नई दिल्ली : उद्योग जगत ने गुरुवार को कहा कि आगामी आम बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कर और नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करने के साथ ही सुधारों को जारी रखने पर जोर देना चाहिए.
बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित बैठक में उद्योग मंडलों ने कहा कि सरकारी उपाय निजी निवेश को मजबूती देने में मदद करेंगे. गौरतलब है कि निजी निवेश में तेजी के शुरुआती संकेत दिखाई देने लगे हैं.
उद्योग मंडल सीआईआई के अध्यक्ष टी वी नरेंद्रन (TV Narendran) ने कहा कि सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी के जरिए वृद्धि को समर्थन जारी रखना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'सरकार को नगरपालिका बॉन्ड बाजार विकसित करने पर विचार करना चाहिए ताकि शहरी स्थानीय निकाय बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए धन जुटा सकें.'
एसोचैम ने दूरसंचार, बिजली और खनन जैसे अत्यधिक विनियमित क्षेत्रों के लिए 'विवाद से विश्वास' योजना का विस्तार करने का सुझाव दिया. इसके साथ सीमा शुल्क से संबंधित मुद्दों के लिए एक विवाद समाधान योजना लाने पर भी जोर दिया गया.
एसोचैम के अध्यक्ष विनीत अग्रवाल ने कहा, 'हम विवाद से विश्वास योजना के लिए सरकार की सराहना करते हैं, जिसने लंबे समय से लंबित मुकदमों को कम करने में सफलता हासिल की है.'
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उन्होंने कहा कि दूरसंचार, बिजली और खनन जैसे क्षेत्रों, जिनका निवेश और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निजीकरण किया गया था, अत्यधिक विनियमित हैं. इन क्षेत्रों में कई मामले 10-15 वर्षों तक लंबित रहते हैं.
बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और भागवत कराड भी मौजूद थे. इसके अलावा बैठक में वित्त सचिव टी वी सोमनाथन, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे और प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल भी उपस्थित थे. बैठक के दौरान पीएचडी चैंबर ने प्रदर्शन बैंक गारंटी (पीबीजी) और शुरूआती जमा राशि (अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट-ईडीएम) के संबंध में छूट को एक साल और बढ़ाने की मांग की.