नई दिल्ली: लंदन के बैंक खाते में जमा की गई हैदराबाद के निजाम की 308 करोड़ रुपये (35 मिलियन पाउंड) से अधिक की राशि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चला आ रहा विवाद अंतिम चरण में पहुंच गया है. इस मामले में छह सप्ताह में निर्णय आने की उम्मीद है.
निजाम के वंशज, प्रिंस मुकर्रम जाह हैदराबाद के आठवें निजाम और उनके छोटे भाई मफखम जेह ने लंदन में नैटवेब बैंक पीएलसी के पास पड़े फंडों को लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई में भारत सरकार से हाथ मिलाया है.
ये भी पढ़ें- अमेजन की विशेष प्राइम डे सेल 15-16 जुलाई को
दरअसल, यह रकम 1948 में हैदराबाद के तत्कालीन निजाम उस्मान अली खान ने नवगठित पाकिस्तान के ब्रिटेन में उच्चायुक्त रहे हबीब इब्राहिम रहीमटोला के लंदन बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी थी. भारत समर्थक निजाम के वंशजों का दावा है कि इस पर उनका अधिकार है और पाकिस्तान का दावा सही नहीं है.
अपनी मौत से दो साल पहले ही 1965 में निजाम ने उन पैसों को भारत को लिखित रूप में सुपूर्द करने की बात कही थी. जबकि, पाकिस्तान उससे भी लगभग दो दशक पहले संभालकर रखने के लिए दी गई उस रकम पर अपना दावा जताने पर लगा हुआ है.
भारत या पाकिस्तान: किसे मिलेंगे हैदराबाद निजाम के 308 करोड़ रुपये ?
अपनी मौत से दो साल पहले ही 1965 में निजाम ने उन पैसों को भारत को लिखित रूप में सुपूर्द करने की बात कही थी. जबकि, पाकिस्तान उससे भी लगभग दो दशक पहले संभालकर रखने के लिए दी गई उस रकम पर अपना दावा जताने पर लगा हुआ है.
नई दिल्ली: लंदन के बैंक खाते में जमा की गई हैदराबाद के निजाम की 308 करोड़ रुपये (35 मिलियन पाउंड) से अधिक की राशि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चला आ रहा विवाद अंतिम चरण में पहुंच गया है. इस मामले में छह सप्ताह में निर्णय आने की उम्मीद है.
निजाम के वंशज, प्रिंस मुकर्रम जाह हैदराबाद के आठवें निजाम और उनके छोटे भाई मफखम जेह ने लंदन में नैटवेब बैंक पीएलसी के पास पड़े फंडों को लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई में भारत सरकार से हाथ मिलाया है.
ये भी पढ़ें- अमेजन की विशेष प्राइम डे सेल 15-16 जुलाई को
दरअसल, यह रकम 1948 में हैदराबाद के तत्कालीन निजाम उस्मान अली खान ने नवगठित पाकिस्तान के ब्रिटेन में उच्चायुक्त रहे हबीब इब्राहिम रहीमटोला के लंदन बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी थी. भारत समर्थक निजाम के वंशजों का दावा है कि इस पर उनका अधिकार है और पाकिस्तान का दावा सही नहीं है.
अपनी मौत से दो साल पहले ही 1965 में निजाम ने उन पैसों को भारत को लिखित रूप में सुपूर्द करने की बात कही थी. जबकि, पाकिस्तान उससे भी लगभग दो दशक पहले संभालकर रखने के लिए दी गई उस रकम पर अपना दावा जताने पर लगा हुआ है.
भारत या पाकिस्तान: किसे मिलेंगे हैदराबाद निजाम के 308 करोड़ रुपये ?
नई दिल्ली: लंदन के बैंक खाते में जमा की गई हैदराबाद के निजाम की 308 करोड़ रुपये (35 मिलियन पाउंड) से अधिक की राशि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चला आ रहा विवाद अंतिम चरण में पहुंच गया है. इस मामले में छह सप्ताह में निर्णय आने की उम्मीद है.
निजाम के वंशज, प्रिंस मुकर्रम जाह हैदराबाद के आठवें निजाम और उनके छोटे भाई मफखम जेह ने लंदन में नैटवेब बैंक पीएलसी के पास पड़े फंडों को लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई में भारत सरकार से हाथ मिलाया है.
ये भी पढ़ें-
दरअसल, यह रकम 1948 में हैदराबाद के तत्कालीन निजाम उस्मान अली खान ने नवगठित पाकिस्तान के ब्रिटेन में उच्चायुक्त रहे हबीब इब्राहिम रहीमटोला के लंदन बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी थी. भारत समर्थक निजाम के वंशजों का दावा है कि इस पर उनका अधिकार है और पाकिस्तान का दावा सही नहीं है.
अपनी मौत से दो साल पहले ही 1965 में निजाम ने उन पैसों को भारत को लिखित रूप में सुपूर्द करने की बात कही थी. जबकि, पाकिस्तान उससे भी लगभग दो दशक पहले संभालकर रखने के लिए दी गई उस रकम पर अपना दावा जताने पर लगा हुआ है.
Conclusion: