नई दिल्ली: खुदरा कारोबारियों के शीर्ष संगठन कैट ने मंगलवार को कहा कि घरेलू वाहन क्षेत्र में कोई नरमी नहीं है और वाहन उद्योग केवल सरकार से पैकेज लेने को लेकर शोर-शराबा कर रहा है.
वाहन उद्योग उसकी बिक्री में नरमी के लिये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की ऊंची दर, कृषि क्षेत्र में संकट, स्थिर वेतन और नकदी की तंगी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, "घरेलू वाहन क्षेत्र में कोई नरमी नहीं है. वे (वाहन कंपनियां) केवल पैकेज पाने के लिये बिक्री में गिरावट को लेकर शोर-शराबा कर रहे हैं."
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नये वाहन पेश किये जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनियों को नई गाड़ियों के लिये काफी बुकिंग मिल रही हैं. इससे क्षेत्र में नरमी की बात बिल्कुल प्रतिबिंबित नहीं होती.
अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-वाणिज्य कंपनियों के त्यौहरों से पहले मेगा बिक्री घोषणा को लेकर खंडेलवाल ने इस वृहद स्तर पर बिक्री पर पाबंदी लगाने को लेकर तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया.
उन्होंने दावा किया कि ये कंपनियां ई-वाणिज्य क्षेत्र के तय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों का उल्लंघन कर रही हैं.
खंडेलवाल ने कहा, "अगर सरकार कार्रवाई नहीं करेगी, हम अदालत के पास जाएंगे." उन्होंने कहा कि ई- वाणिज्य कंपनियों को केवल बी2बी कारोबार करने की अनुमति है लेकिन ये कंपनियां बड़े बड़े विज्ञापन अभियान में लगी हैं. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को पिछले पांच साल के दौरान उनके शीर्ष 10 विक्रेताओं की सूची उपलब्ध करानी चाहिये.
खंडेलवाल ने यह भी कहा कि भारत में ब्याज दरें ऊंची हैं और वैश्विक फर्मों को सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होता है.
वाहन क्षेत्र में नरमी नहीं, कंपनियां पैकेज पाने के लिये कर रहीं हाय-तौबा: कैट - No slowdown in automobile sector
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, "घरेलू वाहन क्षेत्र में कोई नरमी नहीं है. वे (वाहन कंपनियां) केवल पैकेज पाने के लिये बिक्री में गिरावट को लेकर शोर-शराबा कर रहे हैं."
नई दिल्ली: खुदरा कारोबारियों के शीर्ष संगठन कैट ने मंगलवार को कहा कि घरेलू वाहन क्षेत्र में कोई नरमी नहीं है और वाहन उद्योग केवल सरकार से पैकेज लेने को लेकर शोर-शराबा कर रहा है.
वाहन उद्योग उसकी बिक्री में नरमी के लिये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की ऊंची दर, कृषि क्षेत्र में संकट, स्थिर वेतन और नकदी की तंगी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, "घरेलू वाहन क्षेत्र में कोई नरमी नहीं है. वे (वाहन कंपनियां) केवल पैकेज पाने के लिये बिक्री में गिरावट को लेकर शोर-शराबा कर रहे हैं."
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नये वाहन पेश किये जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनियों को नई गाड़ियों के लिये काफी बुकिंग मिल रही हैं. इससे क्षेत्र में नरमी की बात बिल्कुल प्रतिबिंबित नहीं होती.
अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-वाणिज्य कंपनियों के त्यौहरों से पहले मेगा बिक्री घोषणा को लेकर खंडेलवाल ने इस वृहद स्तर पर बिक्री पर पाबंदी लगाने को लेकर तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया.
उन्होंने दावा किया कि ये कंपनियां ई-वाणिज्य क्षेत्र के तय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों का उल्लंघन कर रही हैं.
खंडेलवाल ने कहा, "अगर सरकार कार्रवाई नहीं करेगी, हम अदालत के पास जाएंगे." उन्होंने कहा कि ई- वाणिज्य कंपनियों को केवल बी2बी कारोबार करने की अनुमति है लेकिन ये कंपनियां बड़े बड़े विज्ञापन अभियान में लगी हैं. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को पिछले पांच साल के दौरान उनके शीर्ष 10 विक्रेताओं की सूची उपलब्ध करानी चाहिये.
खंडेलवाल ने यह भी कहा कि भारत में ब्याज दरें ऊंची हैं और वैश्विक फर्मों को सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होता है.
वाहन क्षेत्र में नरमी नहीं, कंपनियां पैकेज पाने के लिये कर रहीं हाय-तौबा: कैट
नई दिल्ली: खुदरा कारोबारियों के शीर्ष संगठन कैट ने मंगलवार को कहा कि घरेलू वाहन क्षेत्र में कोई नरमी नहीं है और वाहन उद्योग केवल सरकार से पैकेज लेने को लेकर शोर-शराबा कर रहा है.
वाहन उद्योग उसकी बिक्री में नरमी के लिये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की ऊंची दर, कृषि क्षेत्र में संकट, स्थिर वेतन और नकदी की तंगी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, "घरेलू वाहन क्षेत्र में कोई नरमी नहीं है. वे (वाहन कंपनियां) केवल पैकेज पाने के लिये बिक्री में गिरावट को लेकर शोर-शराबा कर रहे हैं."
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नये वाहन पेश किये जाने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनियों को नई गाड़ियों के लिये काफी बुकिंग मिल रही हैं. इससे क्षेत्र में नरमी की बात बिल्कुल प्रतिबिंबित नहीं होती.
अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-वाणिज्य कंपनियों के त्यौहरों से पहले मेगा बिक्री घोषणा को लेकर खंडेलवाल ने इस वृहद स्तर पर बिक्री पर पाबंदी लगाने को लेकर तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया.
उन्होंने दावा किया कि ये कंपनियां ई-वाणिज्य क्षेत्र के तय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों का उल्लंघन कर रही हैं.
खंडेलवाल ने कहा, "अगर सरकार कार्रवाई नहीं करेगी, हम अदालत के पास जाएंगे." उन्होंने कहा कि ई- वाणिज्य कंपनियों को केवल बी2बी कारोबार करने की अनुमति है लेकिन ये कंपनियां बड़े बड़े विज्ञापन अभियान में लगी हैं. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को पिछले पांच साल के दौरान उनके शीर्ष 10 विक्रेताओं की सूची उपलब्ध करानी चाहिये.
खंडेलवाल ने यह भी कहा कि भारत में ब्याज दरें ऊंची हैं और वैश्विक फर्मों को सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध होता है.
Conclusion: