नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस ने सोमवार को कहा कि पहली नजर में उसके शीर्ष प्रबंधन पर व्हिसिलब्लोअर समूह द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि के लिए साक्ष्य नहीं मिले हैं. यह आरोप कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों के एक समूह ने लगाया था.
व्हिसिलब्लोअर समूह का कहना है कि इंफोसिस के शीर्ष अधिकारी अल्प अवधि में कंपनी की लागत कम दिखा कर उसके वित्तीय परिणामों को चमकाने के अनैतिक कार्य में लिप्त है. कंपनी ने कहा है कि इस आरोप की पुष्टि के लिए उसे अभी तक सबूत नहीं दिये गये हैं.
ये भी पढ़ें- एयरटेल के प्रीपेड ग्राहकों को 599 रुपये के रिचार्ज पर मिलेगा चार लाख रुपये का जीवन बीमा
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में इंफोसिस ने कहा, "अज्ञात शिकायत (उसके मुख्य कार्यकारी और मुख्य वित्त अधिकारी के खिलाफ) के संबंध में प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला जिसके आधार पर कंपनी इन आरोपों की पुष्टि कर सके."
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने 24 अक्टूबर को कंपनी से व्हिसिलब्लोअर समूह के आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा था. साथ ही पूछा था कि कंपनी ने इस संबंध में शेयर बाजारों को सूचना क्यों नहीं दी.
खुद को नैतिक कर्मचारी बताने वाले एक व्हिसिलब्लोअर समूह ने अक्टूबर में कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख और मुख्य वित्त अधिकारी निलांजन रॉय के खिलाफ अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है.
कंपनी के बयान के मुताबिक ऑडिट समिति इस संबंध में पहले से कानूनी फर्म शारदुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साथ मिलकर मामले की जांच कर रही है. साथ ही स्वतंत्र आंतरिक ऑडिटर अन्र्स्ट एंड यंग के साथ बातचीत भी शुरू की है.
स्वतंत्र आंतरिक ऑडिटर ने आरोपों के आधार पर कुछ प्रक्रियाओं की समीक्षा का आदेश दिया है.
इंफोसिस ने कहा, "मौजूदा स्थिति में प्रथम दृष्टया कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं और अज्ञात शिकायत पर अभी जांच चल रही है. कंपनी अभी किसी तरह की पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है."
कंपनी ने यह भी कहा कि वह जांच के बारे में शेयर बाजारों को सूचित करती रहेगी.
प्रथम दृष्टया व्हिसिलब्लोअर समूह के आरोपों की पुष्टि नहीं होती: इंफोसिस
व्हिसिलब्लोअर समूह का कहना है कि इंफोसिस के शीर्ष अधिकारी अल्प अवधि में कंपनी की लागत कम दिखा कर उसके वित्तीय परिणामों को चमकाने के अनैतिक कार्य में लिप्त है. कंपनी ने कहा है कि इस आरोप की पुष्टि के लिए उसे अभी तक सबूत नहीं दिये गये हैं.
नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस ने सोमवार को कहा कि पहली नजर में उसके शीर्ष प्रबंधन पर व्हिसिलब्लोअर समूह द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि के लिए साक्ष्य नहीं मिले हैं. यह आरोप कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों के एक समूह ने लगाया था.
व्हिसिलब्लोअर समूह का कहना है कि इंफोसिस के शीर्ष अधिकारी अल्प अवधि में कंपनी की लागत कम दिखा कर उसके वित्तीय परिणामों को चमकाने के अनैतिक कार्य में लिप्त है. कंपनी ने कहा है कि इस आरोप की पुष्टि के लिए उसे अभी तक सबूत नहीं दिये गये हैं.
ये भी पढ़ें- एयरटेल के प्रीपेड ग्राहकों को 599 रुपये के रिचार्ज पर मिलेगा चार लाख रुपये का जीवन बीमा
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में इंफोसिस ने कहा, "अज्ञात शिकायत (उसके मुख्य कार्यकारी और मुख्य वित्त अधिकारी के खिलाफ) के संबंध में प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला जिसके आधार पर कंपनी इन आरोपों की पुष्टि कर सके."
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने 24 अक्टूबर को कंपनी से व्हिसिलब्लोअर समूह के आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा था. साथ ही पूछा था कि कंपनी ने इस संबंध में शेयर बाजारों को सूचना क्यों नहीं दी.
खुद को नैतिक कर्मचारी बताने वाले एक व्हिसिलब्लोअर समूह ने अक्टूबर में कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख और मुख्य वित्त अधिकारी निलांजन रॉय के खिलाफ अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है.
कंपनी के बयान के मुताबिक ऑडिट समिति इस संबंध में पहले से कानूनी फर्म शारदुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साथ मिलकर मामले की जांच कर रही है. साथ ही स्वतंत्र आंतरिक ऑडिटर अन्र्स्ट एंड यंग के साथ बातचीत भी शुरू की है.
स्वतंत्र आंतरिक ऑडिटर ने आरोपों के आधार पर कुछ प्रक्रियाओं की समीक्षा का आदेश दिया है.
इंफोसिस ने कहा, "मौजूदा स्थिति में प्रथम दृष्टया कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं और अज्ञात शिकायत पर अभी जांच चल रही है. कंपनी अभी किसी तरह की पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है."
कंपनी ने यह भी कहा कि वह जांच के बारे में शेयर बाजारों को सूचित करती रहेगी.
प्रथम दृष्टया व्हिसिलब्लोअर समूह के आरोपों की पुष्टि नहीं होती: इंफोसिस
नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस ने सोमवार को कहा कि पहली नजर में उसके शीर्ष प्रबंधन पर व्हिसिलब्लोअर समूह द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि के लिए साक्ष्य नहीं मिले हैं. यह आरोप कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों के एक समूह ने लगाया था.
व्हिसिलब्लोअर समूह का कहना है कि इंफोसिस के शीर्ष अधिकारी अल्प अवधि में कंपनी की लागत कम दिखा कर उसके वित्तीय परिणामों को चमकाने के अनैतिक कार्य में लिप्त है. कंपनी ने कहा है कि इस आरोप की पुष्टि के लिए उसे अभी तक सबूत नहीं दिये गये हैं.
ये भी पढ़ें-
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में इंफोसिस ने कहा, "अज्ञात शिकायत (उसके मुख्य कार्यकारी और मुख्य वित्त अधिकारी के खिलाफ) के संबंध में प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला जिसके आधार पर कंपनी इन आरोपों की पुष्टि कर सके."
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने 24 अक्टूबर को कंपनी से व्हिसिलब्लोअर समूह के आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा था. साथ ही पूछा था कि कंपनी ने इस संबंध में शेयर बाजारों को सूचना क्यों नहीं दी.
खुद को नैतिक कर्मचारी बताने वाले एक व्हिसिलब्लोअर समूह ने अक्टूबर में कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख और मुख्य वित्त अधिकारी निलांजन रॉय के खिलाफ अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है.
कंपनी के बयान के मुताबिक ऑडिट समिति इस संबंध में पहले से कानूनी फर्म शारदुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के साथ मिलकर मामले की जांच कर रही है. साथ ही स्वतंत्र आंतरिक ऑडिटर अन्र्स्ट एंड यंग के साथ बातचीत भी शुरू की है.
स्वतंत्र आंतरिक ऑडिटर ने आरोपों के आधार पर कुछ प्रक्रियाओं की समीक्षा का आदेश दिया है.
इंफोसिस ने कहा, "मौजूदा स्थिति में प्रथम दृष्टया कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं और अज्ञात शिकायत पर अभी जांच चल रही है. कंपनी अभी किसी तरह की पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है."
कंपनी ने यह भी कहा कि वह जांच के बारे में शेयर बाजारों को सूचित करती रहेगी.
Conclusion: