नई दिल्ली: दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के भारत, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देश जो दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निमार्ताओं में से एक हैं, उन्हें कोविड-19 महामारी पर काबू पाने में मुख्य भूमिका निभानी चाहिए. यह बात बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) ने कही. वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने इस समय सबसे जरूरी कोविड-19 वैक्सीन बनाने के लिए कमर कसते हुए, इस क्षेत्र के वैक्सीन निमार्ताओं और राष्ट्रीय नियामक अधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक की.
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, "विश्व स्तर पर एक कोविड-19 वैक्सीन का उत्पादन करने और रोल-आउट करने के लिए हमारे क्षेत्र में मौजूदा विनिर्माण क्षमता आवश्यक गुणवत्ता और पैमाने की है. यह क्षेत्र एक वैक्सीन निर्माण पॉवरहाउस है और अब इसे इस महामारी पर काबू पाने में भी एक प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए."
भारत, इंडोनेशिया और थाईलैंड के अग्रणी निमार्ताओं ने बैठक में समय और उत्पादन क्षमता पर चर्चा की, जबकि नियामक निकायों ने समायोजन पर विचार-विमर्श किया, जो जल्द से जल्द कोविड-19 टीके उपलब्ध कराने के लिए जरूरी प्रक्रियाओं में आवश्यक होगा.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कोविड-19 वैक्सीन को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने से पहले कई चरणों को पूरा करना होगा.
इनमें प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षण, उत्पादन, लाइसेंस, टीकों को भेजना और मार्केटिंग के बाद की निगरानी आदि शामिल है. वैश्विक स्तर पर, सात उम्मीदवार टीके क्लीनिकल ट्रायल में हैं और 82 टीके क्लीनिकल ट्रायल से पहले के मूल्यांकन में हैं.
ये भी पढ़ें: एनआईपी पर कार्यबल ने वित्त मंत्री को अंतिम रिपोर्ट सौंपी
सिंह ने एक बयान में कहा, "क्षेत्र में वैक्सीन विकास की गतिविधियों के पूर्ण परि²श्य को मैप करने से वैश्विक हितधारकों के साथ समन्वय में मदद मिलेगी, और कोविड-19 वैक्सीन को भेजने को लेकर योजना तैयार करने वाले देशों को सहायता मिलेगी."
संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में सभी सदस्य देशों से कोविड-19 से लड़ने के लिए विकसित की गई किसी भी फ्यूचर वैक्सीन को 'न्यायसंगत, कुशल और समय पर पहुंचाने' का आह्वान किया.
(आईएएनएस)