नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है. इसे दुनियाभर के देशों द्वारा इस महामारी से निपटने के लिए घोषित प्रोत्साहनों में सबसे बड़े आर्थिक पैकेज में से एक माना जा रहा है.
मोदी का आत्म-निर्भर भारत अभियान या आत्म-निर्भर भारत मिशन 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के 10 प्रतिशत के बराबर है. इस लिहाज से आर्थिक पैकेज के मामले में सिर्फ जापान, अमेरिका, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी ही भारत से आगे हैं.
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हालांकि, दुनियाभर के अन्य देशों द्वारा घोषित राहत पैकेज की तुलना में यह पूरी तरह नया नहीं है. इसमें सरकार द्वारा मार्च में घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तरलता बढ़ाने के लिए उठाए गए विभिन्न कदम और ब्याज दरों में कटौती भी शामिल है.
कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए दुनियाभर के देशों में लॉकडाउन है. इससे पैदा हुए आर्थिक संकट को 1930 के दशक की महामंदी के बाद का सबसे बड़ा संकट माना जा रहा है. इसी को देखते हुए दुनियाभर के देश 'कोरोना वायरस प्रोत्साहन पैकेज' की घोषणा कर रहे हैं.
अर्थशास्त्री सेहुन एल्गिन द्वारा कोविड-19 आर्थिक प्रोत्साहन इंडेक्स (सीईएसआई) में जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार डॉलर मूल्य में अमेरिका ने सबसे बड़ा यानी 2,700 अरब डॉलर का पैकेज घोषित किया है. हालांकि, जीडीपी के प्रतिशत के हिसाब से जापान से पीछे है.
जापान ने अपने जीडीपी के 21.1 प्रतिशत के बराबर पैकेज की घोषणा की है. अमेरिका का पैकेज उसके जीडीपी का 13 प्रतिशत है. उसके बाद स्वीडन ने अपने जीडीपी के 12 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया ने 10.8 प्रतिशत और जर्मनी ने अपने जीडीपी के 10.7 प्रतिशत यानी 815 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की है. इटली में कोरोना वायरस ने काफी कहर मचाया है.
इटली की सरकार ने करीब 750 अरब यूरो के पैकेज की घोषणा की है. भारत का 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज 265 अरब डॉलर बैठता है. हालांकि, इसमें सारा पैसा सरकार नहीं खर्च करेगी. हालांकि, अमेरिका में घोषित 2,700 अरब डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज में पूरी राशि डोनाल्ड ट्रंप सरकार खर्च करेगी. इसमें अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा किए गए उपाय शामिल नहीं हैं.