नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि भारत जल्दबाजी में कोई भी मुक्त व्यापार समझौता नहीं करेगा और घरेलू उद्योग के हितों से समझौता किये बिना दुनिया के देशों के साथ गठजोड़ करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपनी शर्तों पर एफटीए या व्यापक भागीदारी समझौता करेगा.
गोयल ने यह भी कहा कि स्टार्टअप को कभी भी परेशान नहीं किया जाएगा और सरकार उन्हें बढ़ावा देने के लिये कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि भारत मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) या व्यापक भागीदारी समझौता अपनी शर्तों पर करेगा और लोगों तथा राष्ट्र हित में जो बेहतर होगा, वही कदम उठाएगा.
गोयल ने यहां कहा, "क्षेत्रीय व्यापार भागीदारी समझौता (आरसीईपी) के संदर्भ में काफी सारी गलत सूचनाएं हैं. मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि भारत जल्दबाजी में कोई और एफटीए नहीं करेगा."
उन्होंने कहा, "भारत में कोई कमजोर नेतृत्व नहीं है जिसने केवल एफटीए के क्रियान्वयन को लेकर समयसीमा पर काम किया है. भारत अपनी शर्तों पर एफटीए या व्यापक भागीदारी समझौता करेगा."
वह 'मेक इन इंडिया' पर राज्य परामर्श कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. मंत्री ने कहा कि सरकार व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय काफी सतर्क रहती है. "व्यापार एक जटिल प्रक्रिया है इसीलिए जो भी समझौता होगा, उसका नतीजा लोगों और हमारे उद्योग के हित में होगा."
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गोयल ने यह भी कहा, "हम दुनिया में अलग-थलग नहीं रह सकते. हमें दुनिया के अन्य देशों से जुड़ना है. दुनिया वैश्विक एकीकरण की ओर बढ़ रही है. इसीलिए भारत को संतुलित रुख रखते हुए घरेलू हितों की रक्षा के साथ दुनिया के अन्य देशों से जुड़ना है."
आरसीईपी वृहत मुक्त व्यापार समझौता है जिसपर 16 देश बातचीत कर रहे है. सदस्य देशों में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सदस्य देश ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलिपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं.
इसके अलावा आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड बातचीत में शामिल हैं. आरसीईपी समझौते को लेकर बातचीत महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गया है. सदस्य देश बातचीत को नवंबर तक निष्कर्ष पर पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
सदस्य देशों के लक्ष्य के अनुसार बातचीत के निष्कर्ष की घोषणा शिखर सम्मेलन में किया जा सकता है. बैंकाक में आरसीईपी नेताओं का चार नवंबर को शिखर सम्मेलन होगा.
धातु, डेयरी, इलेक्ट्रानिक्स और रसायन जैसे उद्योग से जुड़ी कई घरेलू कंपनियों ने समझौते में चीन के शामिल होने को लेकर गंभीर चिंता जतायी है. चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 50 अरब डॉलर से अधिक है.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने यह भी कहा कि स्टार्टअप को कभी भी परेशान नहीं किया जाएगा और सरकार उन्हें बढ़ावा देने के लिये कदम उठा रही है. उन्होंने कहा, "मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि स्टार्टअप को कभी भी परेशान नहीं किया जाएगा. उन्हें पंजीकरण को लेकर कुछ काम करने हैं ताकि कुछ लोग कानून का दुरूपयोग नहीं करे."
मंत्री के अनुसार सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर स्टार्टअप पंजीकृत हैं और उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) से मान्यता प्राप्त हैं तो उनसे कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा.