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अदालत ने सीसीआई जांच के खिलाफ अमेजन, फ्लिपकार्ट की याचिकाओं पर विचार से किया मना - Amazon and Flipkart

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि जांच को चुनौती देना, आपराधिक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करने से पहले नोटिस चाहने जैसा है. इसके साथ ही पीठ ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सीसीआई की जांच में सहयोग करने के लिए कहा.

सीसीआई जांच के खिलाफ
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Published : Aug 9, 2021, 2:15 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अमेजन और फ्लिपकार्ट (Amazon and Flipkart) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन की प्रारंभिक जांच करने को चुनौती दी गई थी.

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि जांच को चुनौती देना, आपराधिक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करने से पहले नोटिस चाहने जैसा है. इसके साथ ही पीठ ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सीसीआई की जांच में सहयोग करने के लिए कहा. पीठ में जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े संगठन पूछताछ के लिए खुद आगे आएंगे, और आप ऐसा नहीं चाहते हैं. आपको पेश होना होगा और जांच की इजाजत देनी होगी.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द होने पर परीक्षा शुल्क संबंधी याचिका खारिज की

फ्लिपकार्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी द्वारा यह बताए जाने पर कि सीसीआई को जवाब देने का समय नौ अगस्त को ही खत्म हो रहा है, पीठ ने इस समयसीमा को चार सप्ताह के लिए बढ़ा दिया. हालांकि, इस पर सीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई.

मेहता ने कहा कि इन फर्मों को एक सप्ताह का समय दिया जाना चाहिए, क्योंकि कोविड के दौर में लोग ज्यादातर इन कंपनियों के माध्यम से ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं. इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 23 जुलाई को प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन के लिए सीसीआई जांच के खिलाफ अमेजन-फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज कर दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अमेजन और फ्लिपकार्ट (Amazon and Flipkart) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन की प्रारंभिक जांच करने को चुनौती दी गई थी.

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि जांच को चुनौती देना, आपराधिक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करने से पहले नोटिस चाहने जैसा है. इसके साथ ही पीठ ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सीसीआई की जांच में सहयोग करने के लिए कहा. पीठ में जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े संगठन पूछताछ के लिए खुद आगे आएंगे, और आप ऐसा नहीं चाहते हैं. आपको पेश होना होगा और जांच की इजाजत देनी होगी.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा रद्द होने पर परीक्षा शुल्क संबंधी याचिका खारिज की

फ्लिपकार्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी द्वारा यह बताए जाने पर कि सीसीआई को जवाब देने का समय नौ अगस्त को ही खत्म हो रहा है, पीठ ने इस समयसीमा को चार सप्ताह के लिए बढ़ा दिया. हालांकि, इस पर सीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई.

मेहता ने कहा कि इन फर्मों को एक सप्ताह का समय दिया जाना चाहिए, क्योंकि कोविड के दौर में लोग ज्यादातर इन कंपनियों के माध्यम से ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं. इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 23 जुलाई को प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन के लिए सीसीआई जांच के खिलाफ अमेजन-फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज कर दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

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