक सेवाओं पर परिव्यय में जीडीपी का एक प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई.

समीक्षा में कहा गया है कि बैंकिंग सुविधा प्राप्त महिलाओं की संख्या 2005-06 में 15.5 प्रतिशत थी जो 2015-16 में बढ़कर 53 प्रतिशत हो गई.

आर्थिक समीक्षा 2018-19 में सामाजिक अवसंरचना विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश के महत्व को रेखांकित किया गया है. समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसे विकास रणनीति की प्राथमिकता माना गया है.

आर्थिक समीक्षा के अनुसार "गरीबी तथा अन्य समस्याओं को समाप्त करने के लिए ऐसी नीतियां होनी चाहिए जो स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर बनाती है, असमानता को कम करती है और दीर्घकालिक उपायों के तहत आर्थिक विकास को गति देती है."

केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन ने बृहस्पतिवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की. इसमें कहा गया है कि केन्द्र और राज्यों द्वारा सामाजिक सेवाओं पर परिव्यय 2014-15 के 7.68 लाख करोड़ से बढ़कर 2018-19 (बजट अनुमान) में 13.94 लाख करोड़ हो गया.

ये भी पढ़ें- आर्थिक सर्वेक्षण: जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान

केन्द्र और राज्यों द्वारा सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सामाजिक सेवाओं पर खर्च में 1 प्रतिशत से अधिक अंकों की वृद्धि दर्ज की गई. जिसके फलस्वरूप सामाजिक सेवाओं पर खर्च वर्ष 2014-15 में 6.2 से बढ़कर वर्ष 2018-19 (बजट अनुमान) में 7.3 प्रतिशत तक हो गया है.

जीडीपी के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर किए जाने वाला खर्च 2014-15 में 2.8 प्रतिशत था जो 2018-19 (बजट अनुमान) में बढ़कर 3 प्रतिशत हो गया. इसी प्रकार जीडीपी के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक परिव्यय 1.2 से बढ़कर 1.5 प्रतिशत हो गया.

महिला सशक्तिकरण के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि महिलाओँ को मुख्य धारा में लाने और समाज में बदलाव के लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्जवला योजना, पोषण अभियान, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत की है. समय के साथ परिवार के निर्णय में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.

इसमें कहा गया है कि अखिल भारतीय स्तर पर महिलाओं के वित्तीय समावेश में भी वृद्धि दर्ज की गई है. बैंकिंग सेवाएं या बचत खाते जो महिलाएं स्वयं उपयोग करती हैं. वर्ष 2005-06 में महिलाओं का अनुपात 15.5 प्रतिशत था जो 2015-16 में बढ़कर 53 प्रतिशत हो गया है. सभी मंत्रालयों में लिंगानुपात को ध्यान में रखते हुए बजट, योजना और कार्यक्रम बनाये जा रहा है.

आर्थिक समीक्षा में पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए विभिन्न सामाजिक योजनाओँ को रेखांकित किया गया है. यह देश के लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है. पीएम किसान -2019 के अंतर्गत 3.10 करोड़ सीमांत किसानों को 2,000 रुपये की पहली किस्त प्राप्त हुई तथा 23 अप्रैल, 2019 तक 2.10 करोड़ किसानों को दूसरी किस्त प्राप्त हुई है.

समीक्षा के अनुसार 30 दिसंबर, 2018 तक आयुष्मान भारत के अंतर्गत 6.18 लाख लोग पीएमजेएवाई योजना से लाभांवित हुए हैं. इस दौरान 39.48 लाख ई-कार्ड जारी किए गए हैं. वहीं 25 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के 5.33 लाख गांवों को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है. 2 अक्टूबर, 2019 तक पूरा देश ओडीएफ हो जाएगा.

नई दिल्ली: संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जनसंख्या के बड़े हिस्से को लाभ मिला है. पीएम किसान योजना के तहत 5 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है. सामाजिक सेवाओं पर परिव्यय में जीडीपी का एक प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई.

समीक्षा में कहा गया है कि बैंकिंग सुविधा प्राप्त महिलाओं की संख्या 2005-06 में 15.5 प्रतिशत थी जो 2015-16 में बढ़कर 53 प्रतिशत हो गई.

आर्थिक समीक्षा 2018-19 में सामाजिक अवसंरचना विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश के महत्व को रेखांकित किया गया है. समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसे विकास रणनीति की प्राथमिकता माना गया है.

आर्थिक समीक्षा के अनुसार "गरीबी तथा अन्य समस्याओं को समाप्त करने के लिए ऐसी नीतियां होनी चाहिए जो स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर बनाती है, असमानता को कम करती है और दीर्घकालिक उपायों के तहत आर्थिक विकास को गति देती है."

केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन ने बृहस्पतिवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की. इसमें कहा गया है कि केन्द्र और राज्यों द्वारा सामाजिक सेवाओं पर परिव्यय 2014-15 के 7.68 लाख करोड़ से बढ़कर 2018-19 (बजट अनुमान) में 13.94 लाख करोड़ हो गया.

ये भी पढ़ें- आर्थिक सर्वेक्षण: जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान

केन्द्र और राज्यों द्वारा सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सामाजिक सेवाओं पर खर्च में 1 प्रतिशत से अधिक अंकों की वृद्धि दर्ज की गई. जिसके फलस्वरूप सामाजिक सेवाओं पर खर्च वर्ष 2014-15 में 6.2 से बढ़कर वर्ष 2018-19 (बजट अनुमान) में 7.3 प्रतिशत तक हो गया है.

जीडीपी के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर किए जाने वाला खर्च 2014-15 में 2.8 प्रतिशत था जो 2018-19 (बजट अनुमान) में बढ़कर 3 प्रतिशत हो गया. इसी प्रकार जीडीपी के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक परिव्यय 1.2 से बढ़कर 1.5 प्रतिशत हो गया.

महिला सशक्तिकरण के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि महिलाओँ को मुख्य धारा में लाने और समाज में बदलाव के लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्जवला योजना, पोषण अभियान, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत की है. समय के साथ परिवार के निर्णय में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.

इसमें कहा गया है कि अखिल भारतीय स्तर पर महिलाओं के वित्तीय समावेश में भी वृद्धि दर्ज की गई है. बैंकिंग सेवाएं या बचत खाते जो महिलाएं स्वयं उपयोग करती हैं. वर्ष 2005-06 में महिलाओं का अनुपात 15.5 प्रतिशत था जो 2015-16 में बढ़कर 53 प्रतिशत हो गया है. सभी मंत्रालयों में लिंगानुपात को ध्यान में रखते हुए बजट, योजना और कार्यक्रम बनाये जा रहा है.

आर्थिक समीक्षा में पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए विभिन्न सामाजिक योजनाओँ को रेखांकित किया गया है. यह देश के लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है. पीएम किसान -2019 के अंतर्गत 3.10 करोड़ सीमांत किसानों को 2,000 रुपये की पहली किस्त प्राप्त हुई तथा 23 अप्रैल, 2019 तक 2.10 करोड़ किसानों को दूसरी किस्त प्राप्त हुई है.

समीक्षा के अनुसार 30 दिसंबर, 2018 तक आयुष्मान भारत के अंतर्गत 6.18 लाख लोग पीएमजेएवाई योजना से लाभांवित हुए हैं. इस दौरान 39.48 लाख ई-कार्ड जारी किए गए हैं. वहीं 25 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के 5.33 लाख गांवों को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है. 2 अक्टूबर, 2019 तक पूरा देश ओडीएफ हो जाएगा.

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आर्थिक सर्वेक्षण: पीएम किसान के तहत पांच करोड़ से अधिक किसानों को लाभ

नई दिल्ली: संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जनसंख्या के बड़े हिस्से को लाभ मिला है. पीएम किसान योजना के तहत 5 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है. सामाजिक सेवाओं पर परिव्यय में जीडीपी का एक प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई.

समीक्षा में कहा गया है कि बैंकिंग सुविधा प्राप्त महिलाओं की संख्या 2005-06 में 15.5 प्रतिशत थी जो 2015-16 में बढ़कर 53 प्रतिशत हो गई. 

आर्थिक समीक्षा 2018-19 में सामाजिक अवसंरचना विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश के महत्व को रेखांकित किया गया है. समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसे विकास रणनीति की प्राथमिकता माना गया है. 

आर्थिक समीक्षा के अनुसार "गरीबी तथा अन्य समस्याओं को समाप्त करने के लिए ऐसी नीतियां होनी चाहिए जो स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर बनाती है, असमानता को कम करती है और दीर्घकालिक उपायों के तहत आर्थिक विकास को गति देती है."

केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन ने बृहस्पतिवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की. इसमें कहा गया है कि केन्द्र और राज्यों द्वारा सामाजिक सेवाओं पर परिव्यय 2014-15 के 7.68 लाख करोड़ से बढ़कर 2018-19 (बजट अनुमान) में 13.94 लाख करोड़ हो गया. 

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केन्द्र और राज्यों द्वारा सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सामाजिक सेवाओं पर खर्च में 1 प्रतिशत से अधिक अंकों की वृद्धि दर्ज की गई. जिसके फलस्वरूप सामाजिक सेवाओं पर खर्च वर्ष 2014-15 में 6.2 से बढ़कर वर्ष 2018-19 (बजट अनुमान) में 7.3 प्रतिशत तक हो गया है. 

जीडीपी के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर किए जाने वाला खर्च 2014-15 में 2.8 प्रतिशत था जो 2018-19 (बजट अनुमान) में बढ़कर 3 प्रतिशत हो गया. इसी प्रकार जीडीपी के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक परिव्यय 1.2 से बढ़कर 1.5 प्रतिशत हो गया.

महिला सशक्तिकरण के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि महिलाओँ को मुख्य धारा में लाने और समाज में बदलाव के लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्जवला योजना, पोषण अभियान, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत की है. समय के साथ परिवार के निर्णय में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.    

इसमें कहा गया है कि अखिल भारतीय स्तर पर महिलाओं के वित्तीय समावेश में भी वृद्धि दर्ज की गई है. बैंकिंग सेवाएं या बचत खाते जो महिलाएं स्वयं उपयोग करती हैं. वर्ष 2005-06 में महिलाओं का अनुपात 15.5 प्रतिशत था जो 2015-16 में बढ़कर 53 प्रतिशत हो गया है. सभी मंत्रालयों में लिंगानुपात को ध्यान में रखते हुए बजट, योजना और कार्यक्रम बनाये जा रहा है.

आर्थिक समीक्षा में पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए विभिन्न सामाजिक योजनाओँ को रेखांकित किया गया है. यह देश के लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है. पीएम किसान -2019 के अंतर्गत 3.10 करोड़ सीमांत किसानों को 2,000 रुपये की पहली किस्त प्राप्त हुई तथा 23 अप्रैल, 2019 तक 2.10 करोड़ किसानों को दूसरी किस्त प्राप्त हुई है. 

समीक्षा के अनुसार 30 दिसंबर, 2018 तक आयुष्मान भारत के अंतर्गत 6.18 लाख लोग पीएमजेएवाई योजना से लाभांवित हुए हैं. इस दौरान 39.48 लाख ई-कार्ड जारी किए गए हैं. वहीं 25 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के 5.33 लाख गांवों को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है. 2 अक्टूबर, 2019 तक पूरा देश ओडीएफ हो जाएगा.


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Last Updated : Jul 4, 2019, 6:13 PM IST
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