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मेक इन इंडिया: पचास हजार करोड़ रुपए की लिथियम-आयन बैटरी की फैक्ट्री स्थापित करेगा केंद्र

नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जापान, अमेरिका, चीन सहित अन्य लोगों ने इन विशाल कारखानों को स्थापित करने के लिए रुचि दिखाई है.

मेक इन इंडिया: पचास हजार करोड़ रुपए की लिथियम-आयन बैटरी की फैक्ट्री स्थापित करेगा केंद्र
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Published : Nov 2, 2019, 8:06 PM IST

Updated : Nov 2, 2019, 9:00 PM IST

नई दिल्ली: स्वच्छ ऊर्जा के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के अपने प्रयास में नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश में 50 हजार करोड़ रुपये की लिथियम-आयन बैटरी फैक्टरी बनाने के लिए योजना तैयार की है.

नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जापान, अमेरिका, चीन सहित अन्य लोगों ने इन विशाल कारखानों को स्थापित करने के लिए रुचि दिखाई है.

नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, "टेस्ला और चीन की कंटेम्परेरी एम्परेकस टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड, बीव्याईडी कंपनी लिमिटेड ने लिथियम बैटरी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियां बनाने के लिए दिलचस्पी दिखाई है."

जानकारी देते प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ अनिल गोयल

ये भी पढ़ें- पीएमसी घोटाले के बाद सतर्क हुआ रिजर्व बैंक, बैंकिंग प्रणाली की बेहतरी के लिए किया विभागों का पुनर्गठन

व्यय वित्त समिति ने पहले ही इन 50-गीगावाट कारखानों की स्थापना की योजना को मंजूरी दे दी है. अधिकारी ने कहा, "यह मामला अब अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में आएगा."

नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय फरवरी-मार्च तक अंतिम निविदा देने की उम्मीद कर रहा है. अधिकारी ने कहा, ''हमें इस विशाल कारखाने को स्थापित करने के लिए जगह की तलाश है जो कि फिलहाल तय नहीं किया गया है."

अधिकारियों ने कहा कि कारखानों की स्थापना के लिए चार से पांच स्थानों की पहचान की जाएगी.

भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके घटकों के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए पहल की गई थी. यह पहल भारत के ऊर्जा क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भी की गई थी.

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ अनिल गोयल का कहना है कि सरकार द्वारा लिया गया निर्णय बहुत अच्छा कदम है. वर्तमान में हमें जो कुछ भी चाहिए वह है स्वच्छ ऊर्जा. उन्होंने कहा कि चाहे वह हाइड्रो एनर्जी हो या थर्मल एनर्जी, ये बड़े पैमाने पर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं. वहीं, सौर और पवन उर्जा पर्यावरण को सुरक्षित रखेगी.

डॉ गोयल ने यह भी कहा कि बैटरी फैक्ट्री स्थापित करने से निश्चित रूप से भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' की अवधारणा को भी बढ़ावा मिलेगा.

डॉ गोयल ने कहा, "जब हम इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उत्पादन करेंगे, तो हम पैसे को विदेशों में भेजने से बचा पाएंगे. साथ ही, इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे."

अधिकारी ने कहा, "ये कारखाने न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देंगे बल्कि भारत के बिजली क्षेत्र के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करने में भी मदद करेंगे."

नीती अयोग के अनुसार, भारत को 2025 तक छह और 2030 तक 12 जीडब्ल्यू स्केल सुविधाएं की आवश्यकता होगी.

अधिकारी ने कहा, ''ये बैटरी स्टोरेज बिजली के ग्रिडों को बिजली आपूर्ति करेंगे, जिन्हें सौर और पवन जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से बिजली की आंतरायिक प्रकृति दी जाएगी. ''

बता दें कि 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के 1,75,000 मेगावाट के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. ताजा जानकारी के मुताबिक मार्च 2014 तक देश की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 34,000 मेगावाट थी, जो सितंबर 2019 में बढ़कर 82,580 मेगावाट हो गई है.

नई दिल्ली: स्वच्छ ऊर्जा के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के अपने प्रयास में नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश में 50 हजार करोड़ रुपये की लिथियम-आयन बैटरी फैक्टरी बनाने के लिए योजना तैयार की है.

नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जापान, अमेरिका, चीन सहित अन्य लोगों ने इन विशाल कारखानों को स्थापित करने के लिए रुचि दिखाई है.

नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, "टेस्ला और चीन की कंटेम्परेरी एम्परेकस टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड, बीव्याईडी कंपनी लिमिटेड ने लिथियम बैटरी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियां बनाने के लिए दिलचस्पी दिखाई है."

जानकारी देते प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ अनिल गोयल

ये भी पढ़ें- पीएमसी घोटाले के बाद सतर्क हुआ रिजर्व बैंक, बैंकिंग प्रणाली की बेहतरी के लिए किया विभागों का पुनर्गठन

व्यय वित्त समिति ने पहले ही इन 50-गीगावाट कारखानों की स्थापना की योजना को मंजूरी दे दी है. अधिकारी ने कहा, "यह मामला अब अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में आएगा."

नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय फरवरी-मार्च तक अंतिम निविदा देने की उम्मीद कर रहा है. अधिकारी ने कहा, ''हमें इस विशाल कारखाने को स्थापित करने के लिए जगह की तलाश है जो कि फिलहाल तय नहीं किया गया है."

अधिकारियों ने कहा कि कारखानों की स्थापना के लिए चार से पांच स्थानों की पहचान की जाएगी.

भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके घटकों के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए पहल की गई थी. यह पहल भारत के ऊर्जा क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भी की गई थी.

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ अनिल गोयल का कहना है कि सरकार द्वारा लिया गया निर्णय बहुत अच्छा कदम है. वर्तमान में हमें जो कुछ भी चाहिए वह है स्वच्छ ऊर्जा. उन्होंने कहा कि चाहे वह हाइड्रो एनर्जी हो या थर्मल एनर्जी, ये बड़े पैमाने पर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं. वहीं, सौर और पवन उर्जा पर्यावरण को सुरक्षित रखेगी.

डॉ गोयल ने यह भी कहा कि बैटरी फैक्ट्री स्थापित करने से निश्चित रूप से भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' की अवधारणा को भी बढ़ावा मिलेगा.

डॉ गोयल ने कहा, "जब हम इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उत्पादन करेंगे, तो हम पैसे को विदेशों में भेजने से बचा पाएंगे. साथ ही, इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे."

अधिकारी ने कहा, "ये कारखाने न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देंगे बल्कि भारत के बिजली क्षेत्र के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करने में भी मदद करेंगे."

नीती अयोग के अनुसार, भारत को 2025 तक छह और 2030 तक 12 जीडब्ल्यू स्केल सुविधाएं की आवश्यकता होगी.

अधिकारी ने कहा, ''ये बैटरी स्टोरेज बिजली के ग्रिडों को बिजली आपूर्ति करेंगे, जिन्हें सौर और पवन जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से बिजली की आंतरायिक प्रकृति दी जाएगी. ''

बता दें कि 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के 1,75,000 मेगावाट के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. ताजा जानकारी के मुताबिक मार्च 2014 तक देश की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 34,000 मेगावाट थी, जो सितंबर 2019 में बढ़कर 82,580 मेगावाट हो गई है.

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मेक इन इंडिया: पचास हजार करोड़ रुपए की लिथियम-आयन बैटरी की फैक्ट्री स्थापित करेगा केंद्र

नई दिल्ली: स्वच्छ ऊर्जा के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के अपने प्रयास में नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश में 50 हजार करोड़ रुपये की लिथियम-आयन बैटरी फैक्टरी बनाने के लिए योजना तैयार की है. 

नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जापान, अमेरिका, चीन सहित अन्य लोगों ने इन विशाल कारखानों को स्थापित करने के लिए रुचि दिखाई है.

नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, "टेस्ला और चीन की कंटेम्परेरी एम्परेक्स टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड, बीव्याईडी कंपनी लिमिटेड ने लिथियम बैटरी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियां बनाने के लिए दिलचस्पी दिखाई है."

व्यय वित्त समिति ने पहले ही इन 50-गीगावाट कारखानों की स्थापना की योजना को मंजूरी दे दी है. अधिकारी ने कहा, "यह मामला अब अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में आएगा."

नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय फरवरी-मार्च तक अंतिम निविदा देने की उम्मीद कर रहा है. अधिकारी ने कहा, ''हमें इस विशाल कारखाने को स्थापित करने के लिए जगह की तलाश है जो कि फिलहाल तय नहीं किया गया है."

अधिकारियों ने कहा कि कारखानों की स्थापना के लिए चार से पांच स्थानों की पहचान की जाएगी.

भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके घटकों के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए पहल की गई थी. यह पहल भारत के ऊर्जा क्षेत्र की आवश्यकता को पूरा करने के लिए भी की गई थी.

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ अनिल गोयल का कहना है कि सरकार द्वारा लिया गया निर्णय बहुत अच्छा कदम है. वर्तमान में हमें जो कुछ भी चाहिए वह है स्वच्छ ऊर्जा. उन्होंने कहा कि चाहे वह हाइड्रो एनर्जी हो या थर्मल एनर्जी, ये बड़े पैमाने पर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं. वहीं, सौर और पवन उर्जा पर्यावरण को सुरक्षित रखेगी.

डॉ गोयल ने यह भी कहा कि बैटरी फैक्ट्री स्थापित करने से निश्चित रूप से भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' की अवधारणा को भी बढ़ावा मिलेगा.

डॉ गोयल ने कहा, "जब हम इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उत्पादन करेंगे, तो हम पैसे को विदेशों में भेजने से बचा पाएंगे. साथ ही, इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे."

अधिकारी ने कहा, "ये कारखाने न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देंगे बल्कि भारत के बिजली क्षेत्र के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करने में भी मदद करेंगे."

नीती अयोग के अनुसार, भारत को 2025 तक छह और 2030 तक 12 जीडब्ल्यू स्केल सुविधाएं की आवश्यकता होगी.

अधिकारी ने कहा, ''ये बैटरी स्टोरेज बिजली के ग्रिडों को बिजली आपूर्ति करेंगे, जिन्हें सौर और पवन जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से बिजली की आंतरायिक प्रकृति दी जाएगी. ''

बता दें कि 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के 1,75,000 मेगावाट के लक्ष्य  को प्राप्त करने की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. ताजा जानकारी के मुताबिक मार्च 2014 तक देश की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 34,000 मेगावाट थी, जो सितंबर 2019 में बढ़कर 82,580 मेगावाट हो गई है.

 


Conclusion:
Last Updated : Nov 2, 2019, 9:00 PM IST
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