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बैंकों को आईबीसी के तहत निजी गारंटर के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत देने वाली अधिसूचना बरकरार

याचिकाकर्ताओं ने आईबीसी और अन्य प्रावधानों के तहत जारी 15 नवंबर 2019 की अधिसूचना को चुनौती दी थी, जो कॉरपोरेट देनदारों को व्यक्तिगत गारंटी देने वालों से संबंधित हैं.

बैंकों को आईबीसी के तहत निजी गारंटर के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत देने वाली अधिसूचना बरकरार
बैंकों को आईबीसी के तहत निजी गारंटर के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत देने वाली अधिसूचना बरकरार
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Published : May 21, 2021, 2:53 PM IST

Updated : May 21, 2021, 5:39 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र की उस अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें बैंकों को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत ऋण वसूली के लिए व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि आईबीसी के तहत समाधान योजना की मंजूरी से बैंकों के प्रति व्यक्तिगत गारंटरों की देनदारी खत्म नहीं हो जाती.

न्यायमूर्ति भट ने फैसले के निष्कर्ष को पढ़ते हुए कहा, 'फैसले में हमने अधिसूचना को बरकरार रखा है.'

ये भी पढ़ें : अब 30 सितंबर तक भर सकेंगे आयकर रिटर्न, जून में आएगा नया पोर्टल

याचिकाकर्ताओं ने आईबीसी और अन्य प्रावधानों के तहत जारी 15 नवंबर 2019 की अधिसूचना को चुनौती दी थी, जो कॉरपोरेट देनदारों को व्यक्तिगत गारंटी देने वालों से संबंधित हैं.

अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी कंपनी के लिए दिवालिया समाधान योजना शुरू होने से व्यक्तियों द्वारा वित्तीय संस्थानों के बकाया भुगतान के प्रति दी गई कॉरपोरेट गारंटी खत्म नहीं होती.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र की उस अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें बैंकों को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत ऋण वसूली के लिए व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि आईबीसी के तहत समाधान योजना की मंजूरी से बैंकों के प्रति व्यक्तिगत गारंटरों की देनदारी खत्म नहीं हो जाती.

न्यायमूर्ति भट ने फैसले के निष्कर्ष को पढ़ते हुए कहा, 'फैसले में हमने अधिसूचना को बरकरार रखा है.'

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याचिकाकर्ताओं ने आईबीसी और अन्य प्रावधानों के तहत जारी 15 नवंबर 2019 की अधिसूचना को चुनौती दी थी, जो कॉरपोरेट देनदारों को व्यक्तिगत गारंटी देने वालों से संबंधित हैं.

अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी कंपनी के लिए दिवालिया समाधान योजना शुरू होने से व्यक्तियों द्वारा वित्तीय संस्थानों के बकाया भुगतान के प्रति दी गई कॉरपोरेट गारंटी खत्म नहीं होती.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : May 21, 2021, 5:39 PM IST
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