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देश में ई-वाणिज्य के लिये कानून बनाना अभी जल्दबाजी: फिक्की

फिक्की ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की यहां जारी बैठक के आलोक में यह बात कही. अमेरिका जैसे विकसित देश चाहते हैं कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य ई-वाणिज्य जैसे नये मुद्दों पर चर्चा शुरू करें.

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Published : May 13, 2019, 9:03 PM IST

देश में ई-वाणिज्य के लिये कानून बनाना अभी जल्दबाजी: फिक्की

नई दिल्ली: उद्योग संगठन फिक्की ने सोमवार को कहा कि ई-वाणिज्य के लिये कानून बनाना अभी भारत के लिए जल्दबाजी होगी. उसने कहा कि इस दिशा में देश को बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि इस तरह के मुद्दे पर असर के बारे में अभी कम स्पष्टता है.

फिक्की ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की यहां जारी बैठक के आलोक में यह बात कही. अमेरिका जैसे विकसित देश चाहते हैं कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य ई-वाणिज्य जैसे नये मुद्दों पर चर्चा शुरू करें. हालांकि भारत का मानना है कि जब इस बारे में आम सहमति बन जाये तभी औपचारिक बातचीत शुरू की जानी चाहिये.

ये भी पढ़ें- पलटवार की तैयारी में चीन, 1 जून से अमेरिकी वस्तुओं पर बढ़ाएगा शुल्क

फिक्की ने एक बयान में कहा, "ई-वाणिज्य पर डब्ल्यूटीओ में बातचीत शुरू करने के प्रस्तावों के संबंध में बाध्यकारी व्यापार नियम बनाने से पहले तेजी से बदल रहे डिजिटल व्यापार के असर, विभिन्न देशों में सूचनाओं का मुक्त प्रवाह, बुनियादी संरचना का स्थानीयकरण आदि जैसे मुद्दों पर विस्तार से विमर्श आवश्यक है."

फिक्की ने कहा कि डिजिटल बुनियादी संरचना तथा विकसित डिजिटल प्रौद्योगिकी की गहरी खाई को देखते हुए स्थानीयकरण तथा सीमाओं के परे डेटा के मुक्त प्रवाह पर बाध्यकारी नियमों से विकासशील देशों को राष्ट्रीय डिजिटल प्रौद्योगिकी क्षमता एवं कौशल के विकास से लाभ लेने की क्षमता संकुचित होगी.

उसने कहा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर प्रभाव के बारे में स्पष्टता के अभाव के कारण ई-वाणिज्य क्षेत्र में अभी कानून बनाना जल्दबाजी होगी तथा भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में सावधान रहने की जरूरत है.

फिक्की ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर डब्ल्यूटीओ में विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिये विशेष एवं अलग व्यवहार की व्यवस्था को जारी रखे जाने का पक्ष लिया.

फिक्की अध्यक्ष ने कहा, "एक विशिष्ट उदाहरण का जिक्र किया जाये तो मई 2018 के अंत तक भारत में 36 करोड़ से अधिक लोग गरीब हैं तथा 7.30 करोड़ लोग भीषण गरीबी में जी रहे हैं. अत: हम भारत जैसे विकासशील देशों के लिये विशेष एवं अलग व्यवहार की चाहत से परे नहीं हो सकते हैं."

नई दिल्ली: उद्योग संगठन फिक्की ने सोमवार को कहा कि ई-वाणिज्य के लिये कानून बनाना अभी भारत के लिए जल्दबाजी होगी. उसने कहा कि इस दिशा में देश को बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि इस तरह के मुद्दे पर असर के बारे में अभी कम स्पष्टता है.

फिक्की ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की यहां जारी बैठक के आलोक में यह बात कही. अमेरिका जैसे विकसित देश चाहते हैं कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य ई-वाणिज्य जैसे नये मुद्दों पर चर्चा शुरू करें. हालांकि भारत का मानना है कि जब इस बारे में आम सहमति बन जाये तभी औपचारिक बातचीत शुरू की जानी चाहिये.

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फिक्की ने एक बयान में कहा, "ई-वाणिज्य पर डब्ल्यूटीओ में बातचीत शुरू करने के प्रस्तावों के संबंध में बाध्यकारी व्यापार नियम बनाने से पहले तेजी से बदल रहे डिजिटल व्यापार के असर, विभिन्न देशों में सूचनाओं का मुक्त प्रवाह, बुनियादी संरचना का स्थानीयकरण आदि जैसे मुद्दों पर विस्तार से विमर्श आवश्यक है."

फिक्की ने कहा कि डिजिटल बुनियादी संरचना तथा विकसित डिजिटल प्रौद्योगिकी की गहरी खाई को देखते हुए स्थानीयकरण तथा सीमाओं के परे डेटा के मुक्त प्रवाह पर बाध्यकारी नियमों से विकासशील देशों को राष्ट्रीय डिजिटल प्रौद्योगिकी क्षमता एवं कौशल के विकास से लाभ लेने की क्षमता संकुचित होगी.

उसने कहा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर प्रभाव के बारे में स्पष्टता के अभाव के कारण ई-वाणिज्य क्षेत्र में अभी कानून बनाना जल्दबाजी होगी तथा भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में सावधान रहने की जरूरत है.

फिक्की ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर डब्ल्यूटीओ में विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिये विशेष एवं अलग व्यवहार की व्यवस्था को जारी रखे जाने का पक्ष लिया.

फिक्की अध्यक्ष ने कहा, "एक विशिष्ट उदाहरण का जिक्र किया जाये तो मई 2018 के अंत तक भारत में 36 करोड़ से अधिक लोग गरीब हैं तथा 7.30 करोड़ लोग भीषण गरीबी में जी रहे हैं. अत: हम भारत जैसे विकासशील देशों के लिये विशेष एवं अलग व्यवहार की चाहत से परे नहीं हो सकते हैं."

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देश में ई-वाणिज्य के लिये कानून बनाना अभी जल्दबाजी: फिक्की

नई दिल्ली: उद्योग संगठन फिक्की ने सोमवार को कहा कि ई-वाणिज्य के लिये कानून बनाना अभी भारत के लिए जल्दबाजी होगी. उसने कहा कि इस दिशा में देश को बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि इस तरह के मुद्दे पर असर के बारे में अभी कम स्पष्टता है.    

फिक्की ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की यहां जारी बैठक के आलोक में यह बात कही. अमेरिका जैसे विकसित देश चाहते हैं कि डब्ल्यूटीओ के सदस्य ई-वाणिज्य जैसे नये मुद्दों पर चर्चा शुरू करें. हालांकि भारत का मानना है कि जब इस बारे में आम सहमति बन जाये तभी औपचारिक बातचीत शुरू की जानी चाहिये.    

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फिक्की ने एक बयान में कहा, "ई-वाणिज्य पर डब्ल्यूटीओ में बातचीत शुरू करने के प्रस्तावों के संबंध में बाध्यकारी व्यापार नियम बनाने से पहले तेजी से बदल रहे डिजिटल व्यापार के असर, विभिन्न देशों में सूचनाओं का मुक्त प्रवाह, बुनियादी संरचना का स्थानीयकरण आदि जैसे मुद्दों पर विस्तार से विमर्श आवश्यक है."    

फिक्की ने कहा कि डिजिटल बुनियादी संरचना तथा विकसित डिजिटल प्रौद्योगिकी की गहरी खाई को देखते हुए स्थानीयकरण तथा सीमाओं के परे डेटा के मुक्त प्रवाह पर बाध्यकारी नियमों से विकासशील देशों को राष्ट्रीय डिजिटल प्रौद्योगिकी क्षमता एवं कौशल के विकास से लाभ लेने की क्षमता संकुचित होगी.    

उसने कहा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर प्रभाव के बारे में स्पष्टता के अभाव के कारण ई-वाणिज्य क्षेत्र में अभी कानून बनाना जल्दबाजी होगी तथा भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में सावधान रहने की जरूरत है.    

फिक्की ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर डब्ल्यूटीओ में विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिये विशेष एवं अलग व्यवहार की व्यवस्था को जारी रखे जाने का पक्ष लिया.    

फिक्की अध्यक्ष ने कहा, "एक विशिष्ट उदाहरण का जिक्र किया जाये तो मई 2018 के अंत तक भारत में 36 करोड़ से अधिक लोग गरीब हैं तथा 7.30 करोड़ लोग भीषण गरीबी में जी रहे हैं. अत: हम भारत जैसे विकासशील देशों के लिये विशेष एवं अलग व्यवहार की चाहत से परे नहीं हो सकते हैं."


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