मुंबई: एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन में बढ़ोत्तरी के बीच डिजिटल अर्थव्यवस्था के एक प्रोफेसर ने बुधवार को दावा किया कि इस तरह के लेनदेन से जीडीपी के 0.10 प्रतिशत को देश से बाहर जाने से बचाने में मदद मिली है.
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के प्रौद्योगिकी विभाग के लगातार तीन कार्यकाल से प्रमुख प्रोफेसर अरविंद गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा कि इसने ‘सक्षम’ बनाने के दृष्टिकोण से भी अर्थव्यवस्था की मदद की है. उल्लेखनीय है कि देश में यूपीआई लेनदेन की संख्या सितंबर में बढ़कर 1.8 अरब रही.
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गुप्ता की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब सितंबर में यूपीआई से होने वाले लेनदेन में अगस्त के मुकाबले 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. इस दौरान इस माध्यम से कुल 3.29 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया.
यूपीआई से लेनदेन में वृद्धि का मुख्य कारण कोविड-19 महामारी के दौरान ज्यादा से ज्यादा लोगों का डिजिटल लेनदेन की ओर रुख करना है.
गुप्ता वित्त प्रौद्योगिकी कंपनी अर्लीसैलरी के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, " मैं अपने शोध के आधार पर कह सकता हूं कि आरंभिक अध्ययन बताता है कि मात्र यूपीआई लेनदेन को अपनाने से हमने सकल घरेलू उत्पाद के 0.10 प्रतिशत को देश में बचाए रखा है."
शोध की प्रक्रिया या उसकी अवधि के आंकड़ों को साझा किए बगैर उन्होंने कहा कि यूपीआई ने हर साल अर्थव्यवस्था के 0.10 से 0.15 प्रतिशत को सक्षम बनाया है. उन्होंने इसे अभूतपूर्व उपलब्धि बताया.
(पीटीआई-भाषा)