ETV Bharat / business

नए कराधान कानून से चार कंपनियों को ₹8000 करोड़ वापस मिलेंगे : सीबीडीटी - कराधान कानून (संशोधन) विधेयक

सीबीडीटी चेयरमैन जेबी महापात्रा का कहना है कि कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के कानून बनने के बाद सरकार को केयर्न एनर्जी, वोडाफोन, डब्ल्यूएनएस कैपिटल सहित चार कंपनियों को 8000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा.

कराधान कानून
कराधान कानून
author img

By

Published : Aug 10, 2021, 9:26 AM IST

Updated : Aug 11, 2021, 8:34 AM IST

नई दिल्ली : कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 राज्यसभा में पारित हो गया है. इस पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन जेबी महापात्रा ने कहा कि अगले सप्ताह की शुरुआत में कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के कानून बनने के बाद सरकार को केयर्न एनर्जी (Cairn Energy), वोडाफोन, डब्ल्यूएनएस कैपिटल सहित चार कंपनियों को 8000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा.

यह विधेयक पूर्वव्यापी कर प्रावधान को समाप्त कर देगा और 28 मई, 2012 से पहले किए गए भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर लगाए गए सभी पूर्वव्यापी करों को समाप्त कर देगा. इसका मतलब है कि केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से की गई टैक्स मांग अब वापस ले ली जाएगी.

एक साक्षात्कार में, सीबीडीटी अध्यक्ष ने कहा, 'जहां तक ​​​​मुझे पता है, चार मामले हैं. केयर्न एनर्जी के अलावा, तीन अन्य मामले डब्ल्यूएनएस कैपिटल, वोडाफोन और एक अन्य है. इसलिए, कुल मिलाकर, अधिक से अधिक 8000 करोड़ रुपये रिफंड के जरिए चुकाए जाएंगे और रिफंड बिना किसी ब्याज के होगा.

महापात्रा ने कहा, वित्त मंत्री के बयान में 17 मामलों के बारे में कहा गया है, जिसमें चार मामलों में मांगों का भुगतान किया गया है. अन्य 13 मामले ऐसे हैं जहां मांगें उठाई गई हैं, लेकिन अभी तक उनका पता नहीं चला है. यह आयकर विभाग द्वारा उनके द्वारा किए गए भुगतानों के लिए दिया जाने वाला एक सरल रिफंड होगा, उन्हें संशोधन के संदर्भ में वापस किया जाएगा.

कराधान विधि (संशोधन) विधेयक- 2021 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है. यह विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम और 2012 के वित्त अधिनियम का स्थान लेगा. इस विधेयक में प्रावधान है कि यदि कोई लेनदेन 28 मई, 2012 से पहले किया गया है तो भारतीय संपत्ति के किसी भी अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए पूर्वव्यापी संशोधन के आधार पर भविष्य में कोई कर मांग नहीं की जाएगी.

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, इसके तहत भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 का इस्तेमाल कर की गई मांगों को वापस लिया जाएगा.

विधेयक में कहा गया है, इन मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस करने का भी प्रस्ताव है.

इस विधेयक का सीधा असर ब्रिटेन की कंपनियों केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह के साथ लंबे समय से चल रहे कर विवादों पर होगा. भारत सरकार पिछली तिथि से लागू कर कानून के खिलाफ इन दोनों कंपनियों द्वारा किए गए मध्यस्थता मुकदमों में हार चुकी है.

यह भी पढ़ें- पिछली तिथि से कराधान समाप्त करने का फैसला सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है : मोदी

विधेयक में कहा गया कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों के अंतरण (भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण) के जरिए भारत में स्थित संपत्ति के हस्तांतरण की स्थिति में होने वाले लाभ पर कराधान का मुद्दा लंबी मुकदमेबाजी का विषय था.

उच्चतम न्यायालय ने 2012 में एक फैसला दिया था कि भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से होने वाले लाभ कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत कर योग्य नहीं हैं.

इसके बाद सरकार ने वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को पिछली तिथि से संशोधित किया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों की बिक्री से होने वाले लाभ पर भारत में कर लगेगा.

विधेयक में आगे कहा गया कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल बनाने को लेकर वित्तीय और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं, लेकिन पिछली तिथि से स्पष्टीकरण संशोधन और कुछ मामलों में इसके चलते की गई कर मांग को लेकर निवेशकों के बीच यह एक गंभीर मामला बना हुआ है.

(एजेंसी)

नई दिल्ली : कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 राज्यसभा में पारित हो गया है. इस पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन जेबी महापात्रा ने कहा कि अगले सप्ताह की शुरुआत में कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के कानून बनने के बाद सरकार को केयर्न एनर्जी (Cairn Energy), वोडाफोन, डब्ल्यूएनएस कैपिटल सहित चार कंपनियों को 8000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ेगा.

यह विधेयक पूर्वव्यापी कर प्रावधान को समाप्त कर देगा और 28 मई, 2012 से पहले किए गए भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर लगाए गए सभी पूर्वव्यापी करों को समाप्त कर देगा. इसका मतलब है कि केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से की गई टैक्स मांग अब वापस ले ली जाएगी.

एक साक्षात्कार में, सीबीडीटी अध्यक्ष ने कहा, 'जहां तक ​​​​मुझे पता है, चार मामले हैं. केयर्न एनर्जी के अलावा, तीन अन्य मामले डब्ल्यूएनएस कैपिटल, वोडाफोन और एक अन्य है. इसलिए, कुल मिलाकर, अधिक से अधिक 8000 करोड़ रुपये रिफंड के जरिए चुकाए जाएंगे और रिफंड बिना किसी ब्याज के होगा.

महापात्रा ने कहा, वित्त मंत्री के बयान में 17 मामलों के बारे में कहा गया है, जिसमें चार मामलों में मांगों का भुगतान किया गया है. अन्य 13 मामले ऐसे हैं जहां मांगें उठाई गई हैं, लेकिन अभी तक उनका पता नहीं चला है. यह आयकर विभाग द्वारा उनके द्वारा किए गए भुगतानों के लिए दिया जाने वाला एक सरल रिफंड होगा, उन्हें संशोधन के संदर्भ में वापस किया जाएगा.

कराधान विधि (संशोधन) विधेयक- 2021 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है. यह विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम और 2012 के वित्त अधिनियम का स्थान लेगा. इस विधेयक में प्रावधान है कि यदि कोई लेनदेन 28 मई, 2012 से पहले किया गया है तो भारतीय संपत्ति के किसी भी अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए पूर्वव्यापी संशोधन के आधार पर भविष्य में कोई कर मांग नहीं की जाएगी.

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, इसके तहत भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 का इस्तेमाल कर की गई मांगों को वापस लिया जाएगा.

विधेयक में कहा गया है, इन मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस करने का भी प्रस्ताव है.

इस विधेयक का सीधा असर ब्रिटेन की कंपनियों केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह के साथ लंबे समय से चल रहे कर विवादों पर होगा. भारत सरकार पिछली तिथि से लागू कर कानून के खिलाफ इन दोनों कंपनियों द्वारा किए गए मध्यस्थता मुकदमों में हार चुकी है.

यह भी पढ़ें- पिछली तिथि से कराधान समाप्त करने का फैसला सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है : मोदी

विधेयक में कहा गया कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों के अंतरण (भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण) के जरिए भारत में स्थित संपत्ति के हस्तांतरण की स्थिति में होने वाले लाभ पर कराधान का मुद्दा लंबी मुकदमेबाजी का विषय था.

उच्चतम न्यायालय ने 2012 में एक फैसला दिया था कि भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से होने वाले लाभ कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत कर योग्य नहीं हैं.

इसके बाद सरकार ने वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को पिछली तिथि से संशोधित किया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों की बिक्री से होने वाले लाभ पर भारत में कर लगेगा.

विधेयक में आगे कहा गया कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल बनाने को लेकर वित्तीय और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं, लेकिन पिछली तिथि से स्पष्टीकरण संशोधन और कुछ मामलों में इसके चलते की गई कर मांग को लेकर निवेशकों के बीच यह एक गंभीर मामला बना हुआ है.

(एजेंसी)

Last Updated : Aug 11, 2021, 8:34 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.