ETV Bharat / business

वित्तमंत्री ने हाउसिंग सेक्टर के लिए किया बड़ा एलान, 25 हजार करोड़ के फंड को दी मंजूरी

रियल एस्टेट क्षेत्र को राहत देते हुए सरकार ने बुधवार को अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के विशेष कोष के गठन का ऐलान किया है.

author img

By

Published : Nov 6, 2019, 7:59 PM IST

Updated : Nov 6, 2019, 10:24 PM IST

वित्तमंत्री सीतारमण का एलान, हाउसिंग के लिए स्पेशल फंड को कैबिनेट मंजूरी

नई दिल्ली: सरकार ने अटकी परियोजनाओं में फंसे मकान खरीदारों और रीयल एस्टेट कंपनियों को बुधवार को बड़ी राहत देने की घोषणा की है. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 1,600 अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिये 25,000 करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने का निर्णय किया.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्णय की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा कि सरकार इस वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) में 10,000 करोड़ रुपये डालेगी जबकि शेष 15,000 करोड़ रुपये का योगदान स्टेट बैंक और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की ओर से किया जायेगा. कोष का समूचा आकार 25,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा.

ये भी पढ़ें- आर्थिक सुधारों का अगला दौर जल्द: वित्त मंत्री

सीतारमण ने कहा इस कोष से 1,600 अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं के लिये धन उपलब्ध कराया जायेगा. इन परियोजनाओं में कुल मिलाकर 4.58 लाख आवासीय इकाइयां बननी हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कोष के तहत केवल रेरा में पंजीकृत परियोजनाओं पर ही विचार किया जायेगा.

वित्त मंत्री ने कहा, "यह एक उदाहरण है कि सरकार विभिन्न समस्याओं को लेकर कितनी गंभीर है. सरकार ज्यादा से ज्यादा घर खरीदारों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रही है. साथ ही नकदी की तंगी से जूझ रही व्यवहारिक परियोजनाओं को ही इस कोष से धन उपलब्ध कराया जायेगा."

परियोजना अगर शुरु नहीं हुई तो पैसे नहीं मिलेंगे
परियोजना यदि शुरू ही नहीं हुई है तो ऐसी परियोजना को इस कोष से कोई राहत नहीं मिलेगी. मान लीजिये यदि किसी परियोजना में तीन टावर बनने हैं, उसमें एक टावर में 50 प्रतिशत काम हुआ है, दूसरे में 30 प्रतिशत और तीसरे में कोई ही काम नहीं हुआ है, तो हम सबसे पहले 50 प्रतिशत पूरी हुई परियोजना को कोष उपलब्ध करायेंगे.

इस फैसले से रोजगार पैदा होंगे
सरकार की इस पहल से न केवल अर्थव्यवस्था में रोजगार पैदा होंगे बल्कि सीमेंट, लोहा और इस्पात उद्योग की भी मांग बढ़ेगी. इस फैसले का उद्देश्य अर्थव्यवस्था के इस प्रमुख क्षेत्र पर बने दबाव से उसे राहत पहुंचाना भी है. उन्होंने कहा कि इस कोष का आकार बढ़ भी सकता है. सरकारी सावरेन कोषों और पेंशन कोषों के इसमें भागीदारी करने से एआईएफ का आकार बढ़ सकता है.

बिल्डर को सीधे नहीं मिलेंगे पैसे
सीतारमण ने कोष के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना के बिल्डर को सीधे धन नहीं दिया जायेगा बल्कि एक अलग खाते (एस्क्रो) में धन रखा जायेगा जिसपर क्षेत्र के लिये गठित विशेषज्ञ समिति नजर रखेगी. समिति सुनिश्चित करेगी कि यह धन केवल परियोजनाओं को पूरा करने में ही लगे. जैसे जैसे निर्माण कार्य आगे बढ़ेगा वैसे ही राशि जारी की जायेगी. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ ही तय करेंगे की परियोजना कितने दिन में पूरी होगी और उसी के अनुसार वित्तपोषण किया जायेगा.

एनपीए और एनसीएलटी वाले प्रोजेक्ट को भी इस फंड से मिलेगा पैसा
सीतारमण ने कहा कि एआईएफ का इस्तेमाल ऐसी परियोजनाओं में भी किया जा सकता है जिन्हें गैर- निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया है और जिन परियोजनाओं को दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है.

एनसीएलटी में होगा कुछ मामलों का निपटान
वित्त मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यदि किसी परियोजना के लिये बिल्डर ने पूरा पैसा मकान खरीदारों से ले लिया है और उस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है तो ऐसे मामलों का निपटान राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में ही होगा.

नई दिल्ली: सरकार ने अटकी परियोजनाओं में फंसे मकान खरीदारों और रीयल एस्टेट कंपनियों को बुधवार को बड़ी राहत देने की घोषणा की है. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 1,600 अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिये 25,000 करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने का निर्णय किया.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्णय की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा कि सरकार इस वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) में 10,000 करोड़ रुपये डालेगी जबकि शेष 15,000 करोड़ रुपये का योगदान स्टेट बैंक और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की ओर से किया जायेगा. कोष का समूचा आकार 25,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा.

ये भी पढ़ें- आर्थिक सुधारों का अगला दौर जल्द: वित्त मंत्री

सीतारमण ने कहा इस कोष से 1,600 अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं के लिये धन उपलब्ध कराया जायेगा. इन परियोजनाओं में कुल मिलाकर 4.58 लाख आवासीय इकाइयां बननी हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कोष के तहत केवल रेरा में पंजीकृत परियोजनाओं पर ही विचार किया जायेगा.

वित्त मंत्री ने कहा, "यह एक उदाहरण है कि सरकार विभिन्न समस्याओं को लेकर कितनी गंभीर है. सरकार ज्यादा से ज्यादा घर खरीदारों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रही है. साथ ही नकदी की तंगी से जूझ रही व्यवहारिक परियोजनाओं को ही इस कोष से धन उपलब्ध कराया जायेगा."

परियोजना अगर शुरु नहीं हुई तो पैसे नहीं मिलेंगे
परियोजना यदि शुरू ही नहीं हुई है तो ऐसी परियोजना को इस कोष से कोई राहत नहीं मिलेगी. मान लीजिये यदि किसी परियोजना में तीन टावर बनने हैं, उसमें एक टावर में 50 प्रतिशत काम हुआ है, दूसरे में 30 प्रतिशत और तीसरे में कोई ही काम नहीं हुआ है, तो हम सबसे पहले 50 प्रतिशत पूरी हुई परियोजना को कोष उपलब्ध करायेंगे.

इस फैसले से रोजगार पैदा होंगे
सरकार की इस पहल से न केवल अर्थव्यवस्था में रोजगार पैदा होंगे बल्कि सीमेंट, लोहा और इस्पात उद्योग की भी मांग बढ़ेगी. इस फैसले का उद्देश्य अर्थव्यवस्था के इस प्रमुख क्षेत्र पर बने दबाव से उसे राहत पहुंचाना भी है. उन्होंने कहा कि इस कोष का आकार बढ़ भी सकता है. सरकारी सावरेन कोषों और पेंशन कोषों के इसमें भागीदारी करने से एआईएफ का आकार बढ़ सकता है.

बिल्डर को सीधे नहीं मिलेंगे पैसे
सीतारमण ने कोष के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना के बिल्डर को सीधे धन नहीं दिया जायेगा बल्कि एक अलग खाते (एस्क्रो) में धन रखा जायेगा जिसपर क्षेत्र के लिये गठित विशेषज्ञ समिति नजर रखेगी. समिति सुनिश्चित करेगी कि यह धन केवल परियोजनाओं को पूरा करने में ही लगे. जैसे जैसे निर्माण कार्य आगे बढ़ेगा वैसे ही राशि जारी की जायेगी. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ ही तय करेंगे की परियोजना कितने दिन में पूरी होगी और उसी के अनुसार वित्तपोषण किया जायेगा.

एनपीए और एनसीएलटी वाले प्रोजेक्ट को भी इस फंड से मिलेगा पैसा
सीतारमण ने कहा कि एआईएफ का इस्तेमाल ऐसी परियोजनाओं में भी किया जा सकता है जिन्हें गैर- निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया है और जिन परियोजनाओं को दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है.

एनसीएलटी में होगा कुछ मामलों का निपटान
वित्त मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि यदि किसी परियोजना के लिये बिल्डर ने पूरा पैसा मकान खरीदारों से ले लिया है और उस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है तो ऐसे मामलों का निपटान राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में ही होगा.

Intro:Body:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक के बाद बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों को इसकी जानकारी दी. 

कैबिनेट बैठक की मुख्य बातें:-

 


Conclusion:
Last Updated : Nov 6, 2019, 10:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.