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न्यायालय को सरकारी तथा सार्वजनिक वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की याचिका पर नोटिस

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर यचिका का संज्ञान लेते हुये केन्द्र को नोटिस जारी किया. सड़क परिवहन मंत्रालय को चार सप्ताह के अंदर नोटिस का जवाब देना है.

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न्यायालय को सरकारी तथा सार्वजनिक वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की याचिका पर नोटिस
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Published : Jan 17, 2020, 4:14 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के लिये दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा. याचिका में वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए सभी सार्वजनिक वाहनों और सरकारी वाहनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की केंद्र की नीति के क्रियान्वयन का अनुरोध किया गया है.

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर यचिका का संज्ञान लेते हुये केन्द्र को नोटिस जारी किया. सड़क परिवहन मंत्रालय को चार सप्ताह के अंदर नोटिस का जवाब देना है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की अपनी खुद की नीति का पालन करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए.

ये भी पढ़ें: अमेजन 2025 तक भारत में देगी 10 लाख नौकरियां

इस संगठन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह योजना वायु प्रदूषण पर रोक लगाने और कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के लिए तैयार की गई थी. उन्होने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों को ठीक से चार्ज करने के लिये बुनियादी सुविधायें विकसित करने की आवश्यकता है.

पिछले वर्ष मार्च में शीर्ष अदालत ने केंद्र को यह बताने के लिये कहा था कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए उसने अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं. पीठ ने इस याचिका को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया है.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के लिये दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा. याचिका में वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए सभी सार्वजनिक वाहनों और सरकारी वाहनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की केंद्र की नीति के क्रियान्वयन का अनुरोध किया गया है.

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर यचिका का संज्ञान लेते हुये केन्द्र को नोटिस जारी किया. सड़क परिवहन मंत्रालय को चार सप्ताह के अंदर नोटिस का जवाब देना है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की अपनी खुद की नीति का पालन करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए.

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इस संगठन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह योजना वायु प्रदूषण पर रोक लगाने और कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के लिए तैयार की गई थी. उन्होने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों को ठीक से चार्ज करने के लिये बुनियादी सुविधायें विकसित करने की आवश्यकता है.

पिछले वर्ष मार्च में शीर्ष अदालत ने केंद्र को यह बताने के लिये कहा था कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए उसने अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं. पीठ ने इस याचिका को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया है.

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के लिये दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा. याचिका में वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए सभी सार्वजनिक वाहनों और सरकारी वाहनों को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की केंद्र की नीति के क्रियान्वयन का अनुरोध किया गया है.

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर यचिका का संज्ञान लेते हुये केन्द्र को नोटिस जारी किया. सड़क परिवहन मंत्रालय को चार सप्ताह के अंदर नोटिस का जवाब देना है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने की अपनी खुद की नीति का पालन करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए.

इस संगठन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह योजना वायु प्रदूषण पर रोक लगाने और कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के लिए तैयार की गई थी. उन्होने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों को ठीक से चार्ज करने के लिये बुनियादी सुविधायें विकसित करने की आवश्यकता है.

पिछले वर्ष मार्च में शीर्ष अदालत ने केंद्र को यह बताने के लिये कहा था कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए उसने अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं. पीठ ने इस याचिका को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया है.

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