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एनसीएलएटी ने टाटा विवाद में कंपनी पंजीयक की याचिका पर सुरक्षित रखा आदेश

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले कंपनी पंजीयक (आरओसी) ने इस आदेश में कुछ संशोधन किये जाने के लिए न्यायाधिकरण से अपील की थी. एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने संकेत दिया है कि याचिका पर आदेश अगले हफ्ते सोमवार को आ सकता है.

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एनसीएलएटी ने टाटा विवाद में कंपनी पंजीयक की याचिका पर सुरक्षित रखा आदेश
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Published : Jan 3, 2020, 4:58 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को टाटा-मिस्त्री मामले में कंपनी पंजीयक (आरओसी) की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया है. एनसीएलएटी ने अपने हालिया आदेश में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले कंपनी पंजीयक (आरओसी) ने इस आदेश में कुछ संशोधन किये जाने के लिए न्यायाधिकरण से अपील की थी. एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने संकेत दिया है कि याचिका पर आदेश अगले हफ्ते सोमवार को आ सकता है.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि उसने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है और टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी में बदलने की प्रक्रिया में कुछ भी अवैध नहीं किया है. अपीलीय न्यायाधिकरण ने बृहस्पतिवार को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को कंपनी अधिनियम के नियमों के तहत निजी और सार्वजनिक कंपनियों की परिभाषा का विवरण जमा करने के लिए कहा था.

पीठ ने इसके लिए चुकता पूंजी की जरूरत पर स्पष्टीकरण भी मांगा था. अपीलीय न्यायाधिकरण ने 18 दिसंबर को निर्देश दिया था कि टाटा समूह साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में बहाल करे.

ये भी पढ़ें: टाटा-मिस्त्री मामला: एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा टाटा संस

न्यायाधिकरण ने इसके साथ ही समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति को "अवैध" ठहराया था और आरओसी को "टाटा संस" का दर्जा प्राइवेट कंपनी से वापस बदलकर पब्लिक कंपनी करने को कहा था.

एनसीएलएटी ने कहा था कि कंपनी पंजीयक द्वारा कंपनी का दर्जा बदलकर प्राइवेट कंपनी करने की अनुमति देने की कार्रवाई कंपनी अधिनियम , 2013 के प्रावधानों के खिलाफ है और अल्पकांश शेयरधारकों (मिस्त्री कैंप) के लिए 'प्रतिकूल' और 'उत्पीड़नकारी' है.

एनसीएलएटी के फैसले के पांच दिन बाद दायर आवेदन में मुंबई स्थिति आरओसी ने न्यायाधिकरण से फैसले के पैरा 186 और 187 (4) में जरूरी संशोधन का आग्रह किया है, ताकि आरओसी की भूमिका गलत नहीं बल्कि कंपनी कानून के प्रावधानों के तहत सही दिखे.

कंपनी पंजीयक ने अपनी याचिका में, मामले में पक्ष बनाये जाने और अपने हालिया आदेश में 'गैरकानूनी' और 'आरओसी की मदद से' जैसे शब्दों को हटाने का आग्रह किया था. टाटा संस ने एनसीएलएटी के इस निर्णय के विरुद्ध बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और इस आदेश को चुनौती दी है.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को टाटा-मिस्त्री मामले में कंपनी पंजीयक (आरओसी) की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया है. एनसीएलएटी ने अपने हालिया आदेश में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले कंपनी पंजीयक (आरओसी) ने इस आदेश में कुछ संशोधन किये जाने के लिए न्यायाधिकरण से अपील की थी. एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने संकेत दिया है कि याचिका पर आदेश अगले हफ्ते सोमवार को आ सकता है.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि उसने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है और टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी में बदलने की प्रक्रिया में कुछ भी अवैध नहीं किया है. अपीलीय न्यायाधिकरण ने बृहस्पतिवार को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को कंपनी अधिनियम के नियमों के तहत निजी और सार्वजनिक कंपनियों की परिभाषा का विवरण जमा करने के लिए कहा था.

पीठ ने इसके लिए चुकता पूंजी की जरूरत पर स्पष्टीकरण भी मांगा था. अपीलीय न्यायाधिकरण ने 18 दिसंबर को निर्देश दिया था कि टाटा समूह साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में बहाल करे.

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न्यायाधिकरण ने इसके साथ ही समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति को "अवैध" ठहराया था और आरओसी को "टाटा संस" का दर्जा प्राइवेट कंपनी से वापस बदलकर पब्लिक कंपनी करने को कहा था.

एनसीएलएटी ने कहा था कि कंपनी पंजीयक द्वारा कंपनी का दर्जा बदलकर प्राइवेट कंपनी करने की अनुमति देने की कार्रवाई कंपनी अधिनियम , 2013 के प्रावधानों के खिलाफ है और अल्पकांश शेयरधारकों (मिस्त्री कैंप) के लिए 'प्रतिकूल' और 'उत्पीड़नकारी' है.

एनसीएलएटी के फैसले के पांच दिन बाद दायर आवेदन में मुंबई स्थिति आरओसी ने न्यायाधिकरण से फैसले के पैरा 186 और 187 (4) में जरूरी संशोधन का आग्रह किया है, ताकि आरओसी की भूमिका गलत नहीं बल्कि कंपनी कानून के प्रावधानों के तहत सही दिखे.

कंपनी पंजीयक ने अपनी याचिका में, मामले में पक्ष बनाये जाने और अपने हालिया आदेश में 'गैरकानूनी' और 'आरओसी की मदद से' जैसे शब्दों को हटाने का आग्रह किया था. टाटा संस ने एनसीएलएटी के इस निर्णय के विरुद्ध बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और इस आदेश को चुनौती दी है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को टाटा-मिस्त्री मामले में कंपनी पंजीयक (आरओसी) की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया है. एनसीएलएटी ने अपने हालिया आदेश में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले कंपनी पंजीयक (आरओसी) ने इस आदेश में कुछ संशोधन किये जाने के लिए न्यायाधिकरण से अपील की थी. एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने संकेत दिया है कि याचिका पर आदेश अगले हफ्ते सोमवार को आ सकता है.

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि उसने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है और टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी में बदलने की प्रक्रिया में कुछ भी अवैध नहीं किया है. अपीलीय न्यायाधिकरण ने बृहस्पतिवार को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को कंपनी अधिनियम के नियमों के तहत निजी और सार्वजनिक कंपनियों की परिभाषा का विवरण जमा करने के लिए कहा था.

पीठ ने इसके लिए चुकता पूंजी की जरूरत पर स्पष्टीकरण भी मांगा था. अपीलीय न्यायाधिकरण ने 18 दिसंबर को निर्देश दिया था कि टाटा समूह साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में बहाल करे.

न्यायाधिकरण ने इसके साथ ही समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति को "अवैध" ठहराया था और आरओसी को "टाटा संस" का दर्जा प्राइवेट कंपनी से वापस बदलकर पब्लिक कंपनी करने को कहा था.

एनसीएलएटी ने कहा था कि कंपनी पंजीयक द्वारा कंपनी का दर्जा बदलकर प्राइवेट कंपनी करने की अनुमति देने की कार्रवाई कंपनी अधिनियम , 2013 के प्रावधानों के खिलाफ है और अल्पकांश शेयरधारकों (मिस्त्री कैंप) के लिए 'प्रतिकूल' और 'उत्पीड़नकारी' है.

एनसीएलएटी के फैसले के पांच दिन बाद दायर आवेदन में मुंबई स्थिति आरओसी ने न्यायाधिकरण से फैसले के पैरा 186 और 187 (4) में जरूरी संशोधन का आग्रह किया है, ताकि आरओसी की भूमिका गलत नहीं बल्कि कंपनी कानून के प्रावधानों के तहत सही दिखे.

कंपनी पंजीयक ने अपनी याचिका में, मामले में पक्ष बनाये जाने और अपने हालिया आदेश में 'गैरकानूनी' और 'आरओसी की मदद से' जैसे शब्दों को हटाने का आग्रह किया था. टाटा संस ने एनसीएलएटी के इस निर्णय के विरुद्ध बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और इस आदेश को चुनौती दी है.

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