ETV Bharat / business

रिजर्व बैंक ने दिया नेत्रहीन लोगों को नोटों की पहचान करने में मदद के लिये मोबाइल एप का प्रस्ताव - महात्मा गांधी श्रृंखला

नोटों की पहचान करने में नेत्रहीन लोगों की मदद के लिये 'इंटाग्लियो प्रिंटिंग' यानी उभरे रूप से छपाई में 100 रुपये और इससे बड़ी राशि के नोट ही उपलब्ध है. रिजर्व बैंक ने मोबाइल एप बनाने के लिये तकनीकी कंपनियों से बोलियां मंगायी है.

रिजर्व बैंक ने दिया नेत्रहीन लोगों को नोटों की पहचान करने में मदद के लिये मोबाइल एप का प्रस्ताव
author img

By

Published : May 12, 2019, 2:43 PM IST

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने नेत्रहीन लोगों को नोटों की पहचान में मदद करने के लिये एक मोबाइल एप लाने का प्रस्ताव तैयार किया है. अभी देश में 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट प्रचलन में हैं. इनके अलावा भारत सरकार एक रुपये के नोट भी जारी करती है.

नोटों की पहचान करने में नेत्रहीन लोगों की मदद के लिये 'इंटाग्लियो प्रिंटिंग' यानी उभरे रूप से छपाई में 100 रुपये और इससे बड़ी राशि के नोट ही उपलब्ध है. रिजर्व बैंक ने मोबाइल एप बनाने के लिये तकनीकी कंपनियों से बोलियां मंगायी है.

ये भी पढ़ें: कामकाजी माताओं के लिये दफ्तरों में सहयोगात्मक माहौल बनाने की जरूरत: एसोचैम

केंद्रीय बैंक ने कहा है, "मोबाइल एप महात्मा गांधी श्रृंखला और महात्मा गांधी (नयी) श्रृंखला के वैध नोटों को मोबाइल कैमरा के सामने रखने या सामने से गुजारने पर पहचानने में सक्षम होना चाहिये."

इसके अलावा यह मोबाइल एप किसी भी एप स्टोर में वॉयस के जरिये खोजे जाने लायक होना चाहिये. रिजर्व बैंक ने कहा कि एप को दो सेकंड में नोट की पहचान करने में सक्षम होना चाहिये तथा यह बिना इंटरनेट के भी काम करने में सक्षम होना चाहिये.

इनके अलावा एप बहुभाषी तथा आवाज के साथ नोटिफिकेशन देने योग्य होना चाहिये. कम से कम एप हिंदी और अंग्रेजी में होना ही चाहिये. देश में 80 लाख लोग हैं जो या तो नेत्रहीन हैं या फिर उन्हें देखने में कठिनाई होती है. रिजर्व बैंक के इस कदम से इन लोगों को मदद मिलेगी.

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने नेत्रहीन लोगों को नोटों की पहचान में मदद करने के लिये एक मोबाइल एप लाने का प्रस्ताव तैयार किया है. अभी देश में 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट प्रचलन में हैं. इनके अलावा भारत सरकार एक रुपये के नोट भी जारी करती है.

नोटों की पहचान करने में नेत्रहीन लोगों की मदद के लिये 'इंटाग्लियो प्रिंटिंग' यानी उभरे रूप से छपाई में 100 रुपये और इससे बड़ी राशि के नोट ही उपलब्ध है. रिजर्व बैंक ने मोबाइल एप बनाने के लिये तकनीकी कंपनियों से बोलियां मंगायी है.

ये भी पढ़ें: कामकाजी माताओं के लिये दफ्तरों में सहयोगात्मक माहौल बनाने की जरूरत: एसोचैम

केंद्रीय बैंक ने कहा है, "मोबाइल एप महात्मा गांधी श्रृंखला और महात्मा गांधी (नयी) श्रृंखला के वैध नोटों को मोबाइल कैमरा के सामने रखने या सामने से गुजारने पर पहचानने में सक्षम होना चाहिये."

इसके अलावा यह मोबाइल एप किसी भी एप स्टोर में वॉयस के जरिये खोजे जाने लायक होना चाहिये. रिजर्व बैंक ने कहा कि एप को दो सेकंड में नोट की पहचान करने में सक्षम होना चाहिये तथा यह बिना इंटरनेट के भी काम करने में सक्षम होना चाहिये.

इनके अलावा एप बहुभाषी तथा आवाज के साथ नोटिफिकेशन देने योग्य होना चाहिये. कम से कम एप हिंदी और अंग्रेजी में होना ही चाहिये. देश में 80 लाख लोग हैं जो या तो नेत्रहीन हैं या फिर उन्हें देखने में कठिनाई होती है. रिजर्व बैंक के इस कदम से इन लोगों को मदद मिलेगी.

Intro:Body:

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने नेत्रहीन लोगों को नोटों की पहचान में मदद करने के लिये एक मोबाइल एप लाने का प्रस्ताव तैयार किया है. अभी देश में 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट प्रचलन में हैं. इनके अलावा भारत सरकार एक रुपये के नोट भी जारी करती है.

नोटों की पहचान करने में नेत्रहीन लोगों की मदद के लिये 'इंटाग्लियो प्रिंटिंग' यानी उभरे रूप से छपाई में 100 रुपये और इससे बड़ी राशि के नोट ही उपलब्ध है. रिजर्व बैंक ने मोबाइल एप बनाने के लिये तकनीकी कंपनियों से बोलियां मंगायी है.

केंद्रीय बैंक ने कहा है, "मोबाइल एप महात्मा गांधी श्रृंखला और महात्मा गांधी (नयी) श्रृंखला के वैध नोटों को मोबाइल कैमरा के सामने रखने या सामने से गुजारने पर पहचानने में सक्षम होना चाहिये."

इसके अलावा यह मोबाइल एप किसी भी एप स्टोर में वॉयस के जरिये खोजे जाने लायक होना चाहिये. रिजर्व बैंक ने कहा कि एप को दो सेकंड में नोट की पहचान करने में सक्षम होना चाहिये तथा यह बिना इंटरनेट के भी काम करने में सक्षम होना चाहिये.

इनके अलावा एप बहुभाषी तथा आवाज के साथ नोटिफिकेशन देने योग्य होना चाहिये. कम से कम एप हिंदी और अंग्रेजी में होना ही चाहिये. देश में 80 लाख लोग हैं जो या तो नेत्रहीन हैं या फिर उन्हें देखने में कठिनाई होती है. रिजर्व बैंक के इस कदम से इन लोगों को मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ें:


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.