ETV Bharat / business

बैंक आम्रपाली समूह में मकान खरीदारों के शेष ऋण का भुगतान करें: न्यायालय

शीर्ष अदालत ने कहा कि आम्रपाली समूह की आवासीय परियोजनायें कई वर्षों से अधर में लटकी हैं और बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेने वाले खरीदार अपने निवेश का लाभ भी नहीं उठा पाये हैं. ऐसी स्थिति में मकान खरीदारों के लिये अपने जीवन काल में इस कर्ज की अदायगी मुश्किल हो जायेगी.

बैंक आम्रपाली समूह में मकान खरीदारों के शेष ऋण का भुगतान करें: न्यायालय
बैंक आम्रपाली समूह में मकान खरीदारों के शेष ऋण का भुगतान करें: न्यायालय
author img

By

Published : Jun 10, 2020, 10:41 PM IST

नई दिल्ली: आम्रपाली समूह के हजारों मकान खरीदारों की मदद के लिये आगे आते हुये उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सभी वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया कि वे इन खरीदारों के कर्ज की बकाया राशि का भुगतान करें और इस धनराशि का पुनर्गठन करें.

शीर्ष अदालत ने कहा कि आम्रपाली समूह की आवासीय परियोजनायें कई वर्षों से अधर में लटकी हैं और बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेने वाले खरीदार अपने निवेश का लाभ भी नहीं उठा पाये हैं. ऐसी स्थिति में मकान खरीदारों के लिये अपने जीवन काल में इस कर्ज की अदायगी मुश्किल हो जायेगी.

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने कहा, "यदि ये परियोजनायें पूरी नहीं हुयी और मकान खरीदार भी अपने फ्लैट का कब्जा मिलने के प्रति आश्वस्त नहीं हुये तो उनके लिये बैंकों की बकाया राशि का भुगतान करना ही मुश्किल हो जायेगा. यह मकान खरीदारों और बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं के हित में होगा क्योंकि परियोजना पूरी होने पर वे प्रभावी तरीके से अपनी रकम वापस ले सकेंगे."

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को निर्देश देते हैं कि वे मकान खरीदारों के खाते एनपीए घोषित किये जाने के तथ्य के बावजूद उन मकान खरीदारों का कर्ज जारी करें जिनके ऋण मंजूर हो चुके थे. कर्ज की राशि का पुनर्गठन किया जाये. ऋण देने के रिजर्व बैंक के मौजूदा मानकों और ब्याज की निर्धारित दरों के तहत यह जारी किया जाये."

पीठ ने कहा कि इस मामले के विचित्र तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर यह कर्ज रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित वर्तमान ब्याज दर के आधार पर दिया जाये और इसका दीर्घकालीन पुनर्गठन किया जाये ताकि निर्माण पूरा हो सकें और खरीदार कर्ज अदा कर सकें.

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्रालय का 19 कानूनों में मामूली उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव

शीर्ष अदालत ने इस मामले में न्यायालय द्वारा नियुक्त रिसीवर वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणी के आवेदन पर यह आदेश दिया. न्यायालय ने हजारों मकान खरीदारों की करोड़ों रुपए की रकम हड़पने वाले आम्रपाली समूह का पंजीकरण पिछले साल रद्द करने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटरमणी को इस संपत्ति का संरक्षक नियुक्त किया था.

इससे पहले, रिजर्व बैंक ने न्यायालय को सूचित किया था कि उसके निर्देश उन मकान खरीदारों को कर्ज देने में बाधक नहीं हैं, जिनके खाते एनपीए घोषित किये गये हैं और कर्ज की रकम जारी करना बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं पर निर्भर करता है.

वेंकटरमणी ने अपने आवेदन में रिजर्व बैंक को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह आम्रपाली समूह में मकान खरीदने वालों के लिये कर्ज मंजूर करने वाले सारे बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को ऋण की संपूर्ण बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: आम्रपाली समूह के हजारों मकान खरीदारों की मदद के लिये आगे आते हुये उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सभी वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया कि वे इन खरीदारों के कर्ज की बकाया राशि का भुगतान करें और इस धनराशि का पुनर्गठन करें.

शीर्ष अदालत ने कहा कि आम्रपाली समूह की आवासीय परियोजनायें कई वर्षों से अधर में लटकी हैं और बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेने वाले खरीदार अपने निवेश का लाभ भी नहीं उठा पाये हैं. ऐसी स्थिति में मकान खरीदारों के लिये अपने जीवन काल में इस कर्ज की अदायगी मुश्किल हो जायेगी.

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने कहा, "यदि ये परियोजनायें पूरी नहीं हुयी और मकान खरीदार भी अपने फ्लैट का कब्जा मिलने के प्रति आश्वस्त नहीं हुये तो उनके लिये बैंकों की बकाया राशि का भुगतान करना ही मुश्किल हो जायेगा. यह मकान खरीदारों और बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं के हित में होगा क्योंकि परियोजना पूरी होने पर वे प्रभावी तरीके से अपनी रकम वापस ले सकेंगे."

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को निर्देश देते हैं कि वे मकान खरीदारों के खाते एनपीए घोषित किये जाने के तथ्य के बावजूद उन मकान खरीदारों का कर्ज जारी करें जिनके ऋण मंजूर हो चुके थे. कर्ज की राशि का पुनर्गठन किया जाये. ऋण देने के रिजर्व बैंक के मौजूदा मानकों और ब्याज की निर्धारित दरों के तहत यह जारी किया जाये."

पीठ ने कहा कि इस मामले के विचित्र तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर यह कर्ज रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित वर्तमान ब्याज दर के आधार पर दिया जाये और इसका दीर्घकालीन पुनर्गठन किया जाये ताकि निर्माण पूरा हो सकें और खरीदार कर्ज अदा कर सकें.

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्रालय का 19 कानूनों में मामूली उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव

शीर्ष अदालत ने इस मामले में न्यायालय द्वारा नियुक्त रिसीवर वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणी के आवेदन पर यह आदेश दिया. न्यायालय ने हजारों मकान खरीदारों की करोड़ों रुपए की रकम हड़पने वाले आम्रपाली समूह का पंजीकरण पिछले साल रद्द करने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटरमणी को इस संपत्ति का संरक्षक नियुक्त किया था.

इससे पहले, रिजर्व बैंक ने न्यायालय को सूचित किया था कि उसके निर्देश उन मकान खरीदारों को कर्ज देने में बाधक नहीं हैं, जिनके खाते एनपीए घोषित किये गये हैं और कर्ज की रकम जारी करना बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं पर निर्भर करता है.

वेंकटरमणी ने अपने आवेदन में रिजर्व बैंक को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह आम्रपाली समूह में मकान खरीदने वालों के लिये कर्ज मंजूर करने वाले सारे बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को ऋण की संपूर्ण बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दे.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.