हैदराबाद: ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन के मुख्य कार्यकारी और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति जेफ बेजोस ने शुक्रवार को अपनी तीन दिवसीय भारत यात्रा का समापन किया. अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने 1 बिलियन डॉलर (7,000 करोड़ रुपये से अधिक) की निवेश योजना की घोषणा की और कहा कि कंपनी अगले पांच वर्षों में भारत में एक मिलियन नए रोजगार सृजित करने की भी योजना बना रही है.
हालांकि, घोषणा ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को खुश नहीं किया क्योंकि उन्होंने कहा कि अमेज़ॅन निवेश के द्वारा देश का पक्ष नहीं ले रहा है और सवाल किया है कि ऑनलाइन रिटेलिंग प्रमुख इस तरह के "बड़े" नुकसानों को बिना प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के कैसे झेल सकते हैं.
दिल्ली में चल रहे वैश्विक संवाद सम्मेलन 'रायसीना डायलॉग' में उन्होंने तल्ख अंदाज में कहा, "अमेजन एक अरब डॉलर निवेश कर सकती है लेकिन अगर उन्हें अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है, तो वे उस अरब डॉलर का इंतजाम भी कर रहे होंगे. इसीलिए ऐसा नहीं हे कि वे एक अरब डॉलर का निवेश कर भारत पर कोई एहसान कर रहे हैं."
अमेजन डॉट कॉम ने लघु एवं मझोले उद्यमों को ऑनलाइन मदद के लिये एक अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है. मंत्री ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि आखिर ई-वाणिज्य कंपनियां जो खरीदारों और विक्रेताओं को आईटी मंच उपलब्ध करा रही हैं, उन्हें बड़ा नुकसान कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि इस पर गौर करने की जरूरत है.
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गोयल ने कहा, "वे पिछले कुछ साल गोदामों और अन्य गतिविधियों में पैसा लगा रहे हैं. यह स्वागत योग्य और अच्छा है. लेकिन (सवाल है) क्या वे घाटे के वित्त पोषण के लिये धन लगा रहे हैं और वह नुकसान ई-वाणिज्य मार्केट प्लेस मॉडल को हो रहा है?"
उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष बाजार मॉडल में कारोबार 10 अरब डॉलर का है और अगर कंपनी को अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है, निश्चित रूप से यह सवाल पैदा करता है कि नुकसान कहां से आता है. गोयल ने यह भी कहा कि जब ऑनलाइन कंपनी अगर बाजार खराब करने वाले कीमत पर सामान उपलब्ध नहीं करा रही है, तब उसे इतना बड़ा घाटा कैसे हो सकता है.
उन्होंने कहा, "ये सवाल हैं जिसके उत्तर की जरूरत है. मुझे भरोसा है कि जो प्राधिकरण इसे देख रहा है, वे उसका जवाब लेंगे और मुझे विश्वास है कि ई-वाणिज्य कंपनियों भी अपना पक्ष रखेंगी."
उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने हाल ही में ई-वाणिज्य कंपनियों फ्लिपकार्ट और अमेजन के खिलाफ जांच के आदेश दिये. यह आदेश बड़ी छूट समेत तरजीही विक्रेताओं के साथ गठजोड़ समेत गड़बड़ियों की जांच के लिये दिया गया.
गोयल ने कहा कि भारत ई-वाणिज्य बाजार में विदेशी निवेश की अनुमति देता है. इस मॉडल में खरीदार और विक्रेता व्यापार करने के लिये स्वतंत्र हैं लेकिन ये ई-वाणिज्य कंपनियां अपना माल भंडार नहीं रख सकती है या वे कीमतें तय नहीं कर सकतीं.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जबतक इन नियमों का अनुपालन होता है, हम भारत में ई-वाणिज्य कंपनियों का स्वागत करते हैं."