नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो चुका है और शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2020-21 का बजट संसद में प्रस्तुत किया जाएगा.
देश के ग्रामीण क्षेत्र, किसानों और मजदूरों को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. ग्रामीण भारत के लिए इस बजट में क्या हो कि उन्हें भी देश के विकास में अपना योगदान करने का मौका मिले और उनके जीवन स्तर में सुधार आए इन्हीं विषयों पर ईटीवी भारत ने अखिल भारतीय किसान महासभा के सचिव और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता हनन मुल्ला से खास बातचीत की.
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हनन मुल्ला का कहना है की सबसे पहले सरकार को मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे मजदूरों के लिए कम से कम 100 दिन का रोजगार जरूर सुनिश्चित करना चाहिए जबकि ऐसा होता नहीं है और लोगों को 100 दिन भी रोजगार नहीं मिल पाता है. मुल्ला का कहना है कि सरकार मनरेगा का बजट घटा रही है.
हनन मुल्ला ने मांग की है कि इस बजट में कम से कम एक लाख करोड़ का प्रावधान मनरेगा के लिए होना चाहिए. वहीं, किसानों के मुद्दे पर बातचीत करते हुए किसान सभा के नेता कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत ₹6000 देने के बजाय सरकार किसानों को कम कीमत पर खाद, बीज, डीजल और ट्रांसपोर्ट सुविधाएं उपलब्ध कराएं तो उनका लागत मूल्य कम होगा और जब किसान अपने फसल को बेचेंगे तो उनका मुनाफा बढ़ेगा.
हनन मुल्ला का कहना है की किसानों को ₹6000 नकद देना ऊंट के मुंह में जीरा के समान है और वह इसके पक्ष में नहीं है. मुल्ला ने मांग रखी है की ग्रामीण भारत के बजट को बढ़ाया जाए और किसानों को ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी दी जाए.
बेशक सरकार सीधे नकद राशि पहुंचाने की योजना को रखे लेकिन पीएम किसान के तहत लाभार्थी किसानों की संख्या भी लगातार घटी है और पहली किस्त में जितने किसानों के खाते तक यह पैसे पहुंचे थे उससे आधे से भी कम किसानों के खाते तक तीसरी और चौथी किस्त पहुंची है.
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना कितनी असफल है और सरकार को इस पर दोबारा विचार करने की जरूरत है. वाम दल के नेता ने सरकार के प्रति निराशा जताते हुए कहा कि यह सरकार कहती कुछ और करती है कुछ. ऐसे में कल आने वाले बजट में क्या होगा उसे लेकर उन्हें ज्यादा उम्मीदें नहीं है.