नई दिल्ली: इस्पात क्षेत्र की दुनिया की दिग्गज कंपनी आर्सेलरमित्तल ने सोमवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) से कहा कि वह कर्ज के बोझ से दबी एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिए 42,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. इसमें कार्यशील पूंजी के लिए 2,500 करोड़ रुपये की न्यूनतम गारंटी भी है.
एस्सार स्टील इस समय दिवाला प्रक्रिया के तहत है. आर्सेलरमित्तल की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने एस्सार स्टील के पूर्व प्रवर्तकों रुइया पर दिवाला प्रक्रिया में अड़चन डालने का आरोप लगाया.
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उन्होंने कहा कि लक्ष्मी निवास मित्तल के भाई से संबंधित कंपनियों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का मुद्दा पहले ही सुलझ चुका है और उच्चतम न्यायालय उसे खारिज कर चुका है. साल्वे ने कहा कि एनसीएलटी और बैंक एस्सार स्टील को कर्ज देने वाले ऋणदाताओं के बीच इस कोष के वितरण पर फैसला करेंगे.
उन्होंने कहा कि वित्तीय ऋणदाताओं तथा परिचालन के लिए कर्ज देने वालों के बीच इसका वितरण 'समान' रूप से किया जाएगा. एनसीएलएटी एस्सार स्टील दिवाला मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रखेगा.
इससे पहले एस्सार स्टील की एक शेयरधारक एस्सार स्टील एशिया होल्डिंग्स लि. (ईएसएएचएल) ने आरोप लगाया था कि आर्सेलरमित्तल के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी लक्ष्मी निवास मित्तल ने महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए थे अन्यथा दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता की धारा 29ए के तहत वह कर्ज के बोझ से दबी कंपनी के लिए बोली लगाने के पात्र नहीं बन पाते.