वाशिंगटन: अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने स्थानीय कामगारों की सुरक्षा के लिये चुनाव से पहले एच-1बी वीजा को लेकर नयी पाबंदियां लगा दी हैं. यह एक ऐसा कदम है, जिसका भारत के हजारों आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) पेशेवरों पर प्रभाव पड़ने का अनुमान है.
अमेरिका के गृह मंत्रालय द्वारा मंगलवार को घोषित अंतरिम नियम से 'विशेष व्यवसाय' की परिभाषा का दायरा संकुचित हो जायेगा. कंपनियां विशेष व्यवसाय की परिभाषा के आधार पर बाहरी कर्मचारियों के लिये एच-1बी वीजा का आवेदन करती हैं.
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ट्रंप सरकार ने यह बदलाव ऐसे समय किया है, जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में अब चार सप्ताह से भी कम समय बचा है. एच-1बी एक गैर-आव्रजक वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को ऐसे विशेष व्यवसायों में नियुक्त करने की अनुमति देता है, जिनमें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है.
प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से प्रत्येक वर्ष दसियों हजार कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिये इस वीजा पर निर्भर हैं. एच-1बी वीजा के प्रावधानों को कड़ा किये जाने के कारण पहले से ही बड़ी संख्या में भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी है और कोरोना वायरस महामारी के दौरान घर वापस आ रहे हैं. मंत्रालय के अनुसार नया नियम 60 दिनों में प्रभावी होगा.
नए नियम अमेरिका को कुशल प्रतिभाओं तक पहुंचने से रोकने वाले: नासकॉम
सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के संगठन नासकॉम ने बुधवार को कहा कि एच-1बी वीजा नियमों जिन बदलाव की घोषणा की गयी है, वह अमेरिका को योग्य कुशल प्रतिभाओं तक पहुंच बनाने से रोक देंगे. साथ अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रोजगार ढांचे को भी नुकसान पहुंचाएंगे.
नासकॉम ने एक बयान में कहा, "हमारा मानना है कि एच-1बी वीजा कार्यक्रम में घोषित बदलाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुचाएंगे, अमेरिकी नौकरियों को खतरे में डालेंगे. यह योग्य पेशेवरों तक अमेरिका की पहुंच को सीमित करेंगे. यह अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने वाले और कोविड-19 जैसे संकट के समय समाधानों के लिए शोध-विकास को धीमा करने वाले हैं. अमेरिकी बाजार का योग्य उम्मीदवारों तक पहुंच होना अहम है."
(पीटीआई-भाषा)