मुंबई: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर कारोबार कर रही करीब 12 कंपनियों ने चीन से अपने प्रतिष्ठान भारत में लाने में रुचि दिखाई है. उन्होंने कहा कि ये कंपनियां भारत में हाल में घोषित 15 प्रतिशत की आकर्षक कार्पोरेट आयकर दर का फायदा उठाना चाहती हैं.
वित्त मंत्री ने विनिर्माण क्षेत्र में नए निवेश पर कार्पोरेट कर की 15 प्रतिशत की प्रतिस्पर्धी दर की घोषणा कुछ समय पहले ही की है.
सरकार ने वर्तमान कंपनियों पर भी आयकर की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी है. इसी तरह विनिर्माण उद्योग में एक अक्टूबर 2019 के बाद गठित और 31 मार्च 2023 तक परिचालन शुरू करने वाली कंपनियों की आय पर कर की दर 25 प्रतिशत की जगह 15 प्रतिशत कर दी गई है.
वित्त मंत्री ने कहा, "मैंने कहा था कि मैं एक कार्य समूह बनाऊंगी जो चीन से निकलने वाली कंपनियों के मामलों पर गौर करेगा. इस बीच मैंने कर की दरें घटाने की घोषणा भी कर दी."
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उन्होंने कहा, "ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं जो रुचि दिखा रही हैं और वापस आना चाहती हैं." उन्होंने कहा कि कार्यबल शुरू हो गया है. उसने कंपनियों से संपर्क शुरू किया है. आखिरी आकलन में मुझे बताया गया कि करीब 12 कंपनियों से बात हो चुकी है. उनको समझा गया है. उनकी उम्मीदों को जानने का प्रयास किया गया, ताकि सरकार उनके सामने ठोस प्रस्ताव रख सके ताकि वे जहां है वहां से अपनी सुविधाएं भारत में ला सकें."
वित्त मंत्री ने कहा कि इससे स्थानीय स्तर पर ऐसी परिस्थितियों का निर्माण होगा जिसमें नए उद्योग लग सकेंगे. उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है, मैं इस मामले में कुछ प्रगति की जानकारी देने की स्थिति में होऊंगी."
पांच वर्ष में बुनियादी क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा के बारे में उन्होंने कहा कि कार्यबल इस संबंध में 15 दिसंबर तक कम से कम 10 बड़ी परियोजनाओं की पहचान कर लेगा. इन परियोजनाओं पर शुरू में ही निवेश किया जाएगा.
सीतारमण ने विश्वास जताया कि सरकार 15 दिसंबर तक कम से कम 10 बड़ी परियोजनाओं पर निवेश शुरू करने की घोषणा की स्थिति में होगी.
वित्त मंत्रालय ने गत सितंबर में आर्थिक मामलों के सचिव के नेतृत्व में एक कार्यबल का गठन किया था. इसे बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास के लिए 2010-20 से 2024-25 तक की अवधि में शुरू करने लायक 'राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की क्रमिक सूची' का वृहद खाका बनाने की जिम्मेदारी दी गई है.
आर्थिक नरमी के विषय में वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अगले आंकड़े बेहतर होंगे. गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है, जो छह साल की न्यूनतम दर है. पहली तिमाही में वृद्धि 5 प्रतिशत थी.
उन्होंने कहा कि सरकार वस्तु एवं सेवा कर को और सरल बनाएगी. उन्होंने कहा कि जीएसटी की प्रणालियों को सहज बनाने पर कम पहले से चल रहा है.