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जीएसटी फ्रॉड: मुंबई कोर्ट में हाई ड्रामा के बाद सरगना की जमानत खारिज, 8 और गिरफ्तार

जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) के अधिकारियों ने अब तक 104 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही जीएसटी पंजीकरण वाले 3,479 संगीन मामलों में 1,161 केस दर्ज किए हैं.

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Published : Dec 5, 2020, 10:22 AM IST

जीएसटी फ्रॉड: मुंबई कोर्ट में हाई ड्रामा के बाद सरगना की जमानत खारिज, 8 और गिरफ्तार
जीएसटी फ्रॉड: मुंबई कोर्ट में हाई ड्रामा के बाद सरगना की जमानत खारिज, 8 और गिरफ्तार

नई दिल्ली: नकली जीएसटी चालान के उपयोग के खिलाफ जारी राष्ट्रीय अभियान के तहत, कर अधिकारियों ने शुक्रवार को आठ और अपराधियों को गिरफ्तार किया. तीन सप्ताह के लंबे अभियान अब तक कुल 104 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसमें फर्जीवाड़े के कई मास्टरमाइंड, सरगना समेत महाराष्ट्र के विधायक का बेटा भी शामिल है.

जीएसटी अधिकारियों ने शुक्रवार को देशभर के 38 शहरों में छापे मारे, 65 नए मामले दर्ज किए और 114 फर्जी जीएसटी पंजीकरण संस्थाओं का भंडाफोड़ किया.

शुक्रवार को हुई इन 8 गिरफ्तारियों के साथ जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) के अधिकारियों ने अब तक 104 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही जीएसटी पंजीकरण वाले 3,479 संगीन मामलों में 1,161 केस दर्ज किए हैं.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जीएसटी धोखाधड़ी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के परिणामस्वरूप मुंबई के व्यवसायी सुनील रानाकर गुट्टे जैसे कुछ बड़े लोगों की गिरफ्तारी हुई है. सुनील हाइटेक के प्रबंध निदेशक और महाराष्ट्र के विधायक रत्नाकर गुट्टे के पुत्र हैं.

विधायक पुत्र को नहीं मिली जमानत

सुनील के पिता रत्नाकर गुट्टे एक चीनी व्यापारी हैं और महाराष्ट्र की गंगाखेड विधानसभा सीट से विधायक हैं. उनके भाई विजय गुट्टे ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का निर्देशन किया.

अधिकारियों के अनुसार, सुनील गुट्टे, पर अपने व्यापार सहयोगी विजेंद्र रांका के साथ 520 करोड़ रुपये का जीएसटी धोखाधड़ी करने का आरोप है.

मुंबई कोर्ट में हाई ड्रामा

सूत्रों के अनुसार, सुनील गुट्टे ने जमानत हासिल करने के लिए कानूनी दिग्गजों को नियुक्त किया और मुंबई की दो अदालतों में विभाग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी.

गुट्टे ने एसीसीएम कोर्ट में अपना पहला जमानत आवेदन दायर किया लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इस मामले के खारिज हुए बिना आवेदन वापस ले लिया. जबकि इस पर डीजीजीआई मुंबई के काउंसल ने पहले ही अपना काउंटर दायर कर दिया था.

गुट्टे की काउंसल उसके बाद मुंबई में सेशंस कोर्ट में गई ताकि उसकी जमानत हो सके और रविवार (22 नवंबर) को सुनवाई हो सके. दोनों पक्षों के बीच कोर्ट रूम में तीखी कानूनी लड़ाई हुई.

ये भी पढ़ें: कारोबारी घरानों को बैंक चलाने का लाइसेंस देने का सुझाव आरबीआई नहीं, उसकी आंतरिक समिति का

सप्ताह भर की कानूनी लड़ाई में, डीजीजीआई मुंबई जोन का प्रतिनिधित्व धीरज मिराजकर और सरकार के स्थायी वकील आरके पाठक द्वारा किया गया. दोनों ने सत्र न्यायालय में कड़ी कानूनी लड़ाई लड़ी और अंततः गुट्टे की कानूनी टीम द्वारा जमानत के प्रयास को विफल कर दिया.

मुंबई एस्प्लेनेड के एसीएमएम कोर्ट ने सुनील गुट्टे की रिमांड 8 दिसंबर तक बढ़ा दी है.

माल की आपूर्ति के बिना नकली जीएसटी बिल जारी करना

सुनील गुट्टे के तौर-तरीकों के बारे में बात करते हुए, अधिकारियों ने कहा कि सुनील हाई-टेक इंजीनियर्स लिमिटेड फर्जी चालान के आधार पर आईटीसी का लाभ उठाने और उपयोग करने में लगे हुए थे, जो बिना किसी सामान और सेवाओं की आपूर्ति और वितरण के जारी किए गए थे.

सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने कई संस्थाओं से 304 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी को हासिल की, और फर्जी आईटीसी के आधार पर फर्जी चालान के आधार पर कई संस्थाओं को 216 करोड़ रुपये दिए.

डीजीजीआई मुंबई जोन के अलावा, कंपनी डीजीजीआई की कई अन्य क्षेत्रीय इकाइयों की भी जांच कर रही है.

ईटीवी भारत के सूत्रों के अनुसार, "इनका मुख्य उद्देश्य टर्नओवर को कृत्रिम रूप से बढ़ाना और बैंकों से बढ़ी हुई क्रेडिट सीमा और ऋण प्राप्त करना था."

(वरिष्ठ पत्रकार कृष्णानन्द त्रिपाठी का लेख)

नई दिल्ली: नकली जीएसटी चालान के उपयोग के खिलाफ जारी राष्ट्रीय अभियान के तहत, कर अधिकारियों ने शुक्रवार को आठ और अपराधियों को गिरफ्तार किया. तीन सप्ताह के लंबे अभियान अब तक कुल 104 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसमें फर्जीवाड़े के कई मास्टरमाइंड, सरगना समेत महाराष्ट्र के विधायक का बेटा भी शामिल है.

जीएसटी अधिकारियों ने शुक्रवार को देशभर के 38 शहरों में छापे मारे, 65 नए मामले दर्ज किए और 114 फर्जी जीएसटी पंजीकरण संस्थाओं का भंडाफोड़ किया.

शुक्रवार को हुई इन 8 गिरफ्तारियों के साथ जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) के अधिकारियों ने अब तक 104 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इसके साथ ही जीएसटी पंजीकरण वाले 3,479 संगीन मामलों में 1,161 केस दर्ज किए हैं.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जीएसटी धोखाधड़ी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान के परिणामस्वरूप मुंबई के व्यवसायी सुनील रानाकर गुट्टे जैसे कुछ बड़े लोगों की गिरफ्तारी हुई है. सुनील हाइटेक के प्रबंध निदेशक और महाराष्ट्र के विधायक रत्नाकर गुट्टे के पुत्र हैं.

विधायक पुत्र को नहीं मिली जमानत

सुनील के पिता रत्नाकर गुट्टे एक चीनी व्यापारी हैं और महाराष्ट्र की गंगाखेड विधानसभा सीट से विधायक हैं. उनके भाई विजय गुट्टे ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का निर्देशन किया.

अधिकारियों के अनुसार, सुनील गुट्टे, पर अपने व्यापार सहयोगी विजेंद्र रांका के साथ 520 करोड़ रुपये का जीएसटी धोखाधड़ी करने का आरोप है.

मुंबई कोर्ट में हाई ड्रामा

सूत्रों के अनुसार, सुनील गुट्टे ने जमानत हासिल करने के लिए कानूनी दिग्गजों को नियुक्त किया और मुंबई की दो अदालतों में विभाग के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी.

गुट्टे ने एसीसीएम कोर्ट में अपना पहला जमानत आवेदन दायर किया लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इस मामले के खारिज हुए बिना आवेदन वापस ले लिया. जबकि इस पर डीजीजीआई मुंबई के काउंसल ने पहले ही अपना काउंटर दायर कर दिया था.

गुट्टे की काउंसल उसके बाद मुंबई में सेशंस कोर्ट में गई ताकि उसकी जमानत हो सके और रविवार (22 नवंबर) को सुनवाई हो सके. दोनों पक्षों के बीच कोर्ट रूम में तीखी कानूनी लड़ाई हुई.

ये भी पढ़ें: कारोबारी घरानों को बैंक चलाने का लाइसेंस देने का सुझाव आरबीआई नहीं, उसकी आंतरिक समिति का

सप्ताह भर की कानूनी लड़ाई में, डीजीजीआई मुंबई जोन का प्रतिनिधित्व धीरज मिराजकर और सरकार के स्थायी वकील आरके पाठक द्वारा किया गया. दोनों ने सत्र न्यायालय में कड़ी कानूनी लड़ाई लड़ी और अंततः गुट्टे की कानूनी टीम द्वारा जमानत के प्रयास को विफल कर दिया.

मुंबई एस्प्लेनेड के एसीएमएम कोर्ट ने सुनील गुट्टे की रिमांड 8 दिसंबर तक बढ़ा दी है.

माल की आपूर्ति के बिना नकली जीएसटी बिल जारी करना

सुनील गुट्टे के तौर-तरीकों के बारे में बात करते हुए, अधिकारियों ने कहा कि सुनील हाई-टेक इंजीनियर्स लिमिटेड फर्जी चालान के आधार पर आईटीसी का लाभ उठाने और उपयोग करने में लगे हुए थे, जो बिना किसी सामान और सेवाओं की आपूर्ति और वितरण के जारी किए गए थे.

सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने कई संस्थाओं से 304 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी को हासिल की, और फर्जी आईटीसी के आधार पर फर्जी चालान के आधार पर कई संस्थाओं को 216 करोड़ रुपये दिए.

डीजीजीआई मुंबई जोन के अलावा, कंपनी डीजीजीआई की कई अन्य क्षेत्रीय इकाइयों की भी जांच कर रही है.

ईटीवी भारत के सूत्रों के अनुसार, "इनका मुख्य उद्देश्य टर्नओवर को कृत्रिम रूप से बढ़ाना और बैंकों से बढ़ी हुई क्रेडिट सीमा और ऋण प्राप्त करना था."

(वरिष्ठ पत्रकार कृष्णानन्द त्रिपाठी का लेख)

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