ETV Bharat / business

सुप्रीम कोर्ट से टेलीकॉम कंपनियों को नहीं मिली राहत, देने होंगे 1.47 लाख करोड़ रुपए

author img

By

Published : Jan 16, 2020, 6:28 PM IST

शीर्ष अदालत ने 24 अक्टूबर, 2019 को अपनी व्यवस्था में कहा था कि वैधानिक बकाये की गणना के लिए दूरसंचार कंपनियों के समायोजित सकल राजस्व में उनके दूरसंचार सेवाओं से इतर राजस्व को शामिल किया जाना कायदे कानून के अनुसार ही है.

सुप्रीम कोर्ट से टेलीकॉम कंपनियों को नहीं मिली राहत, देने होंगे 1.47 लाख करोड़ रुपए
सुप्रीम कोर्ट से टेलीकॉम कंपनियों को नहीं मिली राहत, देने होंगे 1.47 लाख करोड़ रुपए

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ रूपए के वैधानिक बकायों की रकम 23 जनवरी तक जमा करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकायें बृहस्पतिवार को खारिज कर दीं.

शीर्ष अदालत ने 24 अक्टूबर, 2019 को अपनी व्यवस्था में कहा था कि वैधानिक बकाये की गणना के लिए दूरसंचार कंपनियों के समायोजित सकल राजस्व में उनके दूरसंचार सेवाओं से इतर राजस्व को शामिल किया जाना कायदे कानून के अनुसार ही है.

ये भी पढ़ें- अमेरिका ने चीन के साथ पहले चरण के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने संचार कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर में विचार किया और उसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नजर नहीं आया.

पीठ ने इस पर इन याचिकाओं को खारिज कर दिया. संचार कंपनियों ने अपनी पुनर्विचार याचिकाओं पर न्यायालय में सुनवाई का अनुरोध किया था लेकिन शीर्ष अदालत ने ऐसी याचिकाओं पर चैंबर में ही विचार करने की परंपरा पर कायम रहने का निर्णय किया.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 24 अक्टूबर को दूरसंचार विभाग द्वारा समायोजित सकल राजस्व को परिभाषित करने का फार्मूला बरकरार रखते हुये संचार सेवा प्रदाताओं दकी आपत्तियों को ‘थोथा’ करार दिया था.

भारती एयरटेल ने अपनी याचिका में एजीआर के संबंध में ब्याज, दंड और दंड पर ब्याज के पहलुओं पर दिये गये निर्देशों पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था.संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पिछले साल नवंबर मे संसद को बताया था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और दूसरी संचार कंपनियों पर वैधानिक राशि के रूप में 1.47 लाख करोड़ रूपए बकाया है.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ रूपए के वैधानिक बकायों की रकम 23 जनवरी तक जमा करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकायें बृहस्पतिवार को खारिज कर दीं.

शीर्ष अदालत ने 24 अक्टूबर, 2019 को अपनी व्यवस्था में कहा था कि वैधानिक बकाये की गणना के लिए दूरसंचार कंपनियों के समायोजित सकल राजस्व में उनके दूरसंचार सेवाओं से इतर राजस्व को शामिल किया जाना कायदे कानून के अनुसार ही है.

ये भी पढ़ें- अमेरिका ने चीन के साथ पहले चरण के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने संचार कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर में विचार किया और उसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नजर नहीं आया.

पीठ ने इस पर इन याचिकाओं को खारिज कर दिया. संचार कंपनियों ने अपनी पुनर्विचार याचिकाओं पर न्यायालय में सुनवाई का अनुरोध किया था लेकिन शीर्ष अदालत ने ऐसी याचिकाओं पर चैंबर में ही विचार करने की परंपरा पर कायम रहने का निर्णय किया.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 24 अक्टूबर को दूरसंचार विभाग द्वारा समायोजित सकल राजस्व को परिभाषित करने का फार्मूला बरकरार रखते हुये संचार सेवा प्रदाताओं दकी आपत्तियों को ‘थोथा’ करार दिया था.

भारती एयरटेल ने अपनी याचिका में एजीआर के संबंध में ब्याज, दंड और दंड पर ब्याज के पहलुओं पर दिये गये निर्देशों पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था.संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पिछले साल नवंबर मे संसद को बताया था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और दूसरी संचार कंपनियों पर वैधानिक राशि के रूप में 1.47 लाख करोड़ रूपए बकाया है.

Intro:Body:

न्यायालय ने 1.47 लाख करोड़ रूपए की वसूली के निर्णय पर संचार कंपनियों की पुनर्विचार याचिका खारिज की

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ रूपए के वैधानिक बकायों की रकम 23 जनवरी तक जमा करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकायें बृहस्पतिवार को खारिज कर दीं. 

शीर्ष अदालत ने 24 अक्टूबर, 2019 को अपनी व्यवस्था में कहा था कि वैधानिक बकाये की गणना के लिए दूरसंचार कंपनियों के समायोजित सकल राजस्व में उनके दूरसंचार सेवाओं से इतर राजस्व को शामिल किया जाना कायदे कानून के अनुसार ही है. 

ये भी पढ़ें- 

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने संचार कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर में विचार किया और उसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नजर नहीं आया. 

पीठ ने इस पर इन याचिकाओं को खारिज कर दिया. संचार कंपनियों ने अपनी पुनर्विचार याचिकाओं पर न्यायालय में सुनवाई का अनुरोध किया था लेकिन शीर्ष अदालत ने ऐसी याचिकाओं पर चैंबर में ही विचार करने की परंपरा पर कायम रहने का निर्णय किया.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 24 अक्टूबर को दूरसंचार विभाग द्वारा समायोजित सकल राजस्व को परिभाषित करने का फार्मूला बरकरार रखते हुये संचार सेवा प्रदाताओं दकी आपत्तियों को ‘थोथा’ करार दिया था. 

भारती एयरटेल ने अपनी याचिका में एजीआर के संबंध में ब्याज, दंड और दंड पर ब्याज के पहलुओं पर दिये गये निर्देशों पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था.संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पिछले साल नवंबर मे संसद को बताया था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और दूसरी संचार कंपनियों पर वैधानिक राशि के रूप में 1.47 लाख करोड़ रूपए बकाया है.


Conclusion:

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.