नई दिल्ली : जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) और केंद्रीय जीएसटी आयुक्त कार्यालयों ने देशभर में कार्रवाई कर पिछले दो महीनों में फर्जी जीएसटी बिल मामले में 700 करोड़ रुपये से अधिक बरामद किए और 215 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस दौरान 2200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
जीएसटी धोखाधड़ी मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए कुल 215 व्यक्तियों में से 17 लोग पिछले दो दिनों में गिरफ्तार किए गए हैं.
राजस्व विभाग के सूत्रों के बताया कि देशव्यापी कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों में छह चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), तीन सीईओ, 36 मैनेजिंग डायरेक्टर और डायरेक्टर, 15 पार्टनर और 81 प्रोप्राइटर शामिल हैं, जो फर्जी जीएसटी बिल का उपयोग कर धोखे से इनपुट क्रेडिट टैक्स का दावा करते थे.
जीएसटी अधिकारियों ने अब तक 6,600 से अधिक जीएसटी नंबर रद्द किए हैं.
अधिकारियों ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में न केवल फर्जी जीएसटी डीलर शामिल हैं, बल्कि अंतिम लाभार्थी भी शामिल हैं, जो कमीशन आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने के लिए इन नकली जीएसटी डीलरों के साथ जुड़े हुए थे.
छह चार्टर्ड एकाउंटेंट के अलावा, एक कंपनी सेक्रेटरी (सीएस), एक दलाल और एक जीएसटी प्रैक्टिशनर अपराधियों में शामिल हैं, जिन्हें पिछले साल नवंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू किए गए अभियान में गिरफ्तार किया गया है.
सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि BAFTA टूल के साथ डेटा एनालिटिक्स, डेटा-शेयरिंग और एआई के उपयोग ने जीएसटी पारिस्थितिकी तंत्र और खुफिया अधिकारियों को इन फर्जी संस्थाओं की गतिविधियों की पहचान करने और जालसाज़ों को सटीक इनपुट के साथ इंगित करने में सक्षम बनाया है.
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जीएसटी खुफिया अधिकारियों ने चेन्नई से एक महिला मास्टरमाइंड सहित 70 से अधिक संचालकों को भी गिरफ्तार किया है, जो जीएसटी के तहत धोखाधड़ी करने के लिए परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के नाम पर कई कंपनी चला रहे थे. साथ ही महाराष्ट्र के एक शक्तिशाली विधायक के बेटे सहित कई अन्य प्रभावशाली लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
मुंबई में हुई सबसे ज्यादा गिरफ्तारी
सूत्रों के अनुसार, फर्जी जीएसटी बिल का उपयोग करने के मामले में अब तक सर्वाधिक गिरफ्तारी मुंबई जोन से हुई है. वहां अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
अहमदाबाद जोन में पिछले दो दिनों में 14 मामले दर्ज किए गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, फर्जी इन्वॉइस का उपयोग करके 113 करोड़ रुपये से अधिक के इनपुट टैक्स क्रेडिट के फर्जी दावों में आठ गैर-मौजूद संस्थाओं का इस्तेमाल किया गया.
ये फर्जी कंपनियां अन्य चीजों के अलावा कपड़ों, स्क्रैप, दवाओं, लौह अपशिष्ट और स्क्रैप, सीमेंट और कोयले के व्यापार में लगी हुई थीं.