ETV Bharat / business

भारत-चीन तनाव के बीच गडकरी ने कहा- बॉर्डर इलाकों में सड़कों का काम हुआ तेज

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि 17 रणनीतिक परियोजनाओं में से तीन को पूरा कर लिया गया है. जहां राजमार्ग का प्रयोग हवाईपट्टी के रूप में भी हो सकता है. सीमावर्ती क्षेत्रों में काम तेजी से हो रहा है.

भारत-चीन तनाव के बीच गडकरी ने कहा- बॉर्डर इलाकों में सड़कों का काम हुआ तेज
भारत-चीन तनाव के बीच गडकरी ने कहा- बॉर्डर इलाकों में सड़कों का काम हुआ तेज
author img

By

Published : Jul 5, 2020, 3:05 PM IST

नई दिल्ली: सरकार की ओर से बताया गया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में यातायात के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिये जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित बड़ी संख्या में राजमार्ग परियोजनाओं पर काम चल रहा है. ये काम बीआरओ और एनएचआईडीसीएल दोनों के द्वारा किये जा रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि 17 रणनीतिक राजमार्ग-सह-हवाई पट्टियों पर भी काम चल रहा है, जिनमें से तीन पूरे हो चुके हैं. इसके अलावा, गंगोत्री, केदारनाथ, यमुनोत्री और बद्रीनाथ को सभी मौसम में जोड़े रखने के लिये 12 हजार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना पर काम जोरों पर है.

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने ऋषिकेश-धरासू राष्ट्रीय राजमार्ग पर व्यस्त चंबा शहर के नीचे 440 मीटर लंबी सुरंग को सफलतापूर्वक खोदकर परियोजना में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस के बीच ग्रामीण बाजारों की मांग शहरी क्षेत्रों से बेहतर: मारुति

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने बताया, "हमने 17 रणनीतिक परियोजनाओं में से तीन को पूरा कर लिया है, जहां राजमार्ग का प्रयोग हवाईपट्टी के रूप में भी हो सकता है. सीमावर्ती क्षेत्रों में काम तेजी से हो रहा है."

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर इन परियोजनाओं को वैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में जरूरत पड़ने पर हवाई पट्टी के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है, जहां 300-400 किलोमीटर के आसपास के क्षेत्र में हवाईअड्डे नहीं हैं.

मंत्री ने कहा कि सड़कों के ऐसे खंड जो दूरदराज के क्षेत्रों में है और जहां वाहनों की आवाजाही यूं भी कम रहती है, उन पर हवाई जहाजों के उतरने या उड़ान भरने के समय इलेक्ट्रॉनिक फाटकों के माध्यम से यातायात को नियंत्रित किया जायेगा.

उन्होंने कहा, "इसके अलावा, हमने भारतमाला के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिये बड़ी संख्या में परियोजनाएं शुरू की हैं. इनमें राजस्थान की सीमा, जम्मू- कश्मीर सीमा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं. हमारा लक्ष्य ऐसे क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास करना, वहां उद्योगों को बढ़ावा देना और रोजगार का सृजन करना है."

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में इन परियोजनाओं को बीआरओ और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) द्वारा क्रियान्वयित किया जा रहा है. 5.35 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से भारतमाला योजना के प्रथम चरण में लगभग 34,800 किलोमीटर पर विचार किया जा रहा है.

गडकरी ने कहा, "बेहतर बुनियादी संरचना उद्योग और रोजगार लाता है. इसके साथ ही, यह सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि और अन्य उपज के मूल्य को बढ़ावा देगा." बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को पूरे साल की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिये 12 हजार करोड़ रुपये की चारधाम परियोजना पर बहुत काम किया गया है.

उन्होंने कहा कि चारधाम परियोजना की एक प्रमुख कड़ी चंबा सुरंग में नवीनतम ऑस्ट्रियाई तकनीक का उपयोग किया गया है. उन्होंने कहा कि सुरंग को यातायात के लिए अक्टूबर 2020 तक खोला जाएगा, जो जनवरी 2021 को पूरा होने की अपनी निर्धारित तिथि से तीन महीने पहले है.

उन्होंने कहा कि कुछ सबसे कठिन इलाकों में बीआरओ काम कर रहा है और महत्वपूर्ण परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर रहा है. उन्होंने कहा कि हाल ही में बीआरओ ने धारचुला से लिपुलेख तक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क पूरी की है, जिसे कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के रूप में जाना जाता है.

नवनिर्मित 80 किलोमीटर की सड़क चीन की सीमा के साथ 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रा को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा को धारचुला से जोड़ती है. इस परियोजना के पूरा होने से कैलाश मानसरोवर यात्रा अधिक सुगम हो जाएगी.

धारचुला - लिपुलेख सड़क पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटीबाग मार्ग का विस्तार है. यह घाटीबाग से निकलती है और कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे पर समाप्त होती है. 80 किलोमीटर की इस सड़क में ऊंचाई 6,000 फुट से 17,060 फुट हो जाती है.

इस सड़क के निर्माण में बीआरओ ने कई जानें गंवाईं और काली नदी में गिरने के बाद 25 उपकरण भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये. मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार देश के समग्र बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 22 ग्रीन एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सरकार की ओर से बताया गया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में यातायात के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिये जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित बड़ी संख्या में राजमार्ग परियोजनाओं पर काम चल रहा है. ये काम बीआरओ और एनएचआईडीसीएल दोनों के द्वारा किये जा रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि 17 रणनीतिक राजमार्ग-सह-हवाई पट्टियों पर भी काम चल रहा है, जिनमें से तीन पूरे हो चुके हैं. इसके अलावा, गंगोत्री, केदारनाथ, यमुनोत्री और बद्रीनाथ को सभी मौसम में जोड़े रखने के लिये 12 हजार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना पर काम जोरों पर है.

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने ऋषिकेश-धरासू राष्ट्रीय राजमार्ग पर व्यस्त चंबा शहर के नीचे 440 मीटर लंबी सुरंग को सफलतापूर्वक खोदकर परियोजना में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस के बीच ग्रामीण बाजारों की मांग शहरी क्षेत्रों से बेहतर: मारुति

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने बताया, "हमने 17 रणनीतिक परियोजनाओं में से तीन को पूरा कर लिया है, जहां राजमार्ग का प्रयोग हवाईपट्टी के रूप में भी हो सकता है. सीमावर्ती क्षेत्रों में काम तेजी से हो रहा है."

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर इन परियोजनाओं को वैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में जरूरत पड़ने पर हवाई पट्टी के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है, जहां 300-400 किलोमीटर के आसपास के क्षेत्र में हवाईअड्डे नहीं हैं.

मंत्री ने कहा कि सड़कों के ऐसे खंड जो दूरदराज के क्षेत्रों में है और जहां वाहनों की आवाजाही यूं भी कम रहती है, उन पर हवाई जहाजों के उतरने या उड़ान भरने के समय इलेक्ट्रॉनिक फाटकों के माध्यम से यातायात को नियंत्रित किया जायेगा.

उन्होंने कहा, "इसके अलावा, हमने भारतमाला के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिये बड़ी संख्या में परियोजनाएं शुरू की हैं. इनमें राजस्थान की सीमा, जम्मू- कश्मीर सीमा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं. हमारा लक्ष्य ऐसे क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास करना, वहां उद्योगों को बढ़ावा देना और रोजगार का सृजन करना है."

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में इन परियोजनाओं को बीआरओ और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) द्वारा क्रियान्वयित किया जा रहा है. 5.35 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से भारतमाला योजना के प्रथम चरण में लगभग 34,800 किलोमीटर पर विचार किया जा रहा है.

गडकरी ने कहा, "बेहतर बुनियादी संरचना उद्योग और रोजगार लाता है. इसके साथ ही, यह सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि और अन्य उपज के मूल्य को बढ़ावा देगा." बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को पूरे साल की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिये 12 हजार करोड़ रुपये की चारधाम परियोजना पर बहुत काम किया गया है.

उन्होंने कहा कि चारधाम परियोजना की एक प्रमुख कड़ी चंबा सुरंग में नवीनतम ऑस्ट्रियाई तकनीक का उपयोग किया गया है. उन्होंने कहा कि सुरंग को यातायात के लिए अक्टूबर 2020 तक खोला जाएगा, जो जनवरी 2021 को पूरा होने की अपनी निर्धारित तिथि से तीन महीने पहले है.

उन्होंने कहा कि कुछ सबसे कठिन इलाकों में बीआरओ काम कर रहा है और महत्वपूर्ण परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर रहा है. उन्होंने कहा कि हाल ही में बीआरओ ने धारचुला से लिपुलेख तक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क पूरी की है, जिसे कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के रूप में जाना जाता है.

नवनिर्मित 80 किलोमीटर की सड़क चीन की सीमा के साथ 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रा को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा को धारचुला से जोड़ती है. इस परियोजना के पूरा होने से कैलाश मानसरोवर यात्रा अधिक सुगम हो जाएगी.

धारचुला - लिपुलेख सड़क पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटीबाग मार्ग का विस्तार है. यह घाटीबाग से निकलती है और कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे पर समाप्त होती है. 80 किलोमीटर की इस सड़क में ऊंचाई 6,000 फुट से 17,060 फुट हो जाती है.

इस सड़क के निर्माण में बीआरओ ने कई जानें गंवाईं और काली नदी में गिरने के बाद 25 उपकरण भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये. मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार देश के समग्र बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 22 ग्रीन एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है.

(पीटीआई-भाषा)

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.