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विशाखापत्तनम जैसी गैस रिसाव की औद्योगिक घटना रोकने के लिये नये नियम जल्द: अधिकारी

वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद पर्यावरण और वन मंत्रालय ने खतरनाक रसायनों के विनिर्माण, उपयोग और हैंडलिंग को विनियमित करने के लिये दो तरह के नियमों- खतरनाक रसायनों का विनिर्माण, भंडारण और आयात (एमएसआईएचसी) नियम 1989 और रासायनिक दुर्घटना (आपातकालीन योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया), (सीएईपीपीआर) नियम 1996 - की अधिसूचना जारी की थी.

विशाखापत्तनम जैसी गैस रिसाव की औद्योगिक घटना रोकने के लिये नये नियम जल्द: अधिकारी
विशाखापत्तनम जैसी गैस रिसाव की औद्योगिक घटना रोकने के लिये नये नियम जल्द: अधिकारी
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Published : May 8, 2020, 12:13 AM IST

नई दिल्ली: हाल के दिनों में खामियों को उजागर करने वाले कई औद्योगिक हादसों के मद्देनजर सरकार विशाखापत्तनम के पॉलिमर कारखाने में बृहस्पतिवार को हुई गैस रिसाव जैसी घटनाओं को रोकने के लिये रासायनिक दुर्घटना नियमों में संशोधनों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. विशाखापत्तनम की जहरीली गैस रिसाव घटना में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है और सैकड़ों लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है.

वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद पर्यावरण और वन मंत्रालय ने खतरनाक रसायनों के विनिर्माण, उपयोग और हैंडलिंग को विनियमित करने के लिये दो तरह के नियमों- खतरनाक रसायनों का विनिर्माण, भंडारण और आयात (एमएसआईएचसी) नियम 1989 और रासायनिक दुर्घटना (आपातकालीन योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया), (सीएईपीपीआर) नियम 1996 - की अधिसूचना जारी की थी.

एमएसआईएचसी नियमों का उद्देश्य औद्योगिक गतिविधियों से होने वाली प्रमुख रासायनिक दुर्घटनाओं को रोकना और रासायनिक (औद्योगिक) दुर्घटनाओं के प्रभावों को सीमित करना है. सीएईपीपीआर नियम संकट प्रबंधन के लिये वैधानिक व्यवस्था प्रदान करते हैं.

मामले से सीधे तौर पर जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय ने नियमों को समय के साथ कदमताल करने योग्य बनाने के लिये 2016 में इन्हें उन्नत करने का प्रस्ताव दिया था. इस संबंध में विभिन्न संबंधित पक्षों के परामर्श को लेकर संशोधन का एक मसौदा जारी किया गया था, जो रासायनिक उद्योग में नियमों के प्रभावी प्रवर्तन पर केंद्रित था. हालांकि, नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था.

एक अधिकारी ने कहा कि संशोधनों को एक समिति को भेजा गया जिसने सिफारिशों को अंतिम रूप देने में काफी समय लगा दिया. उन्होंने कहा कि इस बीच रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग (डीसीपीसी) ने दुनिया भर के श्रेष्ठ प्रावधानों पर अमल करते हुए सभी रसायनों के उपयोग को विनियमित करने की शक्ति की इच्छा जाहिर की थी. विभाग चाहता था कि उपयोग से पहले पंजीकरण और भंडार प्रबंधन की व्यवस्था हो. यह एक प्रकार से लाइसेंस की व्यवस्था जैसा है.

ये भी पढ़ें: गडकरी ने कहा, 'ढहने' के कगार पर एमएसएमई क्षेत्र, उद्योग बकाया राशि जारी करें

दूसरी ओर, मंत्रालय खतरनाक रसायनों के संचालन पर एक नोडल प्राधिकरण बना रहा था. डीसीपीसी को रसायनों के लिये नियम तैयार करने तथा खतरनाक रसायन को एक उप श्रेणी बनाकर इसके लिये मंत्रालय को निसम तैयार करने का अधिकार देकर मतभेद को सुलझाया गया.

अधिकारी ने बताया कि कैबिनेट के नोट का एक मसौदा जारी किया गया है और विभिन्न मंत्रालयों के बीच चर्चा के बाद नियमन सामने आयेगा. उन्होंने कहा, "नियम थोड़े समय में सामने आ जाने चाहिये."

बृहस्पतिवार तड़के विशाखापत्तनम में दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी केम की एक अनुषंगी कंपनी के स्वामित्व वाले एक रासायनिक संयंत्र से गैस का रिसाव हो गया. यह गैस पांच किलोमीटर के दायरे में गाँवों में तेजी से फैल गया. इस घटना में कम से कम 11 लोग मारे गये और लगभग 1,000 लोग प्रभावित हुए.

उल्लेखनीय है कि भारत सबसे भयानक औद्योगिक आपदा का भुक्तभोगी रह चुका है. भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की रात में लगभग 42 टन जहरीली गैस (मिथाइल आइसो साइनेट-एमआईसी) का आकस्मिक रिसाव हो गया था.

आधिकारिक अनुमान के अनुसार उस घटना में करीब पांच हजार लोग मारे गये थे. हालांकि, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि घटना में 25 हजार लोग मारे गये थे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: हाल के दिनों में खामियों को उजागर करने वाले कई औद्योगिक हादसों के मद्देनजर सरकार विशाखापत्तनम के पॉलिमर कारखाने में बृहस्पतिवार को हुई गैस रिसाव जैसी घटनाओं को रोकने के लिये रासायनिक दुर्घटना नियमों में संशोधनों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. विशाखापत्तनम की जहरीली गैस रिसाव घटना में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है और सैकड़ों लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है.

वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद पर्यावरण और वन मंत्रालय ने खतरनाक रसायनों के विनिर्माण, उपयोग और हैंडलिंग को विनियमित करने के लिये दो तरह के नियमों- खतरनाक रसायनों का विनिर्माण, भंडारण और आयात (एमएसआईएचसी) नियम 1989 और रासायनिक दुर्घटना (आपातकालीन योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया), (सीएईपीपीआर) नियम 1996 - की अधिसूचना जारी की थी.

एमएसआईएचसी नियमों का उद्देश्य औद्योगिक गतिविधियों से होने वाली प्रमुख रासायनिक दुर्घटनाओं को रोकना और रासायनिक (औद्योगिक) दुर्घटनाओं के प्रभावों को सीमित करना है. सीएईपीपीआर नियम संकट प्रबंधन के लिये वैधानिक व्यवस्था प्रदान करते हैं.

मामले से सीधे तौर पर जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय ने नियमों को समय के साथ कदमताल करने योग्य बनाने के लिये 2016 में इन्हें उन्नत करने का प्रस्ताव दिया था. इस संबंध में विभिन्न संबंधित पक्षों के परामर्श को लेकर संशोधन का एक मसौदा जारी किया गया था, जो रासायनिक उद्योग में नियमों के प्रभावी प्रवर्तन पर केंद्रित था. हालांकि, नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था.

एक अधिकारी ने कहा कि संशोधनों को एक समिति को भेजा गया जिसने सिफारिशों को अंतिम रूप देने में काफी समय लगा दिया. उन्होंने कहा कि इस बीच रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग (डीसीपीसी) ने दुनिया भर के श्रेष्ठ प्रावधानों पर अमल करते हुए सभी रसायनों के उपयोग को विनियमित करने की शक्ति की इच्छा जाहिर की थी. विभाग चाहता था कि उपयोग से पहले पंजीकरण और भंडार प्रबंधन की व्यवस्था हो. यह एक प्रकार से लाइसेंस की व्यवस्था जैसा है.

ये भी पढ़ें: गडकरी ने कहा, 'ढहने' के कगार पर एमएसएमई क्षेत्र, उद्योग बकाया राशि जारी करें

दूसरी ओर, मंत्रालय खतरनाक रसायनों के संचालन पर एक नोडल प्राधिकरण बना रहा था. डीसीपीसी को रसायनों के लिये नियम तैयार करने तथा खतरनाक रसायन को एक उप श्रेणी बनाकर इसके लिये मंत्रालय को निसम तैयार करने का अधिकार देकर मतभेद को सुलझाया गया.

अधिकारी ने बताया कि कैबिनेट के नोट का एक मसौदा जारी किया गया है और विभिन्न मंत्रालयों के बीच चर्चा के बाद नियमन सामने आयेगा. उन्होंने कहा, "नियम थोड़े समय में सामने आ जाने चाहिये."

बृहस्पतिवार तड़के विशाखापत्तनम में दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी केम की एक अनुषंगी कंपनी के स्वामित्व वाले एक रासायनिक संयंत्र से गैस का रिसाव हो गया. यह गैस पांच किलोमीटर के दायरे में गाँवों में तेजी से फैल गया. इस घटना में कम से कम 11 लोग मारे गये और लगभग 1,000 लोग प्रभावित हुए.

उल्लेखनीय है कि भारत सबसे भयानक औद्योगिक आपदा का भुक्तभोगी रह चुका है. भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की रात में लगभग 42 टन जहरीली गैस (मिथाइल आइसो साइनेट-एमआईसी) का आकस्मिक रिसाव हो गया था.

आधिकारिक अनुमान के अनुसार उस घटना में करीब पांच हजार लोग मारे गये थे. हालांकि, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि घटना में 25 हजार लोग मारे गये थे.

(पीटीआई-भाषा)

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