हैदराबाद : पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत सौ रुपये प्रति लीटर से भी अधिक हो चुकी है.
आज डीजल की कीमत 24 से 28 पैसे तो वहीं पेट्रोल की कीमत भी 28 से 29 पैसे तक बढ़ी है. पहली बार मुंबई में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के पार पहुंच गई है. सिर्फ मई में पेट्रोल की कीमतों में 17 से अधिक बार इजाफा हो चुका है.
आइए जानते है कि आम और खास सभी के लिए जरूरी इस ईंधन की कीमतों ने आजादी के बाद से कब और कितनी छलांग मारी.
देश की आजादी के समय पेट्रोल की कीमत 0.27 पैसे प्रति लीटर थी. वहीं 1963 तक इसकी कीमत लगभग 3.6 रुपये बताई जाती है.
आजादी के बाद से अब तक कुछ आवश्यक वस्तुओं की कीमतें कितनी बढ़ीं है, इस पर भी एक नजर-
आजादी के समय में 10 ग्राम सोने की कीमत करीब 89 रुपये होती थी. इतने में सोने की अच्छी चेन बन सकती थी. लेकिन उस वक्त भी दिल्ली से मुंबई का किराया रेल (फर्स्ट क्लास) से 123 रुपये होता था.
कैसे होते हैं दाम तय
पेट्रोल और डीजल के दाम को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव के आधार पर तय किया जाता है. इसमें विदेशी मुद्रा दरों को भी एक फैक्टर माना जाता है. कीमत हर रोज तय की जाती है.
पेट्रोल की कीमतों में 60 प्रतिशत हिस्सा सेंट्रल एक्साइज और राज्यों के टैक्स का होता है, जबकि डीजल में ये 54 प्रतिशत होता है. पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी 32.90 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर है.
पेट्रोल की कीमतों की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र दोनों की ही है. दोनों में से कोई भी अपनी आमदनी कम नहीं करना चाहता है. दोनों का दावा है कि टैक्स घटाने से उनका नुकसान होगा.
पिछले सात सालों में पेट्रोलियम उत्पादों के जरिए 556 फीसदी तक आमदनी बढ़ी है. वित्त राज्य मंत्री संसद में इसकी जानकारी दे चुके हैं. रंगराजन कमेटी पहले ही यह बता चुकी है कि पेट्रोल पर 56 फीसदी और डीजल पर 36 फीसदी तक ड्यूटी लगती है.
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