नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया गुरुवार को मॉनिटरी रिव्यू के तहत पॉलिसी रेट्स में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. अगर आरबीआई ऐसा करता है तो यह लगातार तीसरा मौका होगा जब वह ब्याज दर घटाएगा. जानकारों का कहना है कि 2018-19 की चौथी तिमाही में इकनॉमिक ग्रोथ रेट पांच साल के निचले स्तर पर आ गया है जिसकी वजह से रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ी है.
आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मॉनिटरी रिव्यू पेश करेगी. नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहला मॉनिटरी रिव्यू होगा. पिछली दो बैठकों में भी एमपीसी पॉलिसी रेट में चौथाई-चौथाई प्रतिशत की कटौती कर चुकी है.
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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई वाली एमपीसी की तीन दिन की बैठक आज से शुरू होगी. देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी हालिया शोध रिपोर्ट में कहा था कि रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में अधिक बड़ी कटौती करनी होगी, 0.25 प्रतिशत से अधिक, जिससे इकॉनमी में सुस्ती को रोका जा सके.
कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि इकॉनमी को प्रोत्साहन के लिए आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती को जारी रखना होगा. उन्होंने कहा, "कंज्यूमर गुड्स सेक्शन में प्रोडक्शन और सेल में कमी को दूर करने की जरूरत है. यात्री कारों, दोपहिया और गैर टिकाऊ सामान क्षेत्र के सेल में बढ़ोतरी की जरूरत है."
कोटक महिंद्रा बैंक की अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) शांति एकांबरम ने कहा कि रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दलों में कटौती करना आसान है. उन्होंने कहा, "हम लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय और ब्याज दरों में कटौती दोनों की उम्मीद कर रहे हैं. ब्याज दरों में कटौती चौथाई से आधा प्रतिशत तक हो सकती है."
वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने हालांकि ब्याज दरों में कटौती पर कुछ नहीं कहा. उन्होंने यह जरूर कहा कि फरवरी से ब्याज दरों में दो बार कटौती की जा चुकी है. गर्ग ने कहा कि एमपीसी मुद्रास्फीति में कमी और इकॉनमी ग्रोथ नरम पड़ने पर गौर करते हुए फैसला करेगी.