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टाटा मोटर्स झेल रहा मंदी की मार, 16-17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा

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Published : Aug 16, 2019, 7:58 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 5:32 AM IST

जमशेदपुर के टाटा मोटर्स कंपनी को मंदी की मार से गुजरना पड़ रहा है. इस वजह से कंपनी ने एक बार फिर ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की है. इस दौरान सभी मजदूरों का आधा वेतन काट लिया जाता है. जिससे मजदूरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

टाटा मोटर्स झेल रहा मंदी की मार, 16-17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा

जमशेदपुरः ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का टाटा मोटर्स पर बुरा असर पड़ा है. एक बार फिर टाटा मोटर्स में 16 और 17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है. हालांकि रविवार को अवकाश की वजह से कंपनियां सीधे 19 अगस्त को खुलेगी. टाटा मोटर्स में जुलाई से लेकर अब तक कई बार ब्लॉक क्लोजर हो चुका है.

आमतौर पर 13 से 15 हजार वाहन प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स, आज कल तीन से चार हजार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं.

टाटा मोटर्स झेल रहा मंदी की मार, 16-17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा

टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है. टाटा कंपनी प्रति महीने कभी 15 हजार से ज्यादा गाड़ियां बनाती थी. टाटा मोटर्स में अगस्त महीने में तीसरी बार ब्लॉक क्लोजर की गई है. इस क्लोजर के दौरान कर्मचारियों की पर्सनल लिव का 50 फीसदी हिस्सा कंपनी की ओर से काटा जाएगा. टाटा मोटर्स के लिए टाटा कमिंस इंजन बनाती है. अस्थायी मजदूरों के भविष्य पर संकट भी मंडराने लगा है.

5 से 6 सालों के अंतराल में छोटी-बड़ी मंदी आती है. 4 दिन के ब्लॉक क्लोजर में कंपनी 2 दिनों का पैसा देती है. 2 दिनों की छुट्टी काटती है. इसमें आधे तौर पर कंपनी और मजदूरों को इसका वहन करना पड़ता है. औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है. इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है. कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है. औद्योगिक घरानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए मंदी का दौर चल रहा है.
ये भी पढ़ें: चार दिन बंद रहेंगे हीरो मोटोकॉर्प के विनिर्माण संयंत्र

जमशेदपुरः ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का टाटा मोटर्स पर बुरा असर पड़ा है. एक बार फिर टाटा मोटर्स में 16 और 17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है. हालांकि रविवार को अवकाश की वजह से कंपनियां सीधे 19 अगस्त को खुलेगी. टाटा मोटर्स में जुलाई से लेकर अब तक कई बार ब्लॉक क्लोजर हो चुका है.

आमतौर पर 13 से 15 हजार वाहन प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स, आज कल तीन से चार हजार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं.

टाटा मोटर्स झेल रहा मंदी की मार, 16-17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा

टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है. टाटा कंपनी प्रति महीने कभी 15 हजार से ज्यादा गाड़ियां बनाती थी. टाटा मोटर्स में अगस्त महीने में तीसरी बार ब्लॉक क्लोजर की गई है. इस क्लोजर के दौरान कर्मचारियों की पर्सनल लिव का 50 फीसदी हिस्सा कंपनी की ओर से काटा जाएगा. टाटा मोटर्स के लिए टाटा कमिंस इंजन बनाती है. अस्थायी मजदूरों के भविष्य पर संकट भी मंडराने लगा है.

5 से 6 सालों के अंतराल में छोटी-बड़ी मंदी आती है. 4 दिन के ब्लॉक क्लोजर में कंपनी 2 दिनों का पैसा देती है. 2 दिनों की छुट्टी काटती है. इसमें आधे तौर पर कंपनी और मजदूरों को इसका वहन करना पड़ता है. औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है. इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है. कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है. औद्योगिक घरानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए मंदी का दौर चल रहा है.
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जमशेदपुरः ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का टाटा मोटर्स पर बुरा असर पड़ा है. एक बार फिर टाटा मोटर्स में 16 और 17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है. हालांकि रविवार को अवकाश की वजह से कंपनियां सीधे 19 अगस्त को खुलेगी. टाटा मोटर्स में जुलाई से लेकर अब तक कई बार ब्लॉक क्लोजर हो चुका है.

आमतौर पर 13 से 15 हजार वाहन प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स, आज कल तीन से चार हजार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं.

टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है. टाटा कंपनी प्रति महीने कभी 15 हजार से ज्यादा गाड़ियां बनाती थी. टाटा मोटर्स में अगस्त महीने में तीसरी बार ब्लॉक क्लोजर की गई है. इस क्लोजर के दौरान कर्मचारियों की पर्सनल लिव का 50 फीसदी हिस्सा कंपनी की ओर से काटा जाएगा. टाटा मोटर्स के लिए टाटा कमिंस इंजन बनाती है. अस्थायी मजदूरों के भविष्य पर संकट भी मंडराने लगा है.

5 से 6 सालों के अंतराल में छोटी-बड़ी मंदी आती है. 4 दिन के ब्लॉक क्लोजर में कंपनी 2 दिनों का पैसा देती है. 2 दिनों की छुट्टी काटती है. इसमें आधे तौर पर कंपनी और मजदूरों को इसका वहन करना पड़ता है. औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है. इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है. कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है. औद्योगिक घरानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए मंदी का दौर चल रहा है.


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Last Updated : Sep 27, 2019, 5:32 AM IST
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