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तिरुपुर : निटवेअर उद्योग पर छाए संकट के बादल, करोड़ों के घाटे की आशंका

पहले ही मंदी के दौर से गुजर रहे तिरुपुर के निटवेअर उद्योग को कोरोना से बड़ा झटका लगा है. उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना के कारण उद्योग को करोड़ों का नुकसान होने की उम्मीद है.

तिरुपुर: निटवेअर उद्योग पर संकट छाए संकट के बादल, करोड़ों के घाटे की आशंका
तिरुपुर: निटवेअर उद्योग पर संकट छाए संकट के बादल, करोड़ों के घाटे की आशंका
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Published : Apr 21, 2020, 1:38 PM IST

Updated : Apr 21, 2020, 3:15 PM IST

कोयम्बटूर: निर्यात के माध्यम से प्रति वर्ष 26,000 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा कमाने वाला तिरुपुर भारत का अग्रणी शहर है. लेकिन फिलहाल यह कोरोना वायरस के प्रभाव से घाटे में चल रहा है.

मार्च के प्रारंभ में तिरुपुर से निर्यात किए गए 6,000 करोड़ रुपये के बुने हुए कपड़ों के उत्पाद अब तक यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न बंदरगाहों पर कर्फ्यू के कारण फंसे हुए हैं.

तिरुपुर: निटवेअर उद्योग पर संकट छाए संकट के बादल, करोड़ों के घाटे की आशंका

निटवेअर उद्योग ने पहली बार मांग में 80 प्रतिशत से अधिक की ऐतिहासिक गिरावट देखी है. इसके कारण 6,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर को प्राप्त करने में गंभीर समस्या पैदा हो गई है. क्योंकि जैसे ही स्टोर बंद हुए तो कुछ विदेशी कंपनियों ने आयात आदेश रद्द कर दिया जिसके कारण माल फंसा रह गया.

ये भी पढ़ें- पीएम किसान योजना में 15,000 रुपये दिए जाएं: स्वामीनाथन फाउंडेशन

इस बारे में एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजा एन षणमुगम ने कहा, "वर्तमान परिदृश्य में भले ही कर्फ्यू हटा लिया गया हो लेकिन सामान्य स्तर पर उत्पादन शुरू करने और बहाल करने में न्यूनतम 6 महीने से एक साल तक का समय लगेगा. जिससे बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार का नुकसान होगा."

श्रमिकों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करना जारी रखना सरकार के लिए असंभव है. इसलिए, यदि सरकार उद्योग को बढ़ावा देती है तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा.

अगर सरकार उद्योगों द्वारा ब्याज दरों को कम करके और ब्याज दरों में सब्सिडी देकर बैंक के कर्ज पर कदम उठाती है तो बेरोजगारी के जोखिम से बचा जा सकता है.

इसे लागू करने से औद्योगिक प्रतिष्ठानों का वित्तीय बोझ कम हो सकता है. इसी तरह नई पूंजी उधार देने से निटवियर कंपनियों को परिचालन जारी रखने में मदद मिलेगी.

इसके अलावा सरकार को अपने कल्याण के लिए शुरू की गई कर्मचारी राज्य बीमा योजना के माध्यम से मजदूरों को वित्तीय मदद का विस्तार करना चाहिए.

कोयम्बटूर: निर्यात के माध्यम से प्रति वर्ष 26,000 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा कमाने वाला तिरुपुर भारत का अग्रणी शहर है. लेकिन फिलहाल यह कोरोना वायरस के प्रभाव से घाटे में चल रहा है.

मार्च के प्रारंभ में तिरुपुर से निर्यात किए गए 6,000 करोड़ रुपये के बुने हुए कपड़ों के उत्पाद अब तक यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न बंदरगाहों पर कर्फ्यू के कारण फंसे हुए हैं.

तिरुपुर: निटवेअर उद्योग पर संकट छाए संकट के बादल, करोड़ों के घाटे की आशंका

निटवेअर उद्योग ने पहली बार मांग में 80 प्रतिशत से अधिक की ऐतिहासिक गिरावट देखी है. इसके कारण 6,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर को प्राप्त करने में गंभीर समस्या पैदा हो गई है. क्योंकि जैसे ही स्टोर बंद हुए तो कुछ विदेशी कंपनियों ने आयात आदेश रद्द कर दिया जिसके कारण माल फंसा रह गया.

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इस बारे में एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजा एन षणमुगम ने कहा, "वर्तमान परिदृश्य में भले ही कर्फ्यू हटा लिया गया हो लेकिन सामान्य स्तर पर उत्पादन शुरू करने और बहाल करने में न्यूनतम 6 महीने से एक साल तक का समय लगेगा. जिससे बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार का नुकसान होगा."

श्रमिकों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करना जारी रखना सरकार के लिए असंभव है. इसलिए, यदि सरकार उद्योग को बढ़ावा देती है तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा.

अगर सरकार उद्योगों द्वारा ब्याज दरों को कम करके और ब्याज दरों में सब्सिडी देकर बैंक के कर्ज पर कदम उठाती है तो बेरोजगारी के जोखिम से बचा जा सकता है.

इसे लागू करने से औद्योगिक प्रतिष्ठानों का वित्तीय बोझ कम हो सकता है. इसी तरह नई पूंजी उधार देने से निटवियर कंपनियों को परिचालन जारी रखने में मदद मिलेगी.

इसके अलावा सरकार को अपने कल्याण के लिए शुरू की गई कर्मचारी राज्य बीमा योजना के माध्यम से मजदूरों को वित्तीय मदद का विस्तार करना चाहिए.

Last Updated : Apr 21, 2020, 3:15 PM IST
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