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बैंकों में घोटाला होने पर नियामक, आडिटर को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए: ठाकुर

ठाकुर ने कहा कि पीएमसी बैंक के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने निकासी की सीमा बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दी है. इसके तहत बैंक के करीब 77 प्रतिशत प्रभावित लोग आ गये हैं. इन लोगों को एक लाख रुपये तक की निकासी का आश्वासन दिया गया है.

बैंकों में घोटाला होने पर नियामक, आडिटर को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए: ठाकुर
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Published : Oct 17, 2019, 8:13 PM IST

नई दिल्ली: पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक हो या कोई अन्य बैंक, बैंकों में घोटाला होने पर नियामक, आडिटर और प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को यह बात कही.

ठाकुर ने कहा कि पीएमसी बैंक के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने निकासी की सीमा बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दी है. इसके तहत बैंक के करीब 77 प्रतिशत प्रभावित लोग आ गये हैं. इन लोगों को एक लाख रुपये तक की निकासी का आश्वासन दिया गया है.

वित्त राज्यमंत्री ने गुरुवार को टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकनॉमिक कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि जहां तक पीएमसी बैंक या अन्य बैंकों का सवाल है, सबसे पहले मुद्दों को देखने की जिम्मेदारी नियामकों की होती है. इसके अलावा आडिटरों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

बैंक प्रबंधन रोजाना का कामकाज देखता है और यदि कोई धोखाधड़ी में शामिल है तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्रवाई करता है. इस मामले में लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उनकी संपत्तियां कुर्क की गई हैं. उनसे पीएमसी बैंक के संकट और जमाकर्ताओं के समक्ष आ रही परेशानियों के बारे में पूछा गया था.

ये भी पढ़ें: जुलाई-सितंबर में रीयल्टी बाजार की धारणा नोटबंदी के स्तर पर पहुंची: रिपोर्ट

ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार ने सुधारों के जरिये बैंकों के बही खाते को मजबूत किया है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-दो के कार्यकाल में बैंकों से भारी मात्रा में कर्ज दिया गया जिसकी वजह से उनकी स्थिति बिगड़ी है.

उन्होंने कहा, "यह सब संप्रग-दो सरकार में हुआ. वर्ष 2009 तक बैंकों द्वारा दिया गया कुल कर्ज जहां 18 लाख करोड़ रुपये था वहीं 2014 में यह उछलकर 58 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया."

उन्होंने कहा, "जब हम सत्ता में आए तो दिवंगत अरुण जेटली जी ने बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा कराई. हमने बैंकों के बही खाते को साफ सुथरा किया. हमने बैंकों में पूंजी डाली. हमने बैंकों का विलय किया जिसका सुझाव 20 साल पहले आया था."

ठाकुर ने कहा कि आज बैंक मुनाफा कमा रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक पर तीन साल पहले सवालों के घेरे में था. आज यह मुनाफे में है. हम दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता और भगोड़ा आर्थिक अपराधी जैसे विधेयक लेकर आए. उन्होंने कहा कि सिर्फ दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता की वजह से हम 1.78 लाख करोड़ रुपये वापस पाने में सफल हुए.

ठाकुर ने कहा कि इससे कर्जदार और कर्जदाता का रिश्ता सुधरा. हमने बैंकों के जरिये गैर बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफसी) का 3,44,830 करोड़ रुपये का वित्तपोषण किया. सभी कदम उठाए गए हैं. मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे फैसले ले रही है जिससे अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होगी.

नई दिल्ली: पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक हो या कोई अन्य बैंक, बैंकों में घोटाला होने पर नियामक, आडिटर और प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को यह बात कही.

ठाकुर ने कहा कि पीएमसी बैंक के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने निकासी की सीमा बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दी है. इसके तहत बैंक के करीब 77 प्रतिशत प्रभावित लोग आ गये हैं. इन लोगों को एक लाख रुपये तक की निकासी का आश्वासन दिया गया है.

वित्त राज्यमंत्री ने गुरुवार को टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकनॉमिक कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि जहां तक पीएमसी बैंक या अन्य बैंकों का सवाल है, सबसे पहले मुद्दों को देखने की जिम्मेदारी नियामकों की होती है. इसके अलावा आडिटरों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

बैंक प्रबंधन रोजाना का कामकाज देखता है और यदि कोई धोखाधड़ी में शामिल है तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्रवाई करता है. इस मामले में लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उनकी संपत्तियां कुर्क की गई हैं. उनसे पीएमसी बैंक के संकट और जमाकर्ताओं के समक्ष आ रही परेशानियों के बारे में पूछा गया था.

ये भी पढ़ें: जुलाई-सितंबर में रीयल्टी बाजार की धारणा नोटबंदी के स्तर पर पहुंची: रिपोर्ट

ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार ने सुधारों के जरिये बैंकों के बही खाते को मजबूत किया है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-दो के कार्यकाल में बैंकों से भारी मात्रा में कर्ज दिया गया जिसकी वजह से उनकी स्थिति बिगड़ी है.

उन्होंने कहा, "यह सब संप्रग-दो सरकार में हुआ. वर्ष 2009 तक बैंकों द्वारा दिया गया कुल कर्ज जहां 18 लाख करोड़ रुपये था वहीं 2014 में यह उछलकर 58 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया."

उन्होंने कहा, "जब हम सत्ता में आए तो दिवंगत अरुण जेटली जी ने बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा कराई. हमने बैंकों के बही खाते को साफ सुथरा किया. हमने बैंकों में पूंजी डाली. हमने बैंकों का विलय किया जिसका सुझाव 20 साल पहले आया था."

ठाकुर ने कहा कि आज बैंक मुनाफा कमा रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक पर तीन साल पहले सवालों के घेरे में था. आज यह मुनाफे में है. हम दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता और भगोड़ा आर्थिक अपराधी जैसे विधेयक लेकर आए. उन्होंने कहा कि सिर्फ दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता की वजह से हम 1.78 लाख करोड़ रुपये वापस पाने में सफल हुए.

ठाकुर ने कहा कि इससे कर्जदार और कर्जदाता का रिश्ता सुधरा. हमने बैंकों के जरिये गैर बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफसी) का 3,44,830 करोड़ रुपये का वित्तपोषण किया. सभी कदम उठाए गए हैं. मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे फैसले ले रही है जिससे अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होगी.

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नई दिल्ली: पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक हो या कोई अन्य बैंक, बैंकों में घोटाला होने पर नियामक, आडिटर और प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को यह बात कही.

ठाकुर ने कहा कि पीएमसी बैंक के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने निकासी की सीमा बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दी है. इसके तहत बैंक के करीब 77 प्रतिशत प्रभावित लोग आ गये हैं. इन लोगों को एक लाख रुपये तक की निकासी का आश्वासन दिया गया है.

वित्त राज्यमंत्री ने गुरुवार को टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकनॉमिक कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि जहां तक पीएमसी बैंक या अन्य बैंकों का सवाल है, सबसे पहले मुद्दों को देखने की जिम्मेदारी नियामकों की होती है. इसके अलावा आडिटरों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

बैंक प्रबंधन रोजाना का कामकाज देखता है और यदि कोई धोखाधड़ी में शामिल है तो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्रवाई करता है. इस मामले में लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उनकी संपत्तियां कुर्क की गई हैं. उनसे पीएमसी बैंक के संकट और जमाकर्ताओं के समक्ष आ रही परेशानियों के बारे में पूछा गया था.

ठाकुर ने कहा कि भाजपा सरकार ने सुधारों के जरिये बैंकों के बही खाते को मजबूत किया है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-दो के कार्यकाल में बैंकों से भारी मात्रा में कर्ज दिया गया जिसकी वजह से उनकी स्थिति बिगड़ी है.

उन्होंने कहा, "यह सब संप्रग-दो सरकार में हुआ. वर्ष 2009 तक बैंकों द्वारा दिया गया कुल कर्ज जहां 18 लाख करोड़ रुपये था वहीं 2014 में यह उछलकर 58 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया."

उन्होंने कहा, "जब हम सत्ता में आए तो दिवंगत अरुण जेटली जी ने बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा कराई. हमने बैंकों के बही खाते को साफ सुथरा किया. हमने बैंकों में पूंजी डाली. हमने बैंकों का विलय किया जिसका सुझाव 20 साल पहले आया था."

ठाकुर ने कहा कि आज बैंक मुनाफा कमा रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक पर तीन साल पहले सवालों के घेरे में था. आज यह मुनाफे में है. हम दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता और भगोड़ा आर्थिक अपराधी जैसे विधेयक लेकर आए. उन्होंने कहा कि सिर्फ दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता की वजह से हम 1.78 लाख करोड़ रुपये वापस पाने में सफल हुए.

ठाकुर ने कहा कि इससे कर्जदार और कर्जदाता का रिश्ता सुधरा. हमने बैंकों के जरिये गैर बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफसी) का 3,44,830 करोड़ रुपये का वित्तपोषण किया. सभी कदम उठाए गए हैं. मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे फैसले ले रही है जिससे अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होगी.

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