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सुप्रीम कोर्ट ने ऋण स्थगन के बारे में केन्द्र और आरबीआई से मांगा जवाब - सुप्रीम कोर्ट ने ऋण स्थगन के बारे में केन्द्र और आरबीआई से मांगा जवाब,

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और आरबीआई को क्रेडाई की याचिका पर नोटिस जारी किया कि क्या रियल एस्टेट कंपनियां केंद्रीय बैंक की ऋण स्थगन नीति के लिए पात्र हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने ऋण स्थगन के बारे में केन्द्र और आरबीआई से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने ऋण स्थगन के बारे में केन्द्र और आरबीआई से मांगा जवाब
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Published : May 15, 2020, 3:36 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को रियल इस्टेट के कारोबारियों के संगठन क्रेडाई की याचिका पर केन्द्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किये. क्रेडाई जानना चाहता है कि क्या रियल इस्टेट कंपनियां रिजर्व बैंक की ऋण अदायगी स्थगन की नीति के लाभ की पात्र हैं या नहीं.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने क्रेडाई की याचिका पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुये रिजर्व बैंक और अन्य से जवाब मांगा . इस संगठन का आरोप है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या रियल इस्टेट कंपनियां इस नीति का लाभ पाने की हकदार हैं या नहीं.

ये भी पढ़ें- अमेरिका में 3.6 करोड़ लोग हुए बेरोजगार

इस संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष दलील दी कि रिजर्व बैंक के सर्कुलर और रियल इस्टेट के कारोबारियों पर इसे लागू किये जाने के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है.

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का सर्कुलर बैंकों के लिये बाध्यकारी है लकिन कुछ बैंक ऋण स्थगन नीति का लाभ रियल इस्टेट कारोबारियों को नहीं दे रहे हैं. साल्वे ने कहा कि रिजर्व बैंक को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

केन्द्र और अन्य की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस बारे में संबंधित मंत्रालय से आवश्यक निर्देश प्राप्त करके न्यायालय को वस्तुस्थिति से अवगत करायेंगे.

इस पर पीठ ने क्रेडाई की याचिका पर नोटिस जारी करके इसकी सुनवाई दो सप्ताह के लिये स्थगित कर दी.

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा था कि एक मार्च से 31 मई के दौरान ऋण की अदायगी स्थगित रखने संबंधी उसके सर्कुलर पर ईमानदारी से अमल किया जाये क्योंकि ऐसा लगता है कि बैंक इसका लाभ कर्ज लेने वालों को नहीं दे रहे हैं.

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर देश में लागू लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पर पड़े असर को ध्यान में रखते हुये रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी करके सभी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को कर्ज की किश्तों की अदायगी में तीन महीने की ढील देने की छूट दी थी.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को रियल इस्टेट के कारोबारियों के संगठन क्रेडाई की याचिका पर केन्द्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किये. क्रेडाई जानना चाहता है कि क्या रियल इस्टेट कंपनियां रिजर्व बैंक की ऋण अदायगी स्थगन की नीति के लाभ की पात्र हैं या नहीं.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने क्रेडाई की याचिका पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुये रिजर्व बैंक और अन्य से जवाब मांगा . इस संगठन का आरोप है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या रियल इस्टेट कंपनियां इस नीति का लाभ पाने की हकदार हैं या नहीं.

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इस संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष दलील दी कि रिजर्व बैंक के सर्कुलर और रियल इस्टेट के कारोबारियों पर इसे लागू किये जाने के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है.

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का सर्कुलर बैंकों के लिये बाध्यकारी है लकिन कुछ बैंक ऋण स्थगन नीति का लाभ रियल इस्टेट कारोबारियों को नहीं दे रहे हैं. साल्वे ने कहा कि रिजर्व बैंक को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

केन्द्र और अन्य की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस बारे में संबंधित मंत्रालय से आवश्यक निर्देश प्राप्त करके न्यायालय को वस्तुस्थिति से अवगत करायेंगे.

इस पर पीठ ने क्रेडाई की याचिका पर नोटिस जारी करके इसकी सुनवाई दो सप्ताह के लिये स्थगित कर दी.

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा था कि एक मार्च से 31 मई के दौरान ऋण की अदायगी स्थगित रखने संबंधी उसके सर्कुलर पर ईमानदारी से अमल किया जाये क्योंकि ऐसा लगता है कि बैंक इसका लाभ कर्ज लेने वालों को नहीं दे रहे हैं.

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर देश में लागू लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पर पड़े असर को ध्यान में रखते हुये रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी करके सभी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को कर्ज की किश्तों की अदायगी में तीन महीने की ढील देने की छूट दी थी.

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