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भारतीय कंपनियों को डेटा चोरी से औसतन 12.80 करोड़ रुपये का नुकसान: आईबीएम

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर यह औसत करीब 27.03 करोड़ रुपये है. सेंध लगाने की इन घटनाओं में औसतन 25,575 रिकॉर्ड प्रभावित हुए हैं.

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Published : Jul 23, 2019, 6:56 PM IST

भारतीय कंपनियों को डेटा चोरी से औसतन 12.80 करोड़ रुपये का नुकसान: आईबीएम

नई दिल्ली: सूचनाओं में सेंध लगने से देश में कंपनियों को जुलाई 2018 से अप्रैल 2019 के बीच औसतन 12.80 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आईबीएम द्वारा प्रायोजित एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर यह औसत करीब 27.03 करोड़ रुपये है. सेंध लगाने की इन घटनाओं में औसतन 25,575 रिकॉर्ड प्रभावित हुए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में सूचनाओं में सेंध लगाये जाने अथवा डेटा चोरी से प्रति व्यक्ति नुकसान 5,019 रुपये है जबकि वैश्विक औसत 150 डॉलर का है. भारत में इन घटनाओं में औसतन 35,636 रिकॉर्ड प्रभावित होते हैं.

यह रिपोर्ट पोनेमोन इंस्टीट्यूट ने तैयार की है और आईबीएम सिक्यूरिटी ने इसे प्रायोजित किया है.

ये भी पढ़ें: मासिक रख-रखाव शुल्क 7,500 रुपये से अधिक हुआ, तो फ्लैट मालिकों को देना होगा 18 प्रतिशत जीएसटी

आईबीएम इंडिया/साउथ एशिया के सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर लीडर वैद्यनाथन अय्यर ने कहा, "भारत में तेजी से साइबर अपराध में बदलाव हो रहा है. यह अब बेहद संगठित है और तालमेल पर आधारित है. डेटा चोरी से नुकसान में लगातार वृद्धि हो रही है."

उन्होंने कहा कि जब साइबर सुरक्षा की बात आती है तो कंपनियों को तीन मूल क्षेत्रों में खासतौर से निवेश करने की जरूरत है. इनमें-व्यावसायिक उद्देश्य के आधार पर जोखिम का आकलन करना, डिजिटल विश्वास सुनिश्चित करना और ज्ञानात्मक जोखिम प्रबंधन-पर गौर किया जाना जरूरी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत डेटा चोरी अथवा सेंध लगने के पीछे प्रमुख वजह जो रही हैं उनमें आपराधिक हमले होना 51 प्रतिशत, प्रणालीगत समस्या की वजह से 27 प्रतिशत और मानव गलती के कारण 22 प्रतिशत डेटा चोरी अथवा सूचनायें लीक होती हैं.

नई दिल्ली: सूचनाओं में सेंध लगने से देश में कंपनियों को जुलाई 2018 से अप्रैल 2019 के बीच औसतन 12.80 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आईबीएम द्वारा प्रायोजित एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर यह औसत करीब 27.03 करोड़ रुपये है. सेंध लगाने की इन घटनाओं में औसतन 25,575 रिकॉर्ड प्रभावित हुए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में सूचनाओं में सेंध लगाये जाने अथवा डेटा चोरी से प्रति व्यक्ति नुकसान 5,019 रुपये है जबकि वैश्विक औसत 150 डॉलर का है. भारत में इन घटनाओं में औसतन 35,636 रिकॉर्ड प्रभावित होते हैं.

यह रिपोर्ट पोनेमोन इंस्टीट्यूट ने तैयार की है और आईबीएम सिक्यूरिटी ने इसे प्रायोजित किया है.

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आईबीएम इंडिया/साउथ एशिया के सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर लीडर वैद्यनाथन अय्यर ने कहा, "भारत में तेजी से साइबर अपराध में बदलाव हो रहा है. यह अब बेहद संगठित है और तालमेल पर आधारित है. डेटा चोरी से नुकसान में लगातार वृद्धि हो रही है."

उन्होंने कहा कि जब साइबर सुरक्षा की बात आती है तो कंपनियों को तीन मूल क्षेत्रों में खासतौर से निवेश करने की जरूरत है. इनमें-व्यावसायिक उद्देश्य के आधार पर जोखिम का आकलन करना, डिजिटल विश्वास सुनिश्चित करना और ज्ञानात्मक जोखिम प्रबंधन-पर गौर किया जाना जरूरी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत डेटा चोरी अथवा सेंध लगने के पीछे प्रमुख वजह जो रही हैं उनमें आपराधिक हमले होना 51 प्रतिशत, प्रणालीगत समस्या की वजह से 27 प्रतिशत और मानव गलती के कारण 22 प्रतिशत डेटा चोरी अथवा सूचनायें लीक होती हैं.

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नई दिल्ली: सूचनाओं में सेंध लगने से देश में कंपनियों को जुलाई 2018 से अप्रैल 2019 के बीच औसतन 12.80 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आईबीएम द्वारा प्रायोजित एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर यह औसत करीब 27.03 करोड़ रुपये है. सेंध लगाने की इन घटनाओं में औसतन 25,575 रिकॉर्ड प्रभावित हुए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में सूचनाओं में सेंध लगाये जाने अथवा डेटा चोरी से प्रति व्यक्ति नुकसान 5,019 रुपये है जबकि वैश्विक औसत 150 डॉलर का है. भारत में इन घटनाओं में औसतन 35,636 रिकॉर्ड प्रभावित होते हैं.

यह रिपोर्ट पोनेमोन इंस्टीट्यूट ने तैयार की है और आईबीएम सिक्यूरिटी ने इसे प्रायोजित किया है.

आईबीएम इंडिया/साउथ एशिया के सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर लीडर वैद्यनाथन अय्यर ने कहा, "भारत में तेजी से साइबर अपराध में बदलाव हो रहा है. यह अब बेहद संगठित है और तालमेल पर आधारित है. डेटा चोरी से नुकसान में लगातार वृद्धि हो रही है."

उन्होंने कहा कि जब साइबर सुरक्षा की बात आती है तो कंपनियों को तीन मूल क्षेत्रों में खासतौर से निवेश करने की जरूरत है. इनमें-व्यावसायिक उद्देश्य के आधार पर जोखिम का आकलन करना, डिजिटल विश्वास सुनिश्चित करना और ज्ञानात्मक जोखिम प्रबंधन-पर गौर किया जाना जरूरी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत डेटा चोरी अथवा सेंध लगने के पीछे प्रमुख वजह जो रही हैं उनमें आपराधिक हमले होना 51 प्रतिशत, प्रणालीगत समस्या की वजह से 27 प्रतिशत और मानव गलती के कारण 22 प्रतिशत डेटा चोरी अथवा सूचनायें लीक होती हैं.

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