नई दिल्ली: क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईसी) के 16 सदस्य देशों ने लंबित मुद्दों के समाधान के लिये 10 दिन का कार्यक्रम बनाया है. इसके तहत वे 14 लंबित मुद्दों का समाधान 22 अक्टूबर तक निकालेंगे. आरसीईपी सदस्य देश वृहत मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
बैंकाक में 12 अक्ट्रबर को हुई नौवें मंत्री स्तरीय बैठक के दौरान इन 14 मसलों को साझा किया गया. इन मसलों में से छह भारत से सबंधित हैं. इसमें ई-वाणिज्य से जुड़े डेटा संबंधित मामले, आयात में अचानक वृद्धि को रोकने के लिये स्वत: कदम उठाने की धारणा, आधार वर्ष 2014 से बदलकर 2019 करना तथा अलग-अलग शुल्क व्यवस्था शामिल हैं.
अलग-अलग शुल्क व्यवस्था के तहत भारत को उन वस्तुओं की की संख्या सीमित करनी है जिस पर वह सदस्य देशों को अलग-अलग शुल्क दरों की पेशकश करेगा. इसके अलावा 'रैटचेट' प्रणाली का मामला भी है जिसके तहत कोई देश समझौते में जतायी गयी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हट सकता है.
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आरसीईपी समझौते पर आसियान के 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड तथा वियतनाम) और उनके छह व्यापार भागीदार देश... आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड बातचीत कर रहे हैं.
भारतीय उद्योगों के कुछ वर्ग ने इस समूह में चीन की उपस्थिति को लेकर चिंता जताई है. भारत के डेयरी, धातु, इलेक्ट्रानिक्स और रसायन सहित कुछ अन्य क्षेत्रों ने सरकार से इन क्षेत्रों में शुल्क कटौती पर सहमत नहीं होने का आग्रह किया है. समझा जाता है कि आरसीईपी समझौता नवंबर तक अंतिम रूप ले लेगा और 2020 में इसपर हस्ताक्षर किये जायेंगे.