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मुद्रास्फीति चक्र को प्रभावित करती हैं पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें: रविंद्र ढोलकिया

पेट्रोल और डीजल के बढ़ती कीमतों से पूरे देश परेशान है. इस पर लगाम नहीं लग रह है. देखना होगा यह सिलसिला कब थमता है.

Rising prices of petrol and diesel
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें
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Published : Mar 7, 2021, 8:21 PM IST

नई दिल्ली: देश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं. इसको लेकर जनता में खासा रोष दिखाई पड़ा. वहीं, पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि को लेकर राजनीतिक दलों ने भी प्रदर्शन किए. इसी क्रम में आज पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सिलिगुड़ी में सिलेंडर लेकर पैदल मार्च भी निकाला.

इन पूरे मुद्दे पर आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र एच ढोलकिया ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतें हर चीज को प्रभावित करती हैं क्योंकि वे परिवहन की उच्च लागत के माध्यम से पूरे मुद्रास्फीति के चक्र को प्रभावित करती हैं. उन्होंने कहा कि जब परिवहन क्षेत्र प्रभावित होता है तो यह दूसरे क्षेत्र पर भी इफेक्ट डालता है.

आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र एच ढोलकिया ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में पिछले एक साल में 18 से 20 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जो निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों पर और भी अधिक दबाव डाल रहा है. पहले से ही जनता कोविड-19 वैश्विक महामारी से परेशान थी उसके बाद पेट्रोल और डीजल के दामों ने बोझ बढ़ा दिया. इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों के रोजगार पर बुरे असर पड़ा और भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा हुई.

उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के रूप में मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति रिज़र्व बैंक के छह महीने से अधिक समय के लिए 6% के नीतिगत लक्ष्य से ऊपर है. ढोलकिया ने कहा कि भारत में खुदरा मुद्रास्फीति को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के रूप में मापा जाता है, जिसमें दो घटक होते हैं, मुख्य मुद्रास्फीति और गैर-प्रमुख मुद्रास्फीति. जबकि कोर-मुद्रास्फीति खाद्य और ईंधन के अलावा अन्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में परिवर्तन है, गैर-प्रमुख मुद्रास्फीति भोजन और ऊर्जा की कीमतों में परिवर्तन को ध्यान में रखती है क्योंकि वे मौसमी और प्रकृति में अधिक अस्थिर हैं.

ढोलकिया ने कहा कि बढ़ते हुए दाम अस्ठाई हैं, जो अपने आप कम हो जाएंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव देखने को मिलता रहता है. ढोलकिया ने पॉलिसी थिंक टैंक इग्रोव फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ईटीवी भारत से कहा कि क्या होता है कि भले ही ये कीमतें अस्थायी रूप से सिस्टम में फीड हो रही हो. हालांकि, वह बताते हैं कि यह विशुद्ध रूप से एक सांख्यिकीय चीज है.

पढ़ें: सिलीगुड़ी में ममता की पदयात्रा, एलपीजी की बढ़ती कीमतों का विरोध

ढोलकिया ने ईटीवी भारत को बताया कि जब वास्तविक चीजों की बात आती है तो परिवहन मार्ग के माध्यम से पेट्रोल और डीजल की कीमतें पूरे मुद्रास्फीति चक्र में प्रवेश कर रही हैं.

नई दिल्ली: देश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं. इसको लेकर जनता में खासा रोष दिखाई पड़ा. वहीं, पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि को लेकर राजनीतिक दलों ने भी प्रदर्शन किए. इसी क्रम में आज पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सिलिगुड़ी में सिलेंडर लेकर पैदल मार्च भी निकाला.

इन पूरे मुद्दे पर आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र एच ढोलकिया ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतें हर चीज को प्रभावित करती हैं क्योंकि वे परिवहन की उच्च लागत के माध्यम से पूरे मुद्रास्फीति के चक्र को प्रभावित करती हैं. उन्होंने कहा कि जब परिवहन क्षेत्र प्रभावित होता है तो यह दूसरे क्षेत्र पर भी इफेक्ट डालता है.

आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र एच ढोलकिया ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में पिछले एक साल में 18 से 20 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जो निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों पर और भी अधिक दबाव डाल रहा है. पहले से ही जनता कोविड-19 वैश्विक महामारी से परेशान थी उसके बाद पेट्रोल और डीजल के दामों ने बोझ बढ़ा दिया. इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों के रोजगार पर बुरे असर पड़ा और भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा हुई.

उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के रूप में मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति रिज़र्व बैंक के छह महीने से अधिक समय के लिए 6% के नीतिगत लक्ष्य से ऊपर है. ढोलकिया ने कहा कि भारत में खुदरा मुद्रास्फीति को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के रूप में मापा जाता है, जिसमें दो घटक होते हैं, मुख्य मुद्रास्फीति और गैर-प्रमुख मुद्रास्फीति. जबकि कोर-मुद्रास्फीति खाद्य और ईंधन के अलावा अन्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में परिवर्तन है, गैर-प्रमुख मुद्रास्फीति भोजन और ऊर्जा की कीमतों में परिवर्तन को ध्यान में रखती है क्योंकि वे मौसमी और प्रकृति में अधिक अस्थिर हैं.

ढोलकिया ने कहा कि बढ़ते हुए दाम अस्ठाई हैं, जो अपने आप कम हो जाएंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव देखने को मिलता रहता है. ढोलकिया ने पॉलिसी थिंक टैंक इग्रोव फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ईटीवी भारत से कहा कि क्या होता है कि भले ही ये कीमतें अस्थायी रूप से सिस्टम में फीड हो रही हो. हालांकि, वह बताते हैं कि यह विशुद्ध रूप से एक सांख्यिकीय चीज है.

पढ़ें: सिलीगुड़ी में ममता की पदयात्रा, एलपीजी की बढ़ती कीमतों का विरोध

ढोलकिया ने ईटीवी भारत को बताया कि जब वास्तविक चीजों की बात आती है तो परिवहन मार्ग के माध्यम से पेट्रोल और डीजल की कीमतें पूरे मुद्रास्फीति चक्र में प्रवेश कर रही हैं.

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