अहमदाबाद: गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार, प्रदेश के नौ किसानों के खिलाफ पेप्सिको कंपनी के पेटेंटशुदा आलू की खेती के मामले में कंपनी की ओर से दायर मामलों में अदालत से बाहर सुलह कराने का प्रयास कर रही है.
खाद्य एवं पेय कंपनी पेप्सिको इंडिया द्वारा साबरकांठा और अरावली जिलों के नौ किसानों पर दो अलग-अलग अदालतों में यह मामला दायर किया है. कंपनी ने पौधों की प्रजातियों के संरक्षण के अधिकार (पीवीपी) के तहत यह मामला दायर किया जिसमें प्रत्येक किसान के खिलाफ एक - एक करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा किया गया है.
इस अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी ने दावा किया है कि इन किसानों ने आलू की ऐसी किस्म की खेती की है जिसके व्यवसाय का अधिकार उपरोक्त कानून के तहत उसके नाम पंजीकृत है.
ये भी पढ़ें- सरकार ने मई में चुनावी बांड की बिक्री की अवधि दस से घटाकर पांच दिन की
पटेल ने यहां संवाददाताओं से इस विषय में कहा, ‘सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि इस मुद्दे को अदालत के बाहर सुलझाया जाये और कानून के अनुसार इस तरह से हल किया जाए कि यह किसानों के लिए मददगार साबित हो.
उन्होंने कहा, "कृषि सचिव और मुख्य सचिव को इसके बारे में कहा गया है." पेप्सिको ने पिछले हफ्ते किसानों के खिलाफ मुकदमों को निपटाने की पेशकश की थी, और शर्त रखी थी कि वे इस किस्म के बीज कंपनी से ही खरीदेंगे और उसकी खेती में पैदा आलू वापस उसी को बेचेंगे.
इस बीच, किसान संगठनों ने इस मुद्दे पर आंदोलन करने तथा पेप्सिको का भी बहिष्कार करने की धमकी दी है. जतन ट्रस्ट के कपिल शाह ने कहा, "किसान संगठन और कानूनी विशेषज्ञ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तीन मई को बैठक कर रहे हैं."
किसान अधिकार कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि पौध विविधता और किसान अधिकार संरक्षण (पीपीवी एंड एफआर) कानून, 2001 में ऐसे मामलों में कृषकों के संरक्षण के प्रावधान हैं. इस कानून के तहत किसान बीज सहित अपने ऐसे किसी भी कृषि उत्पादों को बचा कर उसकी पुन:खेती, बिक्री, अदला बदली इस कानून के पहले की ही तरह कर सकते हैं. लेकिन उन्हें ऐसे उत्पाद को ब्रांडशुदा उत्पाद की तरह बेचने का अधिकार नहीं होगा. इस मामले में 194 कार्यकर्ताओं ने एफसी -5 आलू की खेती के मामले में मुकदमे में फंसे किसानों के अधिकार रक्षा के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय को पत्र लिखा है.