नई दिल्ली : सौर ऊर्जा डेवलपरों ने सरकार से आगामी बजट में सौर ऊर्जा उपकरणों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) लगाने से बचने की मांग की है. डेवलपरों का कहना है कि अभी कुछ समय के लिये सरकार को सौर ऊर्जा उपकरणों पर मूल सीमा शुल्क लगाने से बचना चाहिये.
डेवलपरों को आशंका है कि यदि अभी शुल्क लगाया जाता है तो 2022 तक 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का सरकार का लक्ष्य पटरी से उतर सकता है.
उद्योग जगत के अनुमान के अनुसार, देश में 35 गीगावॉट नवीकरणीय (अक्षय) ऊर्जा क्षमता के लिये 1.75 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है. लगभग 50 गीगावॉट स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाएं क्रियान्वयन में हैं. भारत ने पहले ही 90 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा की क्षमता प्राप्त कर ली है, जिसमें 37 गीगावॉट सौर और 38 गीगावॉट पवन ऊर्जा शामिल है.
भारत का 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है. इसमें 100 गीगावॉट सौर और 60 गीगावॉट पवन ऊर्जा शामिल है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी.
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इससे पहले पिछले साल जून में बिजली मंत्री आर के सिंह ने सौर उपकरणों पर मूल सीमा शुल्क लगाने के सरकार के इरादे के बारे में स्पष्ट रूप से संकेत दिया था.
सोलर पावर डेवलपर्स एसोसिएशन (एसपीडीए) के महानिदेशक शेखर दत्त ने कहा, 'घरेलू निर्माताओं के परिपक्व होने तक सौर उपकरणों पर बीसीडी को स्थगित करने की आवश्यकता है. कोविड-19 महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला के वर्तमान व्यवधान को देखते हुए सौर उपकरणों के आयात पर निर्भरता को कम किया जाना चाहिए.