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रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, गेहूं की कीमत बढ़कर ₹2,300 प्रति क्विंटल पहुंची !

रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine crisis) का असर भारत में दिखने लगा है. पिछले कुछ दिनों में, गेहूं की कीमतें 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ 2,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं. विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रवृत्ति अप्रैल से नई आपूर्ति आने तक जारी रहने की संभावना है.

wheat prices set to rise
घरेलू गेहूं की कीमत
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Published : Mar 3, 2022, 6:21 PM IST

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine crisis) का असर गेहूं और सनफ्लावर ऑयल की घरेलू बिक्री कीमतों पर पड़ेगा. दोनों देश भारी मात्रा में गेहूं का उत्पादन करते हैं, जबकि यूक्रेन दुनिया के सबसे बड़े सूरजमुखी के बीज निर्यातकों में से एक है. विश्लेषकों ने कहा कि हालांकि भारत गेहूं में आत्मनिर्भर है, लेकिन यह कुछ मात्रा में हाईग्रेड अनाज का आयात करता है. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूसी और यूक्रेनी गेहूं में कमी से भारतीय निर्यातकों के लिए एक आकर्षक अवसर मिलेगा, जिससे घरेलू कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी होगी.

हाल ही में, घरेलू गेहूं की कीमतें 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ 2,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं. यह प्रवृत्ति अप्रैल से नई आपूर्ति आने तक जारी रहने की संभावना है. हालांकि, सूरजमुखी के बीज के मामले में भारत यूक्रेन और रूसी आयात पर बहुत अधिक निर्भर है. आयात अपेक्षाकृत सस्ता विकल्प है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षो से भारत का सूरजमुखी बीज उत्पादन लगातार 60,000 टन के करीब बना हुआ है. ऐसे में भारत कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) के जरिए अपनी जरूरत पूरी कर सकता है. हालांकि, हाल ही में सीपीओ की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है.

कृषि-वस्तुओं की कीमतों के ये रुझान हालांकि शुरुआती चरणों में मुद्रास्फीति बढ़ाएंगे. पहले से ही, भारत का मुख्य मुद्रास्फीति गेज - उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जो खुदरा मुद्रास्फीति को दर्शाता है, जनवरी में भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा को पार कर चुका है. इसके अलावा, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में वृद्धि की दर, जो खाद्य उत्पादों की खुदरा कीमतों में बदलाव को मापती है, पिछले महीने दिसंबर 2021 में 4.05 प्रतिशत से बढ़कर 5.43 प्रतिशत हो गई. यह प्रवृत्ति महत्व रखती है, क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति दर भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा को पार कर गई है. केंद्रीय बैंक का सीपीआई लक्ष्य 2 से 6 प्रतिशत है.

आईआईएफएल सिक्योरिटीज के रिसर्च वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने कहा, 'घरेलू गेहूं की कीमतों में 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष से घरेलू कीमतों पर दबाव बढ़ेगा.' उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि ताजा आपूर्ति आने तक कीमतें ऊंची बनी रहेंगी.'

यह भी पढ़ें- यूक्रेन-रूस युद्ध से भारत में बढ़े खाद्य तेल के दाम, जानें कितना हुआ महंगा

कमोडिटीज एंड करेंसी कैपिटल वाया ग्लोबल रिसर्च के लीड क्षितिज पुरोहित ने कहा, 'रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण गेहूं और सूरजमुखी के बीज दोनों की घरेलू कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है. गेहूं की कीमतों में लगभग 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है. सूरजमुखी के तेल की कीमतों में भी वृद्धि हुई है. सूरजमुखी के बीजों की कीमतों में वृद्धि ने भी सीपीओ की कीमतों को ऊंचा किया है.'

क्रिसिल रिसर्च के निदेशक हेतल गांधी ने कहा कि रूस और यूक्रेन में चल रहे भू-राजनीतिक मुद्दों के साथ भारत बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया और अफ्रीकी देशों में अपने (गेहूं) निर्यात का विस्तार कर सकता है. हमें अगले 3 से 6 महीनों में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना दिखती है. उन्होंने कहा, 'अगले 3-6 महीनों में सूरजमुखी के तेल के कम आयात के कारण भारतीय उपभोक्ता सोया और ताड़ के तेल की ओर रुख कर सकते हैं और इसलिए, आने वाले छह महीनों में सूरजमुखी के तेल की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है.'

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine crisis) का असर गेहूं और सनफ्लावर ऑयल की घरेलू बिक्री कीमतों पर पड़ेगा. दोनों देश भारी मात्रा में गेहूं का उत्पादन करते हैं, जबकि यूक्रेन दुनिया के सबसे बड़े सूरजमुखी के बीज निर्यातकों में से एक है. विश्लेषकों ने कहा कि हालांकि भारत गेहूं में आत्मनिर्भर है, लेकिन यह कुछ मात्रा में हाईग्रेड अनाज का आयात करता है. इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूसी और यूक्रेनी गेहूं में कमी से भारतीय निर्यातकों के लिए एक आकर्षक अवसर मिलेगा, जिससे घरेलू कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी होगी.

हाल ही में, घरेलू गेहूं की कीमतें 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ 2,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं. यह प्रवृत्ति अप्रैल से नई आपूर्ति आने तक जारी रहने की संभावना है. हालांकि, सूरजमुखी के बीज के मामले में भारत यूक्रेन और रूसी आयात पर बहुत अधिक निर्भर है. आयात अपेक्षाकृत सस्ता विकल्प है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षो से भारत का सूरजमुखी बीज उत्पादन लगातार 60,000 टन के करीब बना हुआ है. ऐसे में भारत कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) के जरिए अपनी जरूरत पूरी कर सकता है. हालांकि, हाल ही में सीपीओ की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है.

कृषि-वस्तुओं की कीमतों के ये रुझान हालांकि शुरुआती चरणों में मुद्रास्फीति बढ़ाएंगे. पहले से ही, भारत का मुख्य मुद्रास्फीति गेज - उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जो खुदरा मुद्रास्फीति को दर्शाता है, जनवरी में भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा को पार कर चुका है. इसके अलावा, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में वृद्धि की दर, जो खाद्य उत्पादों की खुदरा कीमतों में बदलाव को मापती है, पिछले महीने दिसंबर 2021 में 4.05 प्रतिशत से बढ़कर 5.43 प्रतिशत हो गई. यह प्रवृत्ति महत्व रखती है, क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति दर भारतीय रिजर्व बैंक की लक्ष्य सीमा को पार कर गई है. केंद्रीय बैंक का सीपीआई लक्ष्य 2 से 6 प्रतिशत है.

आईआईएफएल सिक्योरिटीज के रिसर्च वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने कहा, 'घरेलू गेहूं की कीमतों में 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष से घरेलू कीमतों पर दबाव बढ़ेगा.' उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि ताजा आपूर्ति आने तक कीमतें ऊंची बनी रहेंगी.'

यह भी पढ़ें- यूक्रेन-रूस युद्ध से भारत में बढ़े खाद्य तेल के दाम, जानें कितना हुआ महंगा

कमोडिटीज एंड करेंसी कैपिटल वाया ग्लोबल रिसर्च के लीड क्षितिज पुरोहित ने कहा, 'रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण गेहूं और सूरजमुखी के बीज दोनों की घरेलू कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है. गेहूं की कीमतों में लगभग 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है. सूरजमुखी के तेल की कीमतों में भी वृद्धि हुई है. सूरजमुखी के बीजों की कीमतों में वृद्धि ने भी सीपीओ की कीमतों को ऊंचा किया है.'

क्रिसिल रिसर्च के निदेशक हेतल गांधी ने कहा कि रूस और यूक्रेन में चल रहे भू-राजनीतिक मुद्दों के साथ भारत बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया और अफ्रीकी देशों में अपने (गेहूं) निर्यात का विस्तार कर सकता है. हमें अगले 3 से 6 महीनों में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना दिखती है. उन्होंने कहा, 'अगले 3-6 महीनों में सूरजमुखी के तेल के कम आयात के कारण भारतीय उपभोक्ता सोया और ताड़ के तेल की ओर रुख कर सकते हैं और इसलिए, आने वाले छह महीनों में सूरजमुखी के तेल की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है.'

(आईएएनएस)

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