नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था इंस्टिट्यूट आफ मैनेजमेंट डेवलपमेंट (आईएमडी) तैयार किए जाने वाले वैश्विक प्रतिस्पर्धा-क्षमता सूचकांक में इस साल भी 43वें स्थान पर बनी रही.
आईएमडी की रपट के अनुसार प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति के मामले में भारत की कुछ परंपरागत कमजोरियां मसलन कमजोर बुनियादी ढांचा और शिक्षा में अपर्याप्त निवेश अभी कायम हैं.
कुल 63 देशों की इस सूची में सिंगापुर पहले स्थान पर बरकरार है. वहीं डेनमार्क दूसरे स्थान पर आ गया है. पिछले साल वह आठवें स्थान पर था. वहीं स्विट्जरलैंड एक स्थान चढ़कर तीसरे स्थान पर आ गया है. नीदरलैंड चौथे स्थान पर कायम है. वहीं हांगकांग फिसलकर पांचवें स्थान पर पहुंच गया है. 2019 में वह दूसरे स्थान पर था.
वहीं अमेरिका भी फिसलकर तीसरे से दसवें स्थान पर पहुंच गया है. चीन भी 14वें से 20वें स्थान पर पहुंच गया है. ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में भारत का स्थान चीन के बाद है। रूस 50वें, ब्राजील 56वें और दक्षिण अफ्रीका 59वें स्थान पर है.
स्विट्जरलैंड और सिंगापुर के बिजनेस स्कूल द्वारा यह रैंकिंग 1989 से हर साल दी जा रही है. भारत इसमें लगातार 41वें स्थान पर रहा है. लेकिन 2017 में भारत प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में फिसलकर 45वें स्थान पर पहुंच गया था. 2018 में यह 44वें और 2019 में 43वें स्थान पर आ गया.
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आईएमडी ने कहा कि 2020 में भी भारत 43वें स्थान पर ही रहा है. इस दौरान दीर्घावधि की रोजगार वृद्धि, चालू खाते के शेष, उच्च प्रौद्योगिकी निर्यात, विदेशी मुद्रा भंडार, शिक्षा पर सार्वजनिक खर्च, राजनीतिक स्थिरता और कुल उत्पादकता जैसे क्षेत्रों में भारत का प्रदर्शन सुधरा है.
वहीं विदेशी मुद्रा विनिमय दर की स्थिरता, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि, प्रतिस्पर्धा कानून तथा कर जैसे क्षेत्रों में भारत का प्रदर्शन खराब रहा है.
आईएमडी बिजनेस स्कूल के प्रतिस्पर्धा केंद्र के प्रमुख आरतुरो ब्रिस ने कहा कि भारत सूची में अपना स्थान सुधारने के लिए संघर्ष कर रहा है.
मूडीज द्वारा हाल में भारत की रेटिंग में कमी से अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर अनिश्चितता के बारे में पता चलता है.
(पीटीआई-भाषा)