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सेबी ने म्यूचुअल फंड उद्योग के लिये कमीशन, खुलासा नियमों में किया सुधार - एसआईपी

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एसआईपी प्रवाह के आधार पर निवेश बने रहते तक कमीशन मद में अग्रिम कमीशन के लिये जरूरी शर्तों को संशोधित किया है.

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Published : Mar 26, 2019, 1:09 PM IST

नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को म्यूचुअल फंड उद्योग के लिये कमीशन की समीक्षा की तथा उसमें संशोधन किये. साथ ही खुलासा नियामों में भी बदलाव किये। उल्लेखनीय है कि नियामक ने अक्टूबर 2018 में संपत्ति प्रबंधन कंपनियों से सभी योजनाओं में निवेश में बने रहने तक कमीशन लेने के माडल (ट्रेल मॉडल) तथा एसआईपी के जरिये होने वाले निवेश में अग्रिम कमीशन लेने को कहा था.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एसआईपी प्रवाह के आधार पर निवेश बने रहते तक कमीशन मद में अग्रिम कमीशन के लिये जरूरी शर्तों को संशोधित किया है. सेबी ने एक परिपत्र में कहा, "निवेश में बने रहने तक लगने वाले कमीशन का अग्रिम भुगतान प्रति योजना 3,000 रुपये तक मासिक एसआईपी के उन निवेशकों के लिये हो सकता है जो कि म्यूचुअल फंड योजनाओं में पहली बार निवेश कर रहे हैं."

कमीशन का भुगतान संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के बही-खातों से किया जाएगा और केवल नये निवेशक द्वारा खरीदे जाने वाले पहले एसआईपी (नियोजित निवेश योजना-सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) ही अग्रिम भुगतान के लिये पात्र होंगी.

अलग-अलग तारीखों पर खरीदे गये कई एसआईपी के मामले में जिस नियोजित निवेश योजना के लिये किस्त पहले शुरू होगी, उसे ही अग्रिम भुगतान के लिये चुना जाएगा. सेबी ने कहा कि आयोग कुल व्यय अनुपात (टीईआर) का आकलन प्रत्येक योजना में नियमित और 'डायरेक्ट प्लान' के बीच अंतर के आधार पर करेगा.

टीईआर योजना के कोष का प्रतिशत है, जो म्यूचूअल फंड कंपनियां व्यय मद में वसूलती हैं. इसमें प्रशासनिक तथा प्रबंधन शुल्क शामिल हैं. संपत्ति प्रबंधन कंपनियों को सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं के टीईआर की घोषणा दैनिक आधार पर अपनी वेबसाइट पर करनी होगी. इसमें 'बुनियादी ढांचा डेट फंड' से जुड़ी योजनाएं शामिल नहीं है.

साथ ही अगर प्रबंधन अधीन परिसपंत्ति या अन्य नियामकीय जरूरतों में बदलाव के कारण टीईआर घटता या बढ़ता है, तो उसके बारे में पहले से निवेशकों को नोटिस देने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा सेबी ने खुलासा नियमों में अन्य संशोधन किया है.

इसके तहत एक दिन के कोष (ओवरनाइट फंड), अल्प अवधि का कोष (लिक्विड कोष), बहुम कम समय की अवधि के कोष (अल्ट्रा शार्ट ड्यूरेशन फंड), मुद्रा बाजार फंड (मनी मार्केट फंड) के प्रदर्शन के बारे में खुलासा नियमों से छूट दी गयी है. लेकिन इसके लिये शर्त है कि ये योजनाएं एक साल से कम अवधि के लिये हों.
(भाषा)
यह भी पढ़ें : न्यूनतम आय गारंटी योजना पर आमने-सामने जेटली और चिदंबरम

नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को म्यूचुअल फंड उद्योग के लिये कमीशन की समीक्षा की तथा उसमें संशोधन किये. साथ ही खुलासा नियामों में भी बदलाव किये। उल्लेखनीय है कि नियामक ने अक्टूबर 2018 में संपत्ति प्रबंधन कंपनियों से सभी योजनाओं में निवेश में बने रहने तक कमीशन लेने के माडल (ट्रेल मॉडल) तथा एसआईपी के जरिये होने वाले निवेश में अग्रिम कमीशन लेने को कहा था.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एसआईपी प्रवाह के आधार पर निवेश बने रहते तक कमीशन मद में अग्रिम कमीशन के लिये जरूरी शर्तों को संशोधित किया है. सेबी ने एक परिपत्र में कहा, "निवेश में बने रहने तक लगने वाले कमीशन का अग्रिम भुगतान प्रति योजना 3,000 रुपये तक मासिक एसआईपी के उन निवेशकों के लिये हो सकता है जो कि म्यूचुअल फंड योजनाओं में पहली बार निवेश कर रहे हैं."

कमीशन का भुगतान संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के बही-खातों से किया जाएगा और केवल नये निवेशक द्वारा खरीदे जाने वाले पहले एसआईपी (नियोजित निवेश योजना-सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) ही अग्रिम भुगतान के लिये पात्र होंगी.

अलग-अलग तारीखों पर खरीदे गये कई एसआईपी के मामले में जिस नियोजित निवेश योजना के लिये किस्त पहले शुरू होगी, उसे ही अग्रिम भुगतान के लिये चुना जाएगा. सेबी ने कहा कि आयोग कुल व्यय अनुपात (टीईआर) का आकलन प्रत्येक योजना में नियमित और 'डायरेक्ट प्लान' के बीच अंतर के आधार पर करेगा.

टीईआर योजना के कोष का प्रतिशत है, जो म्यूचूअल फंड कंपनियां व्यय मद में वसूलती हैं. इसमें प्रशासनिक तथा प्रबंधन शुल्क शामिल हैं. संपत्ति प्रबंधन कंपनियों को सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं के टीईआर की घोषणा दैनिक आधार पर अपनी वेबसाइट पर करनी होगी. इसमें 'बुनियादी ढांचा डेट फंड' से जुड़ी योजनाएं शामिल नहीं है.

साथ ही अगर प्रबंधन अधीन परिसपंत्ति या अन्य नियामकीय जरूरतों में बदलाव के कारण टीईआर घटता या बढ़ता है, तो उसके बारे में पहले से निवेशकों को नोटिस देने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा सेबी ने खुलासा नियमों में अन्य संशोधन किया है.

इसके तहत एक दिन के कोष (ओवरनाइट फंड), अल्प अवधि का कोष (लिक्विड कोष), बहुम कम समय की अवधि के कोष (अल्ट्रा शार्ट ड्यूरेशन फंड), मुद्रा बाजार फंड (मनी मार्केट फंड) के प्रदर्शन के बारे में खुलासा नियमों से छूट दी गयी है. लेकिन इसके लिये शर्त है कि ये योजनाएं एक साल से कम अवधि के लिये हों.
(भाषा)
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नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को म्यूचुअल फंड उद्योग के लिये कमीशन की समीक्षा की तथा उसमें संशोधन किये. साथ ही खुलासा नियामों में भी बदलाव किये। उल्लेखनीय है कि नियामक ने अक्टूबर 2018 में संपत्ति प्रबंधन कंपनियों से सभी योजनाओं में निवेश में बने रहने तक कमीशन लेने के माडल (ट्रेल मॉडल) तथा एसआईपी के जरिये होने वाले निवेश में अग्रिम कमीशन लेने को कहा था.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एसआईपी प्रवाह के आधार पर निवेश बने रहते तक कमीशन मद में अग्रिम कमीशन के लिये जरूरी शर्तों को संशोधित किया है. सेबी ने एक परिपत्र में कहा, "निवेश में बने रहने तक लगने वाले कमीशन का अग्रिम भुगतान प्रति योजना 3,000 रुपये तक मासिक एसआईपी के उन निवेशकों के लिये हो सकता है जो कि म्यूचुअल फंड योजनाओं में पहली बार निवेश कर रहे हैं."

कमीशन का भुगतान संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के बही-खातों से किया जाएगा और केवल नये निवेशक द्वारा खरीदे जाने वाले पहले एसआईपी (नियोजित निवेश योजना-सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) ही अग्रिम भुगतान के लिये पात्र होंगी.

अलग-अलग तारीखों पर खरीदे गये कई एसआईपी के मामले में जिस नियोजित निवेश योजना के लिये किस्त पहले शुरू होगी, उसे ही अग्रिम भुगतान के लिये चुना जाएगा. सेबी ने कहा कि आयोग कुल व्यय अनुपात (टीईआर) का आकलन प्रत्येक योजना में नियमित और 'डायरेक्ट प्लान' के बीच अंतर के आधार पर करेगा.

टीईआर योजना के कोष का प्रतिशत है, जो म्यूचूअल फंड कंपनियां व्यय मद में वसूलती हैं. इसमें प्रशासनिक तथा प्रबंधन शुल्क शामिल हैं. संपत्ति प्रबंधन कंपनियों को सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं के टीईआर की घोषणा दैनिक आधार पर अपनी वेबसाइट पर करनी होगी. इसमें 'बुनियादी ढांचा डेट फंड' से जुड़ी योजनाएं शामिल नहीं है.

साथ ही अगर प्रबंधन अधीन परिसपंत्ति या अन्य नियामकीय जरूरतों में बदलाव के कारण टीईआर घटता या बढ़ता है, तो उसके बारे में पहले से निवेशकों को नोटिस देने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा सेबी ने खुलासा नियमों में अन्य संशोधन किया है.

इसके तहत एक दिन के कोष (ओवरनाइट फंड), अल्प अवधि का कोष (लिक्विड कोष), बहुम कम समय की अवधि के कोष (अल्ट्रा शार्ट ड्यूरेशन फंड), मुद्रा बाजार फंड (मनी मार्केट फंड) के प्रदर्शन के बारे में खुलासा नियमों से छूट दी गयी है. लेकिन इसके लिये शर्त है कि ये योजनाएं एक साल से कम अवधि के लिये हों.

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