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डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है भारत में विदेशी निवेश के नए नियमों से: विशेषज्ञ - There is no violation of WTO: new rules for foreign investment in India: Expert

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राचार्य विश्वजित धर ने कहा, "डब्ल्यूटीओ में एफडीआई को लेकर कोई समझौता हुआ ही नहीं है. इस संगठन के नियम निवेश संबंधी मुद्दों पर लागू नहीं होते. इस लिए भारत अपने उद्योगों के हित में ऐसे निर्णय करने का पूरा अधिकार रखता है."

डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है भारत में विदेशी निवेश के नए नियमों से: विशेषज्ञ
डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है भारत में विदेशी निवेश के नए नियमों से: विशेषज्ञ
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Published : Apr 21, 2020, 10:58 AM IST

नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ताजा संशोधन पर चीन की आपत्तियों को खारिज किया है. उनका कहना है कि इस समय जो आर्थिक संकट है उसमें अपने उद्योगों को बचाना देश के अधिकार क्षेत्र में आता है और भारत ने डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं किया है.

इसस पहले भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि नए नियम डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के सिद्धांतों और मुक्त व्यापार के सामान्य चलन के विरुद्ध हैं.

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राचार्य विश्वजित धर ने कहा, "डब्ल्यूटीओ में एफडीआई को लेकर कोई समझौता हुआ ही नहीं है. इस संगठन के नियम निवेश संबंधी मुद्दों पर लागू नहीं होते. इस लिए भारत अपने उद्योगों के हित में ऐसे निर्णय करने का पूरा अधिकार रखता है."

ये भी पढ़ें-पीएम किसान योजना में 15,000 रुपये दिए जाएं: स्वामीनाथन फाउंडेशन

उन्होंने कहा कि निवेशकों के बारे में डब्ल्यूटीओं में जो भी प्रावधान हैं निर्यात और आयात से जुड़े हैं. इस संबंध में उन्होंनें निर्यात में स्थानीय सामग्री की शर्त का उदाहरण दिया.

भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा, "भारत आपने आप ही आपनी एफडीआई नीति उदार करता रहा है. अपने उद्योग को बचाने का कोई निर्णय डब्ल्यूटीओ के दायरे में नहीं आता."

जोशी ने कहा यह संकट का समय है इसमें भारत को अपने उद्योग को बचाने का फैसला करने की जरूरत है.

फिंडाक समूह के वरिष्ठ निवेश सलाहकार सुमित कोचर ने कहा कि भारत सरकार का यह नीतिगत निर्णय जवाबी है क्यों कि चीन के केंद्रीय बैंक ने इससे पहले भारत की वित्तीय सेवा कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन (एचडीएफसी) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा कर एक प्रतिशत से कुछ अधिक कर ली है.

उन्होंने कहाकि नए नियमों से चीनी निवेशकों पर भारतीय कंपनियों के शेयर आगे किसी भी समय खरीदने में एक रुकावट आ सकती है. इससे भारत में भविष्य में विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है.

सरकार ने शनिवार को एफडीआई नियमों संशोधन कर भारत की थल सीमा से जुड़े देशों से प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से निवेश के हर प्रस्ताव पर पहले सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है. यह निर्णय कोविड-19 से पैदा हालात में भारतीय कंपनियों को अवसरवादी अधिग्रहण के प्रयासों से बचाना है.

भारत ने कुछ एक प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़ कर बाकी उद्योगों में निवेश को स्वत: स्वीकृत मार्ग से खोल दिया है. इस मार्ग से विदेशी निवेशक को सरकार के किसी विभाग से अनुमति लेने के बजाय केवल भारतीय रिजर्व बैंकों निवेश की सूचना करने मात्र की जरूरत होती है ताकि निवेश सरल हो.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ताजा संशोधन पर चीन की आपत्तियों को खारिज किया है. उनका कहना है कि इस समय जो आर्थिक संकट है उसमें अपने उद्योगों को बचाना देश के अधिकार क्षेत्र में आता है और भारत ने डब्ल्यूटीओ का कोई उल्लंघन नहीं किया है.

इसस पहले भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि नए नियम डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) के सिद्धांतों और मुक्त व्यापार के सामान्य चलन के विरुद्ध हैं.

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राचार्य विश्वजित धर ने कहा, "डब्ल्यूटीओ में एफडीआई को लेकर कोई समझौता हुआ ही नहीं है. इस संगठन के नियम निवेश संबंधी मुद्दों पर लागू नहीं होते. इस लिए भारत अपने उद्योगों के हित में ऐसे निर्णय करने का पूरा अधिकार रखता है."

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उन्होंने कहा कि निवेशकों के बारे में डब्ल्यूटीओं में जो भी प्रावधान हैं निर्यात और आयात से जुड़े हैं. इस संबंध में उन्होंनें निर्यात में स्थानीय सामग्री की शर्त का उदाहरण दिया.

भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा, "भारत आपने आप ही आपनी एफडीआई नीति उदार करता रहा है. अपने उद्योग को बचाने का कोई निर्णय डब्ल्यूटीओ के दायरे में नहीं आता."

जोशी ने कहा यह संकट का समय है इसमें भारत को अपने उद्योग को बचाने का फैसला करने की जरूरत है.

फिंडाक समूह के वरिष्ठ निवेश सलाहकार सुमित कोचर ने कहा कि भारत सरकार का यह नीतिगत निर्णय जवाबी है क्यों कि चीन के केंद्रीय बैंक ने इससे पहले भारत की वित्तीय सेवा कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन (एचडीएफसी) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा कर एक प्रतिशत से कुछ अधिक कर ली है.

उन्होंने कहाकि नए नियमों से चीनी निवेशकों पर भारतीय कंपनियों के शेयर आगे किसी भी समय खरीदने में एक रुकावट आ सकती है. इससे भारत में भविष्य में विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है.

सरकार ने शनिवार को एफडीआई नियमों संशोधन कर भारत की थल सीमा से जुड़े देशों से प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से निवेश के हर प्रस्ताव पर पहले सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है. यह निर्णय कोविड-19 से पैदा हालात में भारतीय कंपनियों को अवसरवादी अधिग्रहण के प्रयासों से बचाना है.

भारत ने कुछ एक प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़ कर बाकी उद्योगों में निवेश को स्वत: स्वीकृत मार्ग से खोल दिया है. इस मार्ग से विदेशी निवेशक को सरकार के किसी विभाग से अनुमति लेने के बजाय केवल भारतीय रिजर्व बैंकों निवेश की सूचना करने मात्र की जरूरत होती है ताकि निवेश सरल हो.

(पीटीआई-भाषा)

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