मुंबई : टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा की शादी 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण रद्द हो गई थी.
वयोवृद्ध उद्योगपति ने ह्यूमन ऑफ बॉम्बे के साथ अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वह लॉस एंजिल्स में थे, जब वो प्यार में पड़ गए थे और लगभग शादी कर ली थी.
चूंकि उनकी दादी लंबे समय से ठीक नहीं थीं, इसलिए रतन टाटा उन्हें देखने भारत वापस आ गएं.
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टाटा ने खुलकर कहा, 'फिर उसे देखने वापस गया और सोचा कि जिससे मैं शादी करना चाहता था वो मेरे साथ वापस भारत आएगी, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण उसके माता-पिता ने इससे इंकार कर दिया और यह रिश्ता खत्म हो गया.'
टाटा ने अपने निजी जीवन का विवरण भी साझा किया और अपनी दादी की शिक्षाओं को याद किया और उन्हें यह बताने का श्रेय दिया कि बोलने का साहस भी नरम और सम्मानजनक हो सकता है.
टाटा ने कहा, 'जब मेरी मां ने पुनर्विवाह किया, उसके तुरंत बाद, स्कूल के लड़कों ने लगातार और आक्रामक रूप से हमारे बारे में सभी तरह की बातें कहना शुरू कर दिया. लेकिन हमारी दादी ने हमें हर कीमत पर गरिमा बनाए रखने की सीख दी, एक मूल्य जो आज तक मेरे पास रहा है.'
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'मुझे अभी भी याद है, दूसरे विश्व युद्ध के बाद, वह मेरे भाई और मुझे गर्मियों की छुट्टियों के लिए लंदन ले गई थी. यहीं इन मूल्यों को अंकित किया गया था. वह हमें बताती थीं, 'यह मत कहो' या 'उसके बारे में चुप रहें', टाटा ने कहा, और यही वह जगह है, जहां 'गरिमा सबसे ऊपर है' वास्तव में हमारे दिमाग में आया.
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