पानीपत: उद्योगपतियों ने रिसाइक्लिंग से न केवल लोगों के घरों के को सजाया है, वहीं साथ ही पानी बचाने, प्रदूषण कम करने व आर्थिक बचत में भी योगदान दिया है. रिसाइकिल इंडस्ट्रीज से भारत की अर्थवयवस्था को भी मजबूती मिली है. रिसाइक्लिंग से पहली बार पानीपत के उद्योगपतियों ने भारत में चीन के कंबल को पूर्ण रूप से धराशाई कर दिया है. इतना ही नहीं अब पानीपत के कंबल चीन भी जाने लगे हैं.
पानीपत के प्रसिद्ध उद्योगपति व इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रधान प्रीतम सचदेवा ने बताया कि आज पानीपत की इंडस्ट्रीज रिसाइक्लिंग में नंबर वन है. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत यूरोप के देशों से होती है जहां एक बार कपड़ा पहनने के बाद ड्राई क्लीन करवाना बहुत महंगा होता है इसलिए वेस्टेज कपड़ा गुजरात के कांडला पोर्ट पर लाया जाता है और वहां कपड़ों की छटाई होती है..
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उसमें से रिसाइक्लिंग करने वाले कपड़े की कटिंग कर पानीपत की इंडस्ट्रीज में भेज दिया जाता है. इस वेस्टेज कपड़े को रिसाइक्लिंग कर अलग-अलग रंग के धागे बनते हैं. इससे पानी की भी काफी बचत होती है. 1 किलो धागे में 200 लीटर पानी का प्रयोग होता है लेकिन इस रिसाइक्लिंग से अलग-अलग कलर के धागे निकल रहे हैं जिससे नेचुरल कलर के धागे बनते हैं इससे पानी व पर्यावरण का बचाव हो रहा है.
उन्होंने बताया कि रिसाइकिल से बनने वाले धागे से बाथमेट, दरिया, पर्दे व कारपेट बनते हैं. इन सब से भी निकलने वाली वेस्टेज से गुदर बनता है जो कि टेंट हाउस को प्रयोग में लाते हैं और बाद में इसी गुदर को रिसाइकिल कर कंबल बनाया जाता है. पहले चीन से यही कंबल 350 रुपये में आता था. अब हम 150 रुपये में यही कंबल बनाकर चीन भी भेज रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पानीपत में पूर्ण रूप से लगभग 60 उद्यौगिक इकाइयां रिसाइकल कर धागा बना रही हैं. यूरोप के सभी देशों जैसे जर्मनी, बेल्जियम, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, नीदरलैंड व तुर्की से वेस्टेज आ रही है लेकिन दूसरे देशों में रिसाइकिल इंडस्ट्री को सरकार सहयता प्रदान करती है पर भारत की सरकार ने अभी हमें कोई भी सहयता नहीं दी है.