बेंगलुरु: कर्नाटक के मलुर ग्रामीण में एक पशु संरक्षण संगठन बायोवेट ने गुरुवार को भारत के पशु स्वास्थ्य एजेंडा को बढ़ावा दिया है. संगठन ने मलूर में फुट एंड माउथ और ब्रुसेलोसिस वैक्सीन निर्माण सुविधाओं के विस्तार के लिए 200 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है.
इस निवेश को जानवरों में फुट एंड माउथ डिजीज और ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने और मिटाने के कदम के रूप में देखा जाता है. नया निवेश न केवल वर्तमान वैक्सीन निर्माण क्षमता को 200 से 500 मिलियन खुराक तक बढ़ाएगा बल्कि बायोवेट को दुनिया का सबसे बड़ा एफएमडी विनिर्माण भी बना देगा.
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बायोवेट के संस्थापक और प्रमोटर डॉ कृष्णा एम ईला ने कहा, "मालरु प्लांट में हम 200 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे. हम पहले से ही इस बीमारी के 200 मिलियन खुराक टीके का उत्पादन कर रहे हैं. नए निवेश के साथ हम अतिरिक्त 500 मिलियन खुराक का उत्पादन करने लगेंगे. इतना उत्पादन करने के बाद हम भारत सरकार के 1,000 मिलियन डोज के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे. एक बार यह निवेश हो जाने के बाद बायोवेट दुनिया में सबसे बड़ा फुट एंड माउथ डिजीज का टीका बनाने वाला उत्पादक हो जाएगा."
अनुमान के मुताबिक, भारत के फुट एंड माउथ डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के लिए प्रत्येक वर्ष 1000 मिलियन खुराक की आवश्यकता होती है, जबकि देश में निर्मित वर्तमान उत्पादन क्षमता लगभग 500 मिलियन खुराक है. बायोवेट के निवेश से रोजगार मिलेगा और मालूर में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
पशु टीका क्षमता का विस्तार करने के लिए 200 करोड़ रुपये का निवेश करेगा बायोवेट - बायोवेट
पशुओं में फूट एंड माउथ डिजीज और ब्रुसेलोसिस को खत्म करने के लिए बायोवेट ने कर्नाटक के मलूर में दुनिया की सबसे बड़ी एफएमडी वैक्सीन सुविधाएं बनाने के लिए एक बड़ी विस्तार योजना बनाई है.
बेंगलुरु: कर्नाटक के मलुर ग्रामीण में एक पशु संरक्षण संगठन बायोवेट ने गुरुवार को भारत के पशु स्वास्थ्य एजेंडा को बढ़ावा दिया है. संगठन ने मलूर में फुट एंड माउथ और ब्रुसेलोसिस वैक्सीन निर्माण सुविधाओं के विस्तार के लिए 200 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है.
इस निवेश को जानवरों में फुट एंड माउथ डिजीज और ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने और मिटाने के कदम के रूप में देखा जाता है. नया निवेश न केवल वर्तमान वैक्सीन निर्माण क्षमता को 200 से 500 मिलियन खुराक तक बढ़ाएगा बल्कि बायोवेट को दुनिया का सबसे बड़ा एफएमडी विनिर्माण भी बना देगा.
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बायोवेट के संस्थापक और प्रमोटर डॉ कृष्णा एम ईला ने कहा, "मालरु प्लांट में हम 200 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे. हम पहले से ही इस बीमारी के 200 मिलियन खुराक टीके का उत्पादन कर रहे हैं. नए निवेश के साथ हम अतिरिक्त 500 मिलियन खुराक का उत्पादन करने लगेंगे. इतना उत्पादन करने के बाद हम भारत सरकार के 1,000 मिलियन डोज के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे. एक बार यह निवेश हो जाने के बाद बायोवेट दुनिया में सबसे बड़ा फुट एंड माउथ डिजीज का टीका बनाने वाला उत्पादक हो जाएगा."
अनुमान के मुताबिक, भारत के फुट एंड माउथ डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के लिए प्रत्येक वर्ष 1000 मिलियन खुराक की आवश्यकता होती है, जबकि देश में निर्मित वर्तमान उत्पादन क्षमता लगभग 500 मिलियन खुराक है. बायोवेट के निवेश से रोजगार मिलेगा और मालूर में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
पशु टीका क्षमता का विस्तार करने के लिए 200 करोड़ रुपये का निवेश करेगा बायोवेट
बेंगलुरु: कर्नाटक के मलुर ग्रामीण में एक पशु संरक्षण संगठन बायोवेट ने गुरुवार को भारत के पशु स्वास्थ्य एजेंडा को बढ़ावा दिया है. संगठन ने मलूर में फुट एंड माउथ, ब्रुसेलोसिस वैक्सीन निर्माण सुविधाओं के विस्तार के लिए 200 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है.
इस निवेश को जानवरों में फुट एंड माउथ डिजीज और ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने और मिटाने के कदम के रूप में देखा जाता है. नया निवेश न केवल वर्तमान वैक्सीन निर्माण क्षमता को 200 से 500 मिलियन खुराक तक बढ़ाएगा बल्कि बायोवेट को दुनिया का सबसे बड़ा एफएमडी विनिर्माण भी बना देगा.
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बायोवेट के संस्थापक और प्रमोटर डॉ कृष्णा एम ईला ने कहा, "मालरु प्लांट में हम 200 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे. हम पहले से ही इस बीमारी के 200 मिलियन खुराक टीके का उत्पादन कर रहे हैं. नए निवेश के साथ हम अतिरिक्त 500 मिलियन खुराक का उत्पादन करने लगेंगे. इतना उत्पादन करने के बाद हम भारत सरकार के 1,000 मिलियन डोज के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे. एक बार यह निवेश हो जाने के बाद बायोवेट दुनिया में सबसे बड़ा फुट एंड माउथ डिजीज का टीका बनाने वाला उत्पादक हो जाएगा."
अनुमान के मुताबिक, भारत के फुट एंड माउथ डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के लिए प्रत्येक वर्ष 1000 मिलियन खुराक की आवश्यकता होती है, जबकि देश में निर्मित वर्तमान उत्पादन क्षमता लगभग 500 मिलियन खुराक है.
बायोवेट के निवेश से रोजगार मिलेगा और मालूर में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.
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