नई दिल्ली : कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) आईएलएंडएफएस ऑडिट के मामले में संदिग्ध कार्य प्रणाली को लेकर सवालों के घेरे में रही डेलॉयट हस्किंस एंड सेल्स (डीएचएस) पर रोक लगाने के लिए कंपनी कानून की धारा 140 (5) का इस्तेमाल कर सकता है. डेलॉयट पर आईएलएंडएफएस के खातों में गड़बड़ी करने का आरोप है.
इस धारा के प्रावधानों के अनुसार, न्यायाधिकरण अधिनियम या किसी अन्य कानून के प्रावधानों के तहत किसी कार्रवाई के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के स्वत: संज्ञान ले सकता है या केंद्र सरकार या किसी संबद्ध व्यक्ति के आवेदन पर आदेश देते हुए कंपनी को अपना ऑडिटर बदलने का निर्देश दे सकता है, बशर्ते वह इस बात से सतुष्ट हो कि कंपनी के ऑडिटर ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धोखाधड़ी की है या कंपनी या उसके निदेशक या अधिकारी द्वारा की गई धोखाधड़ी में वह संलिप्त रहा है.
अगर ऐसा होगा तो सत्यम घोटाले में प्राइस वाटरहाउस पर शिकंजा कसने के बाद यह दूसरा उदाहण होगा.
भारतीय कॉरपोरेट को स्तब्ध करने वाले सत्यम घोटाले के नौ साल बाद जनवरी 2018 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सत्यम धोखाधड़ी मामले में प्राइस वाटरहाउस को सूचीबद्ध कंपनियों और बाजार मध्यवर्ती संस्थाओं को लेखा-परीक्षा सेवा प्रदान करने पर दो साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया.
प्राइस वाटरहाउस के दो साझेदारों पर तीन साल का प्रतिबंध लगा दिया. बाजार विनियामक ने प्राइस वाटरहाउस और उसके दो चार्टर्ड अकाउंटेंट-एस. गोपालकृष्णन और श्रीनिवास तल्लुरी को 13.09 करोड़ रुपये लौटान को भी कहा.
संपर्क करने पर डेलॉयड के प्रवक्ता ने आईएएनएस से कहा, "आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएफआईएन) कंपनी की जांच चल रही है और हम जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं. हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमने लेखा-परीक्षण के मानदंडों और लागू कानून व कायदों के अनुसार लेखा परीक्षा की है."
सूत्रों के अनुसार, समूह में गड़बड़ी मई 2018 में शुरू हुई। डेलॉयट के सूत्रों ने बताया कि आईएएलएंडएफएस समूह की तीन प्रमुख शाखाएं- आईएलएंडएफएस, आईटीएनएल और आईएफआईएन में से दो कंपनियों आईएलएंडएफएस और आईटीएनएल की लेखा-परीक्षा 2017-18 और 2018-19 में एसआरबीएसी एंड कंपनी (ईएंडवाई) ने की थी. आईएफआईएन की लेखा परीक्षा 2018-19 में बीएसआर (केपीएमजी) द्वारा की गई थी.
2016-17 में डीएचएस ने आईएलएंडएफएस और आईटीएनएल की लेखा परीक्षा एसआरबीसी एंड कंपनी (ईएंडवाई) के साथ की थी और आईएफआईएन की डीएचएस ने खुद की थी.
2015-16 तक कई साल से डीएचएच सभी तीन कंपनियों की लेखा-परीक्षा करती रही.
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