नई दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को कहा कि वह वह दुनिया की दिग्गज इस्पात कंपनी आर्सेलर मित्तल को 23 अप्रैल को अगली सुनवाई के दौरान एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिये 42,000 करोड़ रुपये की बोली राशि को एक अलग खाते में जमा करने का निर्देश दे सकता है.
अपीलीय न्यायाधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि आर्सेलर मित्तल को यह राशि एक अलग खाते में एनसीएलएटी या एनसीएलटी अहमदाबाद पीठ के समक्ष जमा करने को कहा जा सकता है.
पीठ ने आर्सेलर मित्तल से एक हलफनामा भी देने को कहा जिसमें कर्ज में डूबी एस्सार स्टील की समाधान योजना के क्रियान्वयन को लेकर क्या कदम उठाये जाएंगे इस बारे में पूरा ब्योरा दिया होगा.
न्यायाधरिकरण ने कहा, "आर्सेलर मित्तल इंडिया सफल समाधान आवेदकर्ता है. उसे योजना के क्रियान्वयन को लेकर हलफनामा देना होगा." पीठ ने कहा, "अपीलीय न्यायाधिकरण आर्सेलर मित्तल को अगली सुनवाई में अलग खाते में राशि जमा करने का निर्देश दे सकता है."
अपीलीय न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि एनसीएलटी अहमदाबाद द्वारा मंजूर मूल योजना को क्रियान्वित करना होगा. पीठ ने एस्सार स्टील के सभी कर्जदाताओं को अपने-अपने दावों के बारे में अगले सप्ताह चार्ट देने को कहा. इसमें समाधान पेशेवर तथा कर्जदाताओं की समिति द्वारा मंजूरी दावों के बारे में बताने को कहा गया है. इसके अलावा गुजरात राज्य कर विभाग को उसके अपने दावे के बारे में हलफनामा देने को कहा गया है. एनसीएलएटी में कंपनी के परिचालन कर्जदाताओं, गुजरात राज्य कर विभाग तथा अन्य ने याचिकाएं दायर की हैं.
आर्सेलर मित्तल के समाधान प्रस्ताव के तहत वित्तीय कर्जदाताओं के कुल 49,395 करोड़ रुपये के बकाये में से 41,987 करोड़ रुपये तथा परिचालन से जुड़े कर्जदाताओं को 214 करोड़ रुपये देने की बात कही गयी है, जबकि उनका बकाया 4,976 करोड़ रुपये है. परिचालन कर्जदाताओं ने इस मामले को अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष रखा है.
एस्सार स्टील की गुजरात, हजीरा में एक करोड़ टन क्षमता की इस्पात मिल है. एस्सार स्टील का मामला उन शुरुआती 12 मामलों में है जिसे रिजर्व बैंक ने चुना था.
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